Seraikela Kharsawan News : नशे के बीज को बॉय, पोषण को गले लगाया
678 एकड़ जमीन पर अवैध खेती खत्म कर ग्रामीणों ने अपनायी नयी राह
खरसावां. सरायकेला-खरसावां जिले के पहाड़ी और सीमावर्ती इलाकों की तस्वीर अब बदलने लगी है. कुचाई से लेकर खरसावां, कांड्रा, चौका और चांडिल तक के पहाड़ी क्षेत्रों में अब खेत साग-सब्जियों और रबी फसलों से लहलहा रहे हैं. ग्रामीण अब अफीम (पोस्तू) की खेती छोड़कर पारंपरिक धान की खेती की ओर लौट रहे हैं. कुचाई के गोमियाडीह से लेकर खरसावां के रायजेमा और चांडिल के बारसिला इलाके के पहाड़ों की तलहटी में बसे गांवों में अब नशे की जगह मेहनत की सोंधी खुशबू फैल रही है. इन क्षेत्रों में इस बार धान के साथ-साथ हल्दी की भी उम्दा पैदावार हुई है. खेतों के साथ-साथ सोच में भी बदलाव आया है. पुलिस प्रशासन द्वारा चलाये गये जागरुकता अभियान का असर साफ दिख रहा है. पहाड़ों की तलहटी में बसी इन बस्तियों के खेतों में अब धान, साग-सब्जी और सरसों की खेती हो रही है, जिससे किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है.
पिछले वर्ष 678.96 एकड़ में विनष्ट की गयी थी अवैध अफीम खेती:
सरायकेला-खरसावां पुलिस ने फसली वर्ष 2024-25 में कुल 678.96 एकड़ क्षेत्र में अफीम की अवैध खेती का विनष्टीकरण किया था. कुचाई, खरसावां, कांड्रा, चौका और ईचागढ़ थाना क्षेत्र इससे सबसे अधिक प्रभावित थे. इस वर्ष अफीम की खेती को पूरी तरह रोकने के लिए प्रशासन ने तीन चरणों में ‘प्री-कल्टीवेशन ड्राइव’ चलाया. इस दौरान पुलिस और प्रशासन की टीमों ने गांव-गांव जाकर लोगों को अफीम की खेती के दुष्प्रभावों से अवगत कराया तथा पिछले वर्ष चिह्नित खेतों का वेरिफिकेशन कराया. अब तक अधिकतर खेतों की जांच पूरी कर ली गयी है.बच्चों को चॉकलेट के जरिये दी जागरुकता की सीख:
अफीम की खेती रोकने के अभियान को जनसहभागिता से जोड़ने के लिए खरसावां पुलिस ने एक अनोखी पहल की. थानाध्यक्ष गौरव कुमार के नेतृत्व में बच्चों और ग्रामीणों के बीच ऐसे चॉकलेट वितरण किये गये जिनके रैपर पर अफीम की खेती के दुष्परिणाम और कानूनी कार्रवाई की जानकारी लिखी थी. इन चॉकलेट्स के कवर पर मादक पदार्थ नियंत्रण अधिनियम से संबंधित संदेश और सजा की जानकारी दी गयी थी. संदेश था कि खेती नहीं, खेती का विकल्प अपनाएं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
