सिविल सेवा परीक्षा में झारखंडियों ने मनवाया लोहा, लोगों को दिया ये संदेश, पढ़ें उनके संघर्ष की गाथा

यूपीएससी की परीक्षा में झारखंडियों ने अपना लोहा मनवाया है. टॉप 10 में झारखंड के 2 विद्यार्थियों ने अपनी जगह बनायी है. उसके अलावा भी कई ऐसे छात्र जिन्होंने इस परीक्षा में शानदार सफलता अर्जित की है. इन्हीं में जमशेदपुर के कनिष्क शर्मा और हजारीबाग के उत्कर्ष.

By Prabhat Khabar | September 25, 2021 12:07 PM

UPSC Result 2020, Jharkhand News रांची : यूपीएससी की सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में जमशेदपुर के कनिष्क शर्मा को 43वां रैंक मिला है़ जमशेदपुर लोयोला स्कूल के छात्र रहे कनिष्क के पिता प्रभात शर्मा टाटा स्टील कॉरपोरेट के हेड के साथ ही टाटा स्टील बीएसएल प्रोजेक्ट अंगुल के एडमिनिस्ट्रेटिव हेड की भूमिका निभा चुके हैं. मां रश्मि शर्मा हाउस वाइफ हैं. झारखंड कैडर के आइएएस अधिकारी करण सत्यार्थी उनके चचेरे भाई हैं. कनिष्क ने कहा कि वह फिलहाल दिल्ली में असिस्टेंट कमिश्नर अॉफ पुलिस की ट्रेनिंग ले रहे हैं.

नौकरी में रहते हुए यूपीएससी 2020 की परीक्षा की तैयारी की. प्रतिदिन चार से पांच घंटे नियमित रूप से पढ़ाई कर यह सफलता हासिल हुई. कनिष्क बताते हैं : यदि जॉब मिलती है, तो जॉब करते हुए तैयारी करें. इससे परिवार वालों पर अार्थिक बोझ नहीं पड़ेगा. कनिष्क ने कहा कि वह झारखंड में पले बढ़े हैं. यहां खनिज है. वन है. अपार संभावनाएं हैं.

कनिष्क मूल रूप से गया के कोंच थाने के चिचौरा गांव के रहने वाले हैं. बिट्स पिलानी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बीटेक की डिग्री हासिल की. इसके बाद रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड में नौकरी की. कनिष्क ने कहा कि उन्हें माता-पिता और मंगेतर चित्रा का बहुत साथ मिला. माता-पिता एमबीए कराना चाहते थे, लेकिन मैंने इच्छा जतायी तो उन्होंने सपोर्ट किया. मंगेतर भी दिल्ली में हर कदम पर साथ खड़ी रही.

सिविल सर्विसेज 2020 की परीक्षा में कनिष्क का इंटरव्यू दो अगस्त को हुआ था. इस इंटरव्यू से जुड़ी रोचक बातों को साझा करते हुए कनिष्क ने कहा कि इंटरव्यू बोर्ड में शामिल सदस्यों ने मुझे देखकर कहा कि आपको देख कर ऐसा लगता है कि आपको गुस्सा बहुत आता है.

आखिर किस चीज से आपको इतना गुस्सा. इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जब कोई अपना काम सही तरीके से नहीं करता है, तो गुस्सा आता है, हालांकि वे नेचरवाइज कूल हैं. उन्होंने कहा कि उनके पास पांच डॉग हैं. जब नियमित रूप से पढ़ाई से मन उब जाता था, तो इनके साथ खेलता था़ इस दौरान गुस्सा पर भी काबू पा लेता था. मालूम हो कि कनिष्क ने यूपीएससी में पिछले वर्ष भी सफलता हासिल की थी़ पिछली बार रिजर्व कैटेगरी में 36वें पायदान पर थे.

नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी का निर्णय लेना कठिन था : उत्कर्ष

हजारीबाग : हजारीबाग के उत्कर्ष ने सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में 55वां रैंक हासिल किया है़ आइआइटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करने के बाद तीन साल तक दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी की. पहली परीक्षा वर्ष 2019 में दी, लेकिन सफल नहीं हुए. दूसरी बार में 55वां रैंक हासिल किया. अपनी सफलता पर उत्कर्ष ने कहा कि नौकरी छोड़ कर यूपीएससी की तैयारी का निर्णय कोई छोटा निर्णय नहीं था. यह निर्णय लेने में मां सुषमा वर्णवाल और परिवार के अन्य सदस्यों की प्रेरणा मिली. उत्कर्ष ने बताया कि उसने हजारीबाग में पढ़ाई की, इसलिए यही से जुड़े सवाल भी

समय देखकर कभी पढ़ाई नहीं की

उत्कर्ष ने बताया कि समय देख कर कभी पढ़ाई नहीं की. टेक्नोलॉजी का पूरा इस्तेमाल किया. बीटेक के बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गये. दिल्ली के कोचिंग संस्थानों से भी काफी मदद मिली. मल्टीनेशनल कंपनी को छोड़ कर यूपीएससी की तरफ आने के सवाल पर कहा : जब मैं बड़ी कंपनी में काम कर रहा था, तो अहसास हुआ कि देश और अपने क्षेत्र के बारे में जो काम करने का सोचा था, वह यहां पूरा नहीं हो पायेगा. इसके लिए अपना इरादा बदला और यूपीएससी की तैयारी में जुट गया. उत्कर्ष के पिता महेश कुमार जूनियर इंजीनियर और मां सुषमा वर्णवाल शिक्षिका हैं.

साक्षात्कार में उत्कर्ष से पूछे गये सवाल

हजारीबाग में सबसे अिधक खनिज संपदा के बाद भी वहां कल- कारखाने क्यों नहीं लगे हैं? क्या आप सफल होने पर वहां कल-कारखाना लगवायेंगे?

उत्कर्ष ने कहा कि खनिज संपदा हजारीबाग में है, लेकिन आधारभूत संरचना रेलवे और हवाई मार्ग नहीं रहने के कारण संभवत: कल -कारखाने नहीं लगे हैं.

आजादी के पहले मिशनरी संस्थानों ने हजारीबाग में शिक्षण संस्थान दिया है, लेकिन अभी ऐसे संस्थान क्यों नहीं बन रहे हैं?

आजादी के बाद भी विनोबा भावे विवि समेत कई स्कूल-कॉलेज हजारीबाग में बने हैं. शिक्षा के क्षेत्र में लगातार हजारीबाग का विकास हो रहा है.

Posted by : Sameer Oraon

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