Ranchi News: झारखंड में पूरा हुआ ट्रायल : सफलता मिली, तो मिलेगा डेंगू का पहला स्वदेशी टीका
झारखंड में डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल पूरा हो गया है. यह टीका 18 से 60 वर्ष की उम्र के 692 लोगों को लगाया गया है.
राजीव पांडेय, रांची. झारखंड में डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल पूरा हो गया है. यह टीका 18 से 60 वर्ष की उम्र के 692 लोगों को लगाया गया है. टीके का ट्रायल इंडियन मेडिकल रिसर्च सेंटर (आइसीएमआर) और पैनेशिया बायोटेक के सहयोग से किया गया. इसकी पूरी जिम्मेदारी रिम्स के पीएसएम विभाग को दी गयी है. अब टीका लगाने के बाद सभी 692 लोग दो साल तक फॉलोअप में रहेंगे. दो वर्षों तक जब इनमें से किसी को डेंगू नहीं होगा, तो इस टीका को पूरी तरह सफल माना जायेगा. इसके बाद शोध कर रही टीम आकलन के बाद केंद्र सरकार से इसे बाजार में उतारने का आग्रह करेगी.
डॉ मिथिलेश कुमार कर रहे हैं टीम की अगुआई
पीएसएम विभाग की रिसर्च टीम ने ओरमांझी, कांके, धुर्वा और रिम्स के आसपास के लोगों को डेंगू टीका के लिए चुना है. इनकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच है. टीका लगाने से पहले सभी लोगों के खून की जांच की गयी. ट्रायल के मानक के अनुरूप फिट पाये जाने पर इन सबको टीका लगाया गया. टीम की अगुआई डॉ मिथिलेश कुमार कर रहे हैं. साथ ही टीम में डॉ विद्यासागर, डॉ देवेश कुमार, डॉ सीमा व माइक्रोबायोलाॅजी से डॉ मनोज कुमार शामिल हैं. डॉ मिथिलेश ने बताया कि दो चरण के ट्रायल में किसी व्यक्ति को टीका लगाने के बाद साइड इफेक्ट नहीं देखा गया था, जिसके बाद तीसरे चरण का ट्रायल हुआ. यह ट्रायल एक साल पहले वर्ष 2024 में शुरू हुआ था. टीका आने के बाद यह पहला स्वदेशी डेंगू टीका होगा, जिसे 16 से 60 वर्ष की उम्र वाले सभी लोगों को लगाया जायेगा. इससे डेंगू से होने वाली मौत में कमी आयेगी, क्योंकि वैक्सीन से 80 से 90 फीसदी की सुरक्षा मिल जायेगी.
अभी विश्व में डेंगू का एक ही टीका, लेकिन भारत में उपलब्ध नहीं
शोध में शामिल पीएसएम विभाग के डॉ देवेश कुमार ने बताया कि डेंगू का वैक्सीन भारत में नहीं आया है. इसी साल अप्रैल में डब्ल्यूएचओ ने एक वैक्सीन की अनुमति दी है, जिसका नाम क्यू डेंगा है. भारत में अभी जिस टीका पर शोध चल रहा है, वह पूरी तरह स्वदेशी है.
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