सरकारी भवनों के मेंटेनेंस पर सालाना नौ करोड़ खर्च, हर साल पैरवी पुत्रों को ही मिलता है ठेका

राजधानी के महत्वपूर्ण सरकारी भवनों की साफ-सफाई और मेंटेनेंस में सरकार हर साल नौ करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करती है. इसके लिए हर साल टेंडर भी निकाला जाता है.

By Prabhat Khabar Print Desk | July 13, 2020 6:42 AM

रांची : राजधानी के महत्वपूर्ण सरकारी भवनों की साफ-सफाई और मेंटेनेंस में सरकार हर साल नौ करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करती है. इसके लिए हर साल टेंडर भी निकाला जाता है. लेकिन, पिछले 10 साल हर बार यह काम कुछ चुनिंदा कंपनियों को ही मिलता रहा है. एेसा इसलिए, क्योंकि इन कंपनियों के प्रमुख या तो पैरवी पुत्र हैं या फिर इन लोगों की राज्य की लगभग हर प्रमुख पार्टी के कद्दावर नेताओं से नजदीकी है.

प्रभात खबर के पास इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि कैसे जिन कंपनियों को इसका ठेका मिलता रहा है, उन कंपनियों को बड़ी राजनीतिक हस्तियों का संरक्षण और सहयोग मिलता रहा है. खास लोगों को ही ठेका मिले, इसके लिए टेंडर की शर्तों में मनमाना बदलाव किया जाता है.

जानकारी के अनुसार, भवन निर्माण विभाग में डिवीजन-1 और डिवीजन-2 से ऐसे भवनों के मेंटेनेंस के टेंडर निकाले जाते हैं. इस बार विभाग ने पहली बार ई-टेंडर निकाला है. भवन निर्माण डिवीजन-1 से लगभग पांच करोड़ और डिवीजन-2 से लगभग चार करोड़ की निविदा निकाली गयी है. डिवीजन-1 में ठेकेदारों को काम सौंप दिया गया है.

वहीं, डिवीजन-2 की निविदा दोबारा निकाली गयी है. ई-टेंडर में भी खेल हो रहा है. इस काम में लगी कंपनियां आपस में ही काम तय करती हैं. इसके बाद टेंडर करते हैं. एक ही कंपनी तीन-चार जगहों पर टेंडर डाल कर दूसरे के लिए रास्ता निकालती है. जिसे बिल्डिंग का काम लेना होता है, उसकी सेटिंग विभाग में भी होती है. आलम यह है कि विभाग के मुख्य अभियंता भी यह मान रहे हैं कि लंबे समय से कुछ खास कंपनियों को ही ठेका मिल रहा है और पूछने पर वह मामले की जांच कराने की बात कहते हैं.

आपका ऑबजर्वेशन सही है. यह भी सही है कि एक ही कंपनी को हर वर्ष काम नहीं मिलना चाहिए. विभाग ओपेन टेंडर कराता है. इसमें सबको भाग लेने की आजादी है. नियम संगत काम होना चाहिए, लेकिन अगर कुछ गलत हो रहा है, तो मैं इसे देखता हूं. – ललित टिबरेवाल, मुख्य अभियंता

10 वर्षों से कुछ खास कंपनियां ही कर रहीं मेंटेनेंस

ये हैं चुनिंदा कंपनियां और लोग

सरस्वती कंस्ट्रक्शन, अजीत गुप्ता, निर्मला कंस्ट्रक्शन, एनके इंटप्राइजेज, शास्वत दुबे, निखिल आनंद, मुन्ना कुमार, उदय कुमार, एचएन सिंह.

डिवीजन-1 का काम बंटा, डिवीजन-2 में चल रहा खेल : भवन निर्माण के डिवीजन-1 में एनके इंटरप्राइजेज, चंद्रकांत कुमार और अजीत गुप्ता को काम मिला है. वहीं, भवन निर्माण विभाग के डिवीजन-2 के काम का टेंडर अब तक फाइनल नहीं हुआ है. हालांकि, खेल चल रहा है. सूत्रों की मानें, तो यहां भी ठेकेदारों के समूह ने बंटवारा कर लिया है. टेंडर भी उसी हिसाब से डाले जा रहे हैं. यहां भी कुछ चुनिंदा कंपनी और लोगों की ही चलनी है. यहां चंद्रकांत कुमार, एनके इंटरप्राइजेज, उदय कुमार, शास्वत दुबे, एचएन सिंह के नाम की चर्चा है.

इन भवनों का होना है टेंडर

प्रोजेक्ट भवन 78 लाख 41 हजार

प्रोजेक्ट भवन का काॅन्फ्रेंस हॉल भवन 37 लाख, 21 हजार

एफएफपी बिल्डिंग, धुर्वा 38 लाख 5 हजार

एमडीआइ बिल्डिंग, धुर्वा 40 लाख, 50 हजार

जेएसबीसीसीएल बिल्डिंग 28 लाख, 59 हजार

इंजीनियरिंग भवन हॉस्टल-1 34 लाख 77 हजार

इंजीनियरिंग हॉस्टल नंबर-2 34 लाख 78 हजार

ओल्ड विधानसभा 29 लाख, 12 हजार

टीए बिल्डिंग, धुर्वा 37 लाख, 26 हजार

Post by : Pritish Sahay

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