सरना समितियों ने केंद्र सरकार को दिया अल्टीमेटम, बिल करवाये पास वर्ना 6 दिसंबर को होगा रेल- रोड चक्का जाम

Jharkhand news, Ranchi news : झारखंड की हेमंत सरकार आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित कराने के लिए आगामी 11 नवंबर, 2020 विधानसभा का विशेष सत्र बुलायी है. पिछले 20 साल में यह पहला मौका है, जब विधानसभा का विशेष सत्र आहूत हुआ है. सत्र के दौरान सत्ता पक्ष- विपक्ष की सहमति मिलने के बाद राज्य सरकार जनसंख्या के कॉलम में सरना धर्म कोड को शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजेगी. अगर केंद्र सरकार इस बिल को लेकर असहमति जताती है, तो सरना समिति अागामी 6 दिसंबर, 2020 को रेल-रोड चक्का जाम कर करेगी. इस बात की जानकारी केंद्रीय सरना समिति के सदस्यों ने दी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2020 4:07 PM

Jharkhand news, Ranchi news : रांची : झारखंड की हेमंत सरकार आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित कराने के लिए आगामी 11 नवंबर, 2020 विधानसभा का विशेष सत्र बुलायी है. पिछले 20 साल में यह पहला मौका है, जब विधानसभा का विशेष सत्र आहूत हुआ है. सत्र के दौरान सत्ता पक्ष- विपक्ष की सहमति मिलने के बाद राज्य सरकार जनसंख्या के कॉलम में सरना धर्म कोड को शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजेगी. अगर केंद्र सरकार इस बिल को लेकर असहमति जताती है, तो सरना समिति अागामी 6 दिसंबर, 2020 को रेल-रोड चक्का जाम कर करेगी. इस बात की जानकारी केंद्रीय सरना समिति के सदस्यों ने दी.

रविवार (8 नवंबर, 2020) को राजधानी रांची में केंद्रीय सरना समिति, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद एवं आदिवासी सेंगेल अभियान के संयुक्त तत्वावधान में सरना कोड लागू करने को लेकर प्रेस वार्ता का आयोजन हुआ. इसमें झारखंड समेत 5 राज्य बिहार, असम, बंगाल और ओड़िशा के सरना धर्मावलंबी शामिल हुए. सभी ने सरना धर्मकोड में सहमति जताते हुए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि झारखंड सरकार सरना कोड बिल के प्रस्ताव को पास केंद्र के पास भेजती है और केंद्र सरकार इस पर अपनी असहमति जताती है, तो आगामी 6 दिसंबर, 2020 को रेल- रोड चक्का जाम किया जायेगा.

केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि आदिवासी अपनी अस्तित्व, पहचान, भाषा, संस्कृति के अधिकार के लिए लंबे समय से सरना धर्म कोड की लड़ाई लड़ रहे हैं. सरना कोड को लेकर ही सबसे ज्यादा आंदोलन किया गया है, जिसके कारण पूरे भारत के आदिवासी जागरूक हुए हैं. सरना धर्म कोड को लागू करने को लेकर आदिवासी समाज सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन कर रहे हैं. यह आंदोलन का ही देन है कि झारखंड सरकार विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजने को बाध्य हुई हैं.

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पूर्व सांसद एवं आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि सरना कोड केंद्र सरकार के द्वारा ही तय होनी है. उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों से आगामी 6 दिसंबर, 2020 को आहूत राष्ट्रव्यापी रेल- रोड चक्का जाम के लिए तैयार होने की अपील की. साथ ही कहा कि अगर केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर अपनी असहमति जताती है, तो 2021 की जनगणना में हमें फिर अपनी मौलिक और मानवीय अधिकारों से वंचित होना पड़ेगा और धार्मिक अन्याय व अत्याचार जारी रहेंगे. इसलिए इस आंदोलन को तेज करना हम सभी की जिम्मेवारी है.

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के महासचिव सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि वर्ष 2021 जनगणना का वर्ष है. आदिवासी समुदाय के पास मात्र 2 महीने का समय बचा है. सरना धर्म कोड लागू करने के लिए आदिवासी करो या मरो की तर्ज पर आंदोलन करने को बाध्य हैं. झारखंड सरकार जल्द से जल्द विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजें.

वहीं, केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की ने कहा कि आदिवासी किसी भी हाल में वर्ष 2021 में सरना धर्म कोड चाहते हैं. इसके कारण आदिवासी सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन कर रहे हैं. विगत 20 सितंबर, 2020 को झारखंड के विभिन्न जिलों में मानव श्रृंखला बनाया गया था. वहीं, 15 अक्टूबर, 2020 को चक्का जाम भी किया गया था. इसके अलावा जगह- जगह धरना प्रदर्शन एवं रैली भी की गयी है. इसलिए इस आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाना हम सभी की जिम्मेवारी है. मौके पर केंद्रीय सरना समिति के संरक्षक ललित कच्छप, भुनेश्वर लोहरा, महिला शाखा अध्यक्ष नीरा टोप्पो, रांची जिला सरना समिति के अध्यक्ष अमर तिर्की, रांची महानगर अध्यक्ष विनय टोप्पो, सुनील उरांव, सुखवारो उरांव, ज्योत्सना भगत, जुलिता मुंडा, अमित टोप्पो आदि उपस्थित थे.

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Posted By : Samir Ranjan.

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