पाकुड़ के टीचर सुरेश प्रसाद का शिक्षा के प्रति गजब का जुनून, हर रोज नदी पार कर जाते हैं बच्चों को पढ़ाने

पाकुड़ के एक टीचर सुरेश प्रसाद का जुनून देखिए. हर दिन बांसलोई नदी को पार कर बच्चों को पढ़ाने जाते हैं. मध्य विद्यालय, चंडालमारा में पदस्थापित सुरेश प्रसाद का शिक्षा के प्रति समर्पण देखते ही बनता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2021 5:06 PM

Jharkhand News (सुनील कुमार झा, रांची) : शिक्षा के प्रति समर्पण और जुनून जरूरी है. ये गुण कुछ ही शिक्षकों में पाये जाते हैं और सुरेश प्रसाद उनमें से एक हैं. वो स्कूल के रास्ते में पड़नेवाली पाकुड़ जिला के बांसलोई नदी को हर दिन पार कर बच्चों को पढ़ाने जाते हैं. सुरेश प्रसाद पाकुड़ जिला के मध्य विद्यालय, चंडालमारा में पदस्थापित हैं.

मालूम हो कि झारखंड में मार्च 2020 से स्कूल बंद है. बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से हो रही है, लेकिन सुदूर गांवों के बच्चों के पास मोबाइल फोन का अभाव और नेटवर्क की परेशानी के कारण पढ़ाई बाधित हो रहा है. ऐसे में सुरेश प्रसाद टोला-मुहल्ला जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

हर दिन बांसलोई नदी को पार करने के दौरान सुरेश प्रसाद के दोनों हाथ ऊपर रहता है. एक हाथ में चप्पल और दूसरे हाथ में कपड़ा का झोला लेकर कभी छाती, तो कभी गर्दन भर पानी में नदी पार करते हैं. नदी पार कर स्कूल जाना सुरेश प्रसाद की विवशता है. वर्ना उन्हें स्कूल जाने के लिए 25 किमी से अधिक की दूरी तय करनी पड़ेगी.

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दो साल पहले बहा पुल, पर नहीं हारी हिम्मत

पाकुड़ के बांसलोई नदी पर बना पुल दो वर्ष पहले तेज बहाव में बह गया. वहीं, बारिश के मौसम में डायवर्सन भी बह जाता है. लेकिन, इस विषम परिस्थिति में भी सुरेश प्रसाद ने हिम्मत नहीं हारी और नदी पार कर छात्रों तक पहुंचने का रास्ता चुना. जिसकी सब मिसाल दे रहे हैं. सुरेश अपने विद्यार्थियों की पढ़ाई समय पर पूरी कराने की कोशिश में रोज गांव के टोला और मुहल्ला जा रहे हैं.

बता दें कि कोरोना संक्रमण के कारण राज्य में प्राथमिक और मध्य विद्यालय मार्च 2020 से बंद है. बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. सरकार के आदेश के बाद भी 20 हजार शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति भी नहीं बना रहे हैं.

सुबह 8 बजे पहुंच जाते हैं स्कूल

राज्य में फिलहाल 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं का संचालन हो रहा है. कक्षा एक से 8 तक के बच्चों की कक्षाएं स्थगित है, लेकिन शिक्षकों के लिए स्कूल आना अनिवार्य है. इस संबंध में शिक्षक सुरेश प्रसाद ने बताया कि उनके स्कूल में बायोमीट्रिक उपस्थिति बनाने की व्यवस्था है. हर दिन सुबह 8 बजे स्कूल पहुंच जाते हैं. श्री प्रसाद ने बताया कि स्कूल में उपस्थिति बनाने के बाद स्कूल के पोषक क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाने के लिए निकल जाते हैं. इसके बाद दोपहर 2 बजे के बाद स्कूल से वापस लौटते हैं.

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हाईस्कूल और प्लस 2 के बच्चों की पढ़ाई होती बाधित

श्री प्रसाद ने कहा कि बारिश के मौसम में यहां के हाईस्कूल और प्लस 2 के बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है. बारिश के कारण प्लस टू हाईस्कूल, महेशपुर में नामांकित बच्चे स्कूल तक नहीं आ पाते हैं.

Posted By : Samir Ranjan.

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