आदिवासी महिलाएं बदल रहीं झारखंड के गांवों की तकदीर, गेंदा फूल की खेती से आत्मनिर्भर बन रहे किसान
Jharkhand Foundation Day 2022: झारखंड गठन के 22 साल हो गये. प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने में आदिवासी महिलाओं ने अहम भूमिका निभायी है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं ने खेती, बागवानी करके खुद को समृद्ध किया. पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दिया. पढ़ें आज की स्पेशल रिपोर्ट...
Jharkhand Foundation Day 2022: झारखंड गठन के 22 साल पूरे होने जा रहे हैं. प्रभात खबर ने इस दौरान प्रखंड की उपलब्धियों के बारे में एक सीरीज शुरू की है. इसमें हम आपको बतायेंगे कि इन 22 सालों में झारखंड में क्या सकारात्मक बदलाव आये. आगे क्या करने की जरूरत है. इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों की आदिवासी महिलाओं ने किस तरह से अपनी और अपने क्षेत्र की किस्मत बदलने में अहम भूमिका निभायी है.
आदिवासी महिला बदल रही गांव क तस्वीरआज बात झारखंड की राजधानी रांची से सटे खूंटी जिला (Khunti District) और पूर्वी सिंहभूम जिला के पटमदा एवं बोड़ाम प्रखंड की. घोर उग्रवाद प्रभावित खूंटी जिला में बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से अफीम की खेती होती थी. महिलाओं ने इस तस्वीर को बदल दी है. खूंटी जिला के कई प्रखंडों में महिलाओं ने आम और फूल की खेती शुरू की. आज खूंटी में आम क्लस्टर तैयार हो गये हैं, तो गेंदा फूल की खेती भी बड़े पैमाने पर हो रही है. इसकी अगुवाई आदिवासी महिलाएं कर रही हैं.
Also Read: Jharkhand Foundation Day 2022: लातेहार के ललमटिया डैम की खूबसूरती पर्यटकों को करती है आकर्षित रांची में बिक रहे खूंटी के गेंदा फूलदीपावली के त्योहार में राजधानी रांची और आसपास के शहर और घर खूंटी के गेंदा फूल से गुलजार रहे. इस वर्ष दीपावली के पर्व पर झारखंड में खूंटी के गेंदा फूल खूब बिके. करीब तीन करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार केवल खूंटी जिला की महिलाओं ने किया. झारखंड में पहले बंगाल से गेंदा के फूल आते थे. अब गेंदा फूल के लिए बंगाल पर निर्भरता कम हुई है. फूल की खेती करके महिला किसान सशक्त हो रही हैं.
25 से 30 हजार रुपये की हुई कमाईबता दें कि जनजातीय बहुल इस जिले में फूल उपजाने और उसे बाजार तक पहुंचाने वाली ज्यादातर महिलाएं ही हैं. इस वर्ष करीब 1,200 महिला किसानों ने फूल की खेती की थी. इन्होंने करीब 24 लाख गेंदा फूल की लरी तैयार की. थोक में 15 से 20 रुपये प्रति लड़ी के हिसाब से इसकी बिक्री हुई. एक-एक महिला किसान ने 25 से 30 हजार रुपये की कमाई इस सीजन में की.
60 से 70 दिनों में तैयार हो जाता है फूलखूंटी जिला में गैरसरकारी संस्था प्रदान के सहयोग से महिला किसान गेंदा फूल की खेती कर रहीं हैं. किसानों को फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) के माध्यम से खड़गपुर से गेंदा का पौधा उपलब्ध कराया गया था. एक पौधा 60 पैसे की दर से दिया गया था. 10 डिसमिल में गेंदा के एक हजार पौधे लगाये जाते हैं. एक पौधे के फूल स एक लड़ी तैयार हो जाती है. पौधा में फूल तैयार होने में 60 से 70 दिन लग जाते हैं. फूल तैयार होने की कुल लागत दो रुपये तक आती है. यह थोक में 15 से 20 रुपये में बिक जाता है.
Also Read: Jharkhand News: पारंपरिक आदिवासी ज्वेलरी ‘आदिवा’ से मिलेगी नयी पहचान, दुमका व खूंटी की दीदियां बना रही आभूषण 30 डिसमिल में गेंदा फूल लगाया था नौरी नेमुरहू प्रखंड के हेठगोवा गांव की नौरी हास्सा ने स्वयंसेवी संस्था प्रदान एवं जिला प्रशासन खूंटी के सहयोग से पहली बार परती पड़ी 30 डिसमिल जमीन पर गेंदा फूल की खेती की थी. एफपीओ के माध्यम से गेंदा फूल के पौधे मिल गये. तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान संस्था की प्रोफेशनल कविता बोदरा व उनके सहयोगियों ने दी. नौरी ने गेंदा फूल से 3,000 माला तैयार कर बाजार में भेजा. 15 से 20 रुपये की दर से थोक में माला बिकने पर उन्हें कम से कम 45,000 रुपये की कमाई हुई. खूंटी जिला में नौरा हास्सा पूर्ति जैसी लगभग 1,200 महिला किसान गेंदा फूल की खेती कर रही हैं.
फूल की खेती से ताकतवर बन रही खूंटी की महिला किसानप्रदान की प्रशिक्षक कविता बोदरा का कहना है कि फूल की माला खूंटी में महिला किसानों को सशक्त कर रही है. यह शहरों में प्रदूषण कम करने में भी मददगार साबित होगा. असली फूल की कमी होने की वजह से लोग प्लास्टिक के फूल का उपयोग करते हैं. यह पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है. फूलों की खेती से एक ओर किसान समृद्ध हो रहे हैं, उनका हौसला बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर शहरों को स्वच्छ वातावरण भी मिल रहा है.
पटमदा मे 12 एकड़ में हुई है गेंदा फूल की खेतीसिर्फ खूंटी ही नहीं, पूर्वी सिंहभूम में भी गेंदा फूल की बड़े पैमाने पर खेती शरू हो गयी है. पटमदा एवं बोड़ाम प्रखंड में 12 एकड़ में गेंदा फूल की खेती किसानों ने की है, जिसकी सप्लाई जमशेदपुर को की जा रही है. सर्फ धनतेरस पर 50 हजार फूलों की माला जमशेदपुर भेजी गयी थी. गेंदा फूल की माला तैयार करने का सिलसिला छठ पूजा तक जारी रहेगा. पटमदा एवं बोड़ाम के किसानों के फूल की बुकिंग पहले ही हो चुकी है.
कोल्ड स्टोरेज में रखी जा रही मालाफूल और माला की शहर में किल्लत न हो, फूल खराब न हो जायें, इसकी भी पूरी व्यवस्था की गयी है. गेंदा फूल की माला बिष्टुपुर स्थित कोल्ड स्टोरेज में रखी जा रही है. खेत से फूल तोड़ने एवं घरों में बैठकर माला बनाने में बच्चे, बड़े एवं बुजुर्ग लगे हुए हैं. फूल बेचकर लोग 15 से 20 हजार रुपये तक की कमाई कर ले रहे हैं. इन दिनों पटमदा के लावा, नोवाडीह, लच्छीपुर, कुमीर के साथ-साथ बोड़ाम के मुचीडीह, बाघरा, रसिकनगर, कोईयानी, बड़ासुशनी, दुंदु व अन्य गांवों में फूल की खेती हो रही है. गेंदा फूल की खेती से क्षेत्र के युवा लाभान्वित हो रहे हैं.
रिपोर्ट- मनोज सिंह, रांची/ दिलीप पोद्दार, पटमदा, पूर्वी सिंहभूम