परंपरा से बंधे किसानों ने नहीं की 300 एकड़ जमीन पर खेती

सिल्ली प्रखंड के रंगा माटी गांव में लगभग 300 एकड़ जमीन पर इस साल ग्रामीण खेती नहीं कर पाये.

By VISHNU GIRI | August 28, 2025 8:31 PM

सबसे पहले खेत जोतनेवाले जगदीश चंद्र महतो इस साल जमीन विवाद के कारण नहीं कर सकें खेती

सिल्ली. सिल्ली प्रखंड के रंगा माटी गांव में लगभग 300 एकड़ जमीन पर इस साल ग्रामीण खेती नहीं कर पाये. बताया जाता है कि ग्रामीण खेती का काम तब तक शुरू करते जब तक गांव का एक सर्वमान्य किसान पहले खेती कार्य शुरू न कर ले. बस इसी पहले व्यक्ति के खेती नहीं कर पाने के कारण 300 एकड़ जमीन पर किसान खेती से वंचित हो गये. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के महतो जी यानी जगदीश चंद्र महतो पहले खेती करते हैं, तभी अन्य लोग खेती शुरू करते हैं. इस बार इनकी निजी जमीन पर गांव के एक दबंग व्यक्ति द्वारा खेती करने से रोकने तथा पुलिस का भय दिखा कर ट्रैक्टर चालकों को हल जोतने से मना करने के कारण वो अपने खेतों में खेती नहीं कर सके. इस कारण अन्य ग्रामीण भी गांव की परंपरा को मानते हुए इस साल धान बीज नहीं लगाया. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि जगदीश महतो ने अपने जमीन पर जब भी खेती करने का प्रयास किया, तभी कुछ लोगों ने विवाद खड़ा करके खेती पर रोक लगा दी. वहीं गांव के रैयत जगदीश चन्द्र महतो ने कहा कि गांव की जमीन खाता नंबर 49 के प्लांट 538 रकवा 3.03 एकड़ हमारी पूर्वजों की जमीन है, जिसमें खेती करते आ रहे हैं. परंतु विगत वर्ष 2020 को मेरी जमीन को गांव के दो व्यक्ति के द्वारा जबरन हक दिखाने के कारण विवाद चल रहा है. परंतु इन पिछले चार वर्षों में धान रोपने में कहीं पर मनाही नहीं थी. इस बार उन दबंगों ने विवादित जमीन के आलावा मेरी अन्य जमीन पर भी मुझे खेती करने से रोक दिया. प्रशासन ने भी बिना जांच किये खेती नहीं करने की हिदायत दे दी. इस कारण गांव की पूरी 300 एकड़ जमीन पर खेती रुक गयी.

पूर्व विधायक ने ग्रामीणों की समस्या सुनी:

पूर्व विधायक सुदेश महतो गुरुवार को इस मामले को लेकर ग्रामीणों से मिले. उन्होंने सिल्ली थाना प्रभारी से फोन पर बात करते हुए कहा कि दो दिनों के अंदर इस समस्या को हल करें, क्योंकि आने वाले दिनों में ग्रामीणों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. वहीं किसानों ने कहा कि स्थानीय प्रशासन अगर समय रहते इस पर त्वरित कार्रवाई करती तो किसान खेती से वंचित नहीं होते और उनके सामने भुखमरी की नौबत नहीं आती. धान की खेती नहीं होने के कारण किसानों को भोजन के अलावा पशुओं के चारा तक की समस्या की चिंता सताने लगी है.

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