Coronavirus Update In Jharkhand : पशुओं से भी हो सकता है कोरोना का संक्रमण, झारखंड सरकार ने किया सतर्क, इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा

पशुपालन विभाग ने कोरोना वायरस के संक्रमण एवं संभावित पशु रोग के प्रसार को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश जारी किये हैं. सभी जिला पशुपालन पदाधिकारियों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि कोरोना वायरस के जूनोटिक रोग होने की आशंका के कारण पशु प्रजातियों में संक्रमण की संभावना है. पशु तथा मनुष्य की निकटता के कारण नये म्यूटेंट स्ट्रेन में परिवर्तित होने की संभावना बनी रहती है.

By Prabhat Khabar | May 21, 2021 6:31 AM

Coronavirus In Jharkhand, Coronavirus Infection In Animals रांची : पशुपालन विभाग ने कोरोना वायरस के संक्रमण एवं संभावित पशु रोग के प्रसार को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश जारी किये हैं. सभी जिला पशुपालन पदाधिकारियों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि कोरोना वायरस के जूनोटिक रोग होने की आशंका के कारण पशु प्रजातियों में संक्रमण की संभावना है. पशु तथा मनुष्य की निकटता के कारण नये म्यूटेंट स्ट्रेन में परिवर्तित होने की संभावना बनी रहती है.

झारखंड में मुख्य रूप से पशुओं में कोविड-19 संक्रमण के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से आवश्यक है कि संक्रमित मनुष्य पालतू पशुओं के संपर्क में नहीं आयें. इसके लिए सूकर पालकों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि सूकरों में इस विषाणु के मिक्सिंग वैसल्स के रूप में कार्य करने के प्रमाण मिले हैं. ऐसे में विषाणु के नये स्ट्रेन में विकसित होने की संभावना है.

वेटनरी अस्पतालों को हर हाल में दो बजे तक खोलने का निर्देश

पशुपालन विभाग की निदेशक ने निर्देश दिया है कि इस परिस्थिति को देखते हुए सभी प्रकार के पशु चिकित्सालय, पशु औषधालय, पशु रोग नैदानिक संस्थान दो बजे तक जरूर खोलें. राज्य सरकार के सभी कार्यालय प्रधान पशु चिकित्सीय सेवा के दौरान भीड़ नहीं हो, इसका ख्याल रखेंगे. सोशल डिस्टैंसिंग का पालन हर हाल में करायेंगे. सभी कर्मियों को जानवरों के इलाज के दौरान फेस मास्क व अन्य सुरक्षा उपकरण पहनना जरूरी है. सभी कार्यालयों में सेनेटाइजर की व्यवस्था होगी.

संक्रमित पशुपालक को पशुपालन गतिविधियों से दूर रखें

पशुपालन विभाग ने संक्रमित पशुपालकों को पशुपालन गतिविधियों से दूर रखने का निर्देश दिया है. पशुओं को विभिन्न प्रजातियों को दूर-दूर रख पशुपालन की गतिविधि चलानी है. संक्रमित मनुष्य के संपर्क में आने पर अगर पशु या पक्षी में किसी प्रकार का असामान्य लक्षण (भूख में कमी, डायरिया, खूनी डायरिया, मूत्र एवं प्रजनन संबंधी रोग) दिखे, तो निकटतम पशु चिकित्सालय से संपर्क करना चाहिए. एक पशु का जूठा दूसरे पशु को नहीं खिलाना है. सूकरों को चारा उनके आवास पर ही दें. पशु-पक्षी उत्पाद (दूध, अंडा, मांस) का किसी भी परिस्थिति में कच्चा सेवन नहीं करना चाहिए. अच्छी तरह पकाकर खाने से बीमारी की संभावना नहीं रहती है.

क्या है जूनोटिक रोग?

जूनोसिस/ जूनोटिक ऐसे बीमारी या संक्रमण को कहा जाता है, जिसका प्रसार जानवरों और पक्षियों से मनुष्यों में होता है. वर्तमान में 200 से अधिक जूनोटिक रोग मौजूद है. इस रोग के वाहक बैक्टीरिया, वायरल या परजीवी के अलावा अपरंपरागत एजेंट भी हो सकते है. जूनोटिक रोगों के वाहक मनुष्यों में सीधे संपर्क, भोजन, पानी या पर्यावरण के माध्यम से फैल सकते हैं.

पशुपालन विभाग ने जारी किया दिशा-निर्देश, सूकर पालकों को ज्यादा खतरा

झारखंड में नहीं आये हैं ऐसे मामले, पर सतर्कता जरूरी

अब तक झारखंड में ऐसा कुछ नहीं है. कई राज्यों में मिलने के संकेत हैं. लेकिन, सतर्कता के तौर पर बचाव जरूरी है. वायरस के स्वरूप बदल रहा है. इससे पशुओं को बचाने की जरूरत है. कोई विशेष परेशानी नहीं बढ़े इसके लिए सतर्कता भी जरूरी है. बीएयू के वैज्ञानिकों ने इस पर सलाह जारी की है.

नैंसी सहाय, निदेशक, पशुपालन

पका मांस खाने से वायरस के फैलाव का खतरा नहीं

अब तक आदमी से जानवरों में कोरोना होने के केस ज्यादा सुनने को नहीं मिले हैं, लेकिन चीन में मांस बाजार से ही कोरोना वायरस का मामला सामने आया था. हालांकि अच्छी तरह पका हुआ मांस खाने से वायरस के फैलाव का खतरा नहीं होता. कच्चा मांस से संक्रमण का खतरा रहता है.

डॉ कामेश्वर प्रसाद, निदेशक रिम्स

Posted By : Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version