टीएसी की बैठक के बाद जारी कार्यवाही में है इसका उल्लेख, हेमंत सरकार ने भी बनाया था कृषि भूमि पर गैर कृषि लगान वसूलने का प्रस्ताव

रांची: पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सीएनटी एक्ट में बदलाव कर कृषि भूमि पर गैर कृषि लगान वसूलने की तैयारी में थे. उनके निर्देश पर इसका प्रस्ताव तैयार किया गया था. श्री सोरेन 27 सितंबर 2014 को हुई टीएसी की बैठक में गैर कृषि परियोजना के लिए भूमि पर गैर कृषि लगान लगाने का प्रस्ताव लाये […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 18, 2017 1:04 AM
रांची: पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सीएनटी एक्ट में बदलाव कर कृषि भूमि पर गैर कृषि लगान वसूलने की तैयारी में थे. उनके निर्देश पर इसका प्रस्ताव तैयार किया गया था. श्री सोरेन 27 सितंबर 2014 को हुई टीएसी की बैठक में गैर कृषि परियोजना के लिए भूमि पर गैर कृषि लगान लगाने का प्रस्ताव लाये थे. बैठक के बाद जारी की गयी कार्यवाही में इसका उल्लेख किया गया है.
कार्यवाही में बताया गया है कि भू-राजस्व विभाग के तत्कालीन सचिव ने टीएसी की बैठक में जानकारी दी थी कि संबंधित प्रस्ताव पर विधि एवं वित्त विभाग की स्वीकृति भी ली जा चुकी है. टीएसी की सहमति के बाद इसे कैबिनेट की सहमति के लिए भेजा जायेगा. हालांकि, बैठक के कुछ समय बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के कारण आचार संहिता लागू हो गयी. इस वजह से हेमंत सरकार को मामला ठंडे बस्ते में डालना पड़ा. चुनाव के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में नयी सरकार बनी. इसके बाद नये सिरे से सीएनटी, एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर टीएसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया. कृषि भूमि का उपयोग गैर कृषि कार्यों के लिए और उस पर गैर कृषि लगान वसूली के प्रस्ताव पर पहले टीएसी और फिर कैबिनेट की सहमति ली गयी.
प्रस्ताव के पीछे हेमंत सरकार का तर्क
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की धारा 21 के तहत जमीन का व्यावसायिक इस्तेमाल करने पर भी सरकार को कृषि के लिए निर्धारित लगान वसूलने का अधिकार है. राज्य में औद्योगिक विकास हुआ है. खनन कार्य भी हो रहे हैं. इसके अलावा अन्य व्यावसायिक कार्यों में जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. जमीन के उपयोग का स्वरूप बदलने के बावजूद कृषि के लिए निर्धारित दर से लगान वसूलने पर राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. राज्य सरकार को जमीन के उपयोग के अनुरूप लगान निर्धारित करने की शक्तियां देने का प्रस्ताव है. अर्थात राज्य सरकार जमीन के व्यावसायिक, औद्योगिक या खनन कार्यों के लिए उपयोग किये जाने पर संबंधित जमीन के लिए लगान निर्धारित कर सकेगी. इस नियम के लागू होते ही राज्य सरकार जमीन के उपयोग के अनुरूप लगान वसूलेगी.

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