हलचल: सरना धर्म कोड लागू नहीं करने से आदिवासियों में आक्रोश रैली निकालेंगे, मार्च में घेरेंगे संसद
आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड के सवाल पर देश भर के प्रकृति पूजक आदिवासी संजीदा हैं. सूचना के मुताबिक हाल के दिनों में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने आदिवासियों को अलग धर्म कोड सरना देने से इनकार कर दिया है. लंबे अरसे से अलग धर्म कोड की मांग कर रहे प्रकृति पूजक आदिवासियों के […]
आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड के सवाल पर देश भर के प्रकृति पूजक आदिवासी संजीदा हैं. सूचना के मुताबिक हाल के दिनों में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने आदिवासियों को अलग धर्म कोड सरना देने से इनकार कर दिया है. लंबे अरसे से अलग धर्म कोड की मांग कर रहे प्रकृति पूजक आदिवासियों के बीच इसको लेकर आक्रोश है. झारखंड में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, आदिवासी सरना महसभा, केंद्रीय सरना समिति व अन्य संगठन के प्रतिनिधियों ने फैसले पर एतराज जताया है. प्रतिनिधियों ने बताया कि मोरहाबादी में वृहत रैली से लेकर दिल्ली में संसद भवन घेरने की तैयारी है. इस मुद्दे पर संगठन के प्रतिनिधियों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
सरना धर्म कोड लेकर रहेंगे संघर्ष जारी रहेगा : बंधन तिग्गा
राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि सरना धर्म कोड के लिए सरकार से वार्ता जारी है. जो मीडिया में आया है, वह सरकार का निर्णय नहीं है. वर्ष 2001 अौर 2011 की जनगणना में देश के 21 राज्यों के 80 लाख आदिवासियों ने अपना धर्म सरना लिखा है, जो एक बड़ी उपलब्धि है. यदि सरकार इसके खिलाफ निर्णय लेती है, तो आंदोलन की रणनीति तय कर आगे बढ़ेंगे. राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा द्वारा इस संबंध में विभिन्न राज्यों में जनजागरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. सरना धर्म कोड ले कर रहेंगे. धर्मगुरु ने कहा कि आदिवासी सरना महसभा ने अारटीआई के माध्यम से रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया से जानकारी ली है और वह इसके पूरे तथ्यों से अवगत नहीं हैं.
आदिवासी चार मार्च 2017 को संसद घेरेंगे : देवकुमार धान
आदिवासी सरना महासभा के संयोजक, पूर्व विधायक देवकुमार धान ने कहा कि वह आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड का आंदोलन चलाया जा रहा है. यह कोड सरना हो, आदिवासी हो, आदि हो प्रकृति हो या और क्या हो इस पर विचार के लिए देश के 100 प्रमुख जनजातियों का सम्मेलन नयी दिल्ली में तीन व चार दिसंबर को बुलाया गया है. इसमें धर्म कोड के लिए जो नाम तय होगा, उस धर्म कोड की मांग को लेकर देश के आदिवासी चार मार्च 2017 को संसद घेराव करेंगे. अादिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग को लेकर पांचवी अनुसूचित वाले राज्य गुजरात, छत्तीसगढ़ व ओड़िशा में सम्मेलन कर चुके हैं. इसके अतिरिक्त राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलांगाना, आंध्र प्रदेश, व झारखंड में यह जल्द ही किया जायेगा.
कोड नहीं रहने से वास्तविक जनगणना प्रभावित होती है : मुंडा
चडरी सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि प्रकृति पूजक आदिवासियों के साथ अन्याय करना सरकारों की परंपरा रही है. आदिवासियों के लिए उनका अलग धर्म कोड एक प्रमुख मुद्दा है, क्योंकि इससे आदिवासियों की वास्तविक जनगणना प्रभावित होती है. जब दूसरे धर्मावलंबियों को, जिनकी जनसंख्या आदिवासियों से भी कम है, उन्हें धर्म कोड दिया गया है, तो पूरे देश के आदिवासियों को इससे क्यों वंचित रखा जा रहा है? धर्मकोड के सवाल पर जोरदार आंदोलन की जरूरत है.
