एसीबी गैस मूल्य निर्धारित मामले की जांच नहीं कर सकती

मोदी सरकार ने दिल्ली हाइकोर्ट से कहानोटिफिकेशन से केजरीवाल सरकार का फैसला पलटावीरप्पा मोइली, मुरली देवड़ा व मुकेश अंबानी के खिलाफ हो रही थी जांचनयी दिल्ली. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के फैसले को पलटते हुए दिल्ली सरकार ने हाइकोर्ट से कहा है कि एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) के पास गैस के दाम निर्धारित […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2014 5:59 PM

मोदी सरकार ने दिल्ली हाइकोर्ट से कहानोटिफिकेशन से केजरीवाल सरकार का फैसला पलटावीरप्पा मोइली, मुरली देवड़ा व मुकेश अंबानी के खिलाफ हो रही थी जांचनयी दिल्ली. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के फैसले को पलटते हुए दिल्ली सरकार ने हाइकोर्ट से कहा है कि एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) के पास गैस के दाम निर्धारित करने के मामले में जांच करने का अधिकार नहीं है. यह मामला तत्कालीन केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी समेत अन्य लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच से जुड़ा है. दिल्ली सरकार के वकील ने मंगलवार को हाइकोर्ट को बताया कि 23 जुलाई को केंद्र सरकार द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन के जरिये दिल्ली सरकार की एसीबी से इस मामले की जांच का अधिकार वापस ले लिया गया था. इस नोटिफिकेशन के मुताबिक एसीबी केंद्र सरकार के तहत आनेवाले लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच नहीं कर सकती, बल्कि सिर्फ दिल्ली सरकार के तहत आनेवाले लोगों के खिलाफ जांच कर सकती है।मेरे अधिकार क्षेत्र में : एसीबीपहले खुद एसीबी ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी समेत पूर्व केंद्रीय मंत्रियों वीरप्पा मोइली और मुरली देवड़ा के खिलाफ केस दर्ज करने की कार्रवाई को सही ठहराया था. हाइकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 अगस्त का दिन तय किया था. इस केस के खिलाफ दायर याचिका पर एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्रांच) ने हाई कोर्ट को बताया कि रिलायंस पर केस दर्ज करने की कार्रवाई उनके अधिकार क्षेत्र में है और उनके द्वारा सही कार्रवाई की गयी है.केंद्र सरकार ने दी थी चुनौतीइस मामले में रिलायंस और तत्कालीन केंद्र सरकार (कांग्रेस की अगुआईवाली यूपीए सरकार) ने एसीबी द्वारा केस दर्ज किये जाने की वैद्यता को दिल्ली हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा नीतिगत मामलों में लिए गये निर्णय के खिलाफ किसी राज्य सरकार द्वारा केस दर्ज कराया जाना संविधान के खिलाफ है. इसके जवाब में दिल्ली एसीबी ने कहा था कि मामला राज्य के अंदर हुआ है और इस वजह से ब्यूरो को पूरा अधिकार है कि वह मामले की जांच आगे बढ़ा सके.

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