रांची : भवन व ऊर्जा विभाग के कार्यों की हो जांच : सरयू राय

रांची : विधायक सरयू राय ने कहा है कि नवगठित झारखंड सरकार ने पथ निर्माण विभाग की अनियमितताओं व निविदा घोटाले पर कार्रवाई शुरू कर दी है पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख एवं कतिपय अन्य अभियंताओं को निलंबित किया गया है़ बड़े पैमाने पर निविदा रद्द की गयी है. यह कार्रवाई स्वागत योग्य है, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 30, 2020 5:22 AM
रांची : विधायक सरयू राय ने कहा है कि नवगठित झारखंड सरकार ने पथ निर्माण विभाग की अनियमितताओं व निविदा घोटाले पर कार्रवाई शुरू कर दी है
पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख एवं कतिपय अन्य अभियंताओं को निलंबित किया गया है़ बड़े पैमाने पर निविदा रद्द की गयी है. यह कार्रवाई स्वागत योग्य है, परंतु इतना ही पर्याप्त नहीं है़ जांच का दायरा भवन निर्माण और ऊर्जा विभाग तक बढ़ाया जाना चाहिए़
साथ ही एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया जाये़ श्री राय ने कहा कि इस अवधि में पथ निर्माण विभाग के प्रभारी मंत्री, जो उस समय मुख्यमंत्री थे और सचिव, जो स्वयं मुख्य सचिव थीं, उनकी भूमिका की जांच भी जरूरी है़ उन्होंने कहा कि दोनों पथ निर्माण विभाग में घोटालों और अनियमितताओं की संस्कृति आरंभ करने, नियम विरुद्ध आदेश देने तथा उन आदेशों को क्रियान्वित करने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों एवं अभियंताओं पर दबाव डालने के लिए जिम्मेदार है़ं
यह भी सूचना है कि पथ निर्माण विभाग में हुई अनियमितताओं की जांच 01.01.2016 से करने का आदेश हुआ है़ वस्तुतः यह जांच 01.01.2014 से होनी चाहिए़ पथ निर्माण विभाग में ऐसी अनियमितताओं का दौर उस समय से ही आरंभ हुआ था़ श्री राय ने कहा कि पथ निर्माण विभाग की अनियमितताओं के बारे में तत्कालीन मुख्यमंत्री को 11 मार्च, 2018 को पत्र लिखा था
इसके पूर्व 24 अगस्त, 2017 को भी पीत पत्र द्वारा उन्हें सूचित किया था़ पथ निर्माण विभाग के सचिव को इस बारे में 28 मार्च, 2018 को सप्रमाण सूचित किया था़ 26 जुलाई, 2018 को भी पथ निर्माण विभाग की कार्यसंस्कृति के बारे में पथ निर्माण विभाग के सचिव को पत्र भेजा था़ इसके अतिरिक्त गुवा-जुगसलाई रोड की अनियमितताओं के बारे में तथा एनजीटी द्वारा इस बारे में तत्कालीन पथ निर्माण सचिव एवं मुख्य सचिव को कार्रवाई के लिए भेजे गये आदेश का भी जिक्र किया था़ उन्होंने कहा कि लेकिन मेरे पत्रों में अंकित बिंदुओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई़ नतीजा हुआ कि अनियमितताओं का दायरा बढ़ता गया और निविदाओं के निष्पादन में अनियमितता को सांस्थिक रूप दे दिया गया़

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