अब माओवादियों के मददगारों की खैर नहीं, झारखंड के डीजीपी ने कही ये बात

रांची : भाकपा माओवादियों के मददगारों पर अब झारखंड पुलिस शिकंजा कसेगी. इनके खिलाफ पुलिस नक्सल एक्ट (17 सीएल एक्ट) व अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए एक्ट) के तहत कार्रवाई करेगी. डीजीपी कमल नयन चौबे ने सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि झारखंड पुलिस माओवादियों के बाहरी सहायता को खत्म करने के लिए […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 17, 2019 8:05 AM
रांची : भाकपा माओवादियों के मददगारों पर अब झारखंड पुलिस शिकंजा कसेगी. इनके खिलाफ पुलिस नक्सल एक्ट (17 सीएल एक्ट) व अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए एक्ट) के तहत कार्रवाई करेगी.

डीजीपी कमल नयन चौबे ने सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि झारखंड पुलिस माओवादियों के बाहरी सहायता को खत्म करने के लिए यह कदम उठाने जा रही है. इसके तहत माओवादियों को हथियार, खाद्य आपूर्ति व पुलिस की गतिविधियों की जानकारी देनेवालों के साथ ही आर्थिक और अन्य तरह की मदद करनेवालों पर भी कार्रवाई की जायेगी. इसके लिए नक्सल प्रभावित जिलों के एसपी को निर्देश दिया गया है कि वे थाना स्तर पर मओवादियों को मदद करनेवालों की सूची तैयार कर उनके खिलाफ कार्रवाई करे. डीजीपी ने कहा कि माओवादियों के खिलाफ पुलिस का अभियान जारी है.

लेकिन उनको मदद करनेवालों के खिलाफ भी अब कार्रवाई होगी. इससे माओवादियों का बाहरी नेटवर्क भी ध्वस्त होगा. वहीं, माओवादियों की गुमनाम संपत्ति का भी पता कर उसे जब्त किया जायेगा. बता दें कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों के मददगारों के खिलाफ बड़े स्तर पर सुरक्षाबलों ने कार्रवाई की थी.

इसका फायदा सुरक्षाबलों को मिला था. ग्रामीणों को किया जायेगा जागरूकता झारखंड पुलिस माओवादियों के खिलाफ अभियान चलाने और मददगारों पर शिकंजा कसने के साथ ही ग्रामीणों को जागरूक करने का भी काम करेगी. डीजीपी ने बताया कि बड़े नक्सली लेवी के पैसे से संपत्ति अर्जित कर अपने बच्चों को अच्छे शिक्षण संस्थानों में पढ़ा रहे है. जबकि भोले-भाले ग्रामीणों को सब्जबाग दिखा उन्हें संगठन में शामिल कर लेते हैं. इसलिए ग्रामीणों को जागरूक कर उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने और माओवादियों के नापाक इरादों को प्रभावहीन बनाने का काम भी झारखंड पुलिस करेगी.

क्या है सजा का प्रावधान
17 सीएलए एक्ट के तहत छह माह से तीन साल तक की सजा व अर्थ दंड का प्रावधान है. जबकि यूएपीए एक्ट 1967 के तहत सात साल तक की सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान है. संलिप्तता के आधार पर उक्त धाराओं का उपयोग पुलिस कर सकती है.
यह है माओवादी प्रभावित जिले
चाईबासा, पलामू, गढ़वा, लातेहार, जमशेदपुर का कुछ हिस्सा, सिमडेगा, रांची, हजारीबाग, चतरा, बोकारो, गिरिडीह, दुमका, पाकुड़, खूंटी, लोहरदगा, गुमला आदि.

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