रक्तदान करें, अच्छा लगता है : ईश्वर ऐसे नेक काम का मौका मुझे देता रहे

अरविंद मिश्र प्रभात खबर के सहकर्मियों ने अचानक रक्त की जरूरत पड़ने पर बिना समय गंवाये रक्तदान कर किसी का जीवन बचाने में अपना सहयोग दिया. हम यहां अरविंद मिश्र का अनुभव प्रकाशित कर रहे हैं, उनके फेसबुक वॉल से, ताकि सबको रक्तदान करने की प्रेरणा मिले. कुछ साल पहले जब मेरी दादी को खून […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 2, 2019 5:52 AM
अरविंद मिश्र
प्रभात खबर के सहकर्मियों ने अचानक रक्त की जरूरत पड़ने पर बिना समय गंवाये रक्तदान कर किसी का जीवन बचाने में अपना सहयोग दिया. हम यहां अरविंद मिश्र का अनुभव प्रकाशित कर रहे हैं, उनके फेसबुक वॉल से, ताकि सबको रक्तदान करने की प्रेरणा मिले. कुछ साल पहले जब मेरी दादी को खून की सख्त जरूरत थी. मैंने खून देने की इच्छा जतायी, लेकिन ब्लड बैंक वाले ने मुझे यह कहते हुए मना कर दिया कि मेरा वजन बहुत कम है.
मैंने जोर दिया, तो ब्लड कलेक्ट करनेवाले ने मजाक उड़ाते हुए कहा, बच्चा तुमसे क्या लें, तुमको तो और चढ़ाना पड़ जायेगा. उस समय मैंने उस मजाक को अपने लिए चुनौती के रूप में लिया और सोचा, जिस दिन मैं खून देने लायक हो गया, अर्धशतक लगाकर ही दम लूंगा.
रविवार को अचानक फोन आया कि सेवा सदन में एक जरूरतमंद को सुबह 10 बजे रक्त देना है. मेरे साथ मेरे सहकर्मी नयन ओझा और सूरज प्रकाश भी थे. हम तीनों ने वहां पहुंच कर रक्तदान किया. बहुत अच्छा लगा किसी की जरूरत पर काम आकर. बस ऊपर वाले से यही प्रार्थना है कि ऐसे अवसर मुझे देता रहें. ऊपर वाले पर भरोसा है कि मेरा संकल्पित कार्य जरूर पूरा होगा.
‘प्रभात खबर’ अपने सुधि पाठकों से अपील करता है कि वे सभी यथासंभव रक्तदान अवश्य करें. साथ ही अपने सगे-संबंधियों और मित्र को भी इस पुण्य कार्य के लिए प्रेरित करें. एक स्वस्थ व्यक्ति एक वर्ष में अधिकतम चार बार रक्तदान कर सकता है. जबकि एक वर्ष में 24 बार भी प्लेटलेट्स दे सकता है.

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