झारखंड की नदियों का होगा कायाकल्प

मनोज सिंह 2021 तक पूरी तरह सफाई की योजना हर दिन निकलता है करीब 614 एमएलडी कचरा रांची : झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने झारखंड में पड़ने वाली नदियों के कायाकल्प की योजना तैयार की है. इनमें स्वर्णरेखा, नलकरी, गरगा, शंख, जुमार, कोनार, दामोदर शामिल हैं. इस काम में आमलोगों के साथ-साथ विभागों की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 26, 2019 7:19 AM

मनोज सिंह

2021 तक पूरी तरह सफाई की योजना

हर दिन निकलता है करीब 614 एमएलडी कचरा

रांची : झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने झारखंड में पड़ने वाली नदियों के कायाकल्प की योजना तैयार की है. इनमें स्वर्णरेखा, नलकरी, गरगा, शंख, जुमार, कोनार, दामोदर शामिल हैं. इस काम में आमलोगों के साथ-साथ विभागों की भागीदारी भी सुनिश्चित की गयी है. साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिये गये निर्देशों का भी ख्याल रखा गया है.

नदियों के कायाकल्प के लिए बोर्ड ने पूरा अध्ययन कराया है. इन नदियों से हर दिन करीब 614 मेगालीटर प्रति दिन (एमएलडी) कचरा निकलता है. योजना के तहत नदियों में आनेवाले इस कचरे को रोकने की भी रणनीति बनायी जायेगी. बोर्ड ने तय किया है कि 2021 तक राज्य की सभी नदियों को दुरुस्त कर दिया जायेगा.

79 गांवों को चिन्हित किया प्रदूषण बोर्ड ने : प्रदूषण बोर्ड ने सभी नदियों के किनारे पड़ने वाले 79 गांवों को चिन्हित किया है. इसमें कुल 7663 परिवार हैं. आबादी करीब 50 हजार से अधिक होगी. नदियों के किनारे में वैक्सपॉल, एचइसी, तुपुदाना, टाटा स्टील, आधुनिक, टायो, टाटा मेंटेनेंस आदि निजी कंपनियां पड़ती हैं. रांची और जमशेदपुर नगर निगम भी है.

नदियों को साफ करने के लिए विभागों के साथ तालमेल जरूरी है. जिला स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी बनायी जायेगी. यही टीम विभागों से तालमेल बनाकर योजना तैयार करेगी. जिला में उपायुक्तों की अध्यक्षतावाली कमेटी समय-समय पर नदियों को प्रदूषण से बचाने के उपायों की समीक्षा करेंगे.

रांची-जमशेदपुर में 103 इटीपी लगेंगे : रांची और जमशेदपुर में स्वर्णरेखा नदी के किनारे उद्योगों ने 37 इफ्लूयेंट ट्रीटमेंट प्लांट (इटीपी) लगाया है. इसके अतिरिक्त रांची में 36 और जमशेदपुर में 67 इटीपी लगाने का निर्देश दिया गया है. नदियों के किनारे में पड़ने वाले 19 सब अरबन एरिया से 300 किलोलीटर कचरे का उत्पादन हर दिन हो रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों से करीब 125 से 175 केएलडी कचरा तैयार हो रहा है.

क्या-क्या काम कब तक पूरा होना है

मार्च 2020 तक : जिला स्तर पर सिवरेज का आकलन, ट्रीटमेंट क्षमता विकसित करना है. यह काम शहरी विकास विभाग, जल संसाधन और जिला प्रशासन के सहयोग से होगा. इसी अवधि में नदियों में बहने वाले ड्रेन की जानकारी ली जायेगी.

इसमें होनेवाले प्रदूषण को रोकने के लिए डीपीआर तैयार होगा. तैयार एसटीपी के पूर्ण उपयोग की रूपरेखा तैयार की जायेगी. नदी के किनारे संचालित डेयरी, ऑटोमोबाइल सर्विस स्टेशन, होटल, रेस्टोरेंट को ट्रीटमेंट प्लांट लागने के लिए कहा जायेगा. यह काम स्थानीय निकाय करेंगे.

मार्च 2021 तक : गांव, शहर और घरों से निकलने वाले कचरों को एक चैनल में लाने का प्रयास होगा. इसका प्रवाह एसटीपी के माध्यम से करने का प्रयास होगा.

सितंबर 2020 : इस अवधि के दौरान वैसे नालों को चिन्हित किया जायेगा, जो सीधे नदियों में गिर रहा है. नदियों में जानेवाले सहायक नालों की सफाई करायी जायेगी. जहां सिवरेट ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. वहां इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू करायी जायेगी. पुराने सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को दुरुस्त कराया जायेगा.

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