दो साल बाद एनएचएम ने एम्स से पूछा, आपके यहां खून की जांच किस तकनीक से होती है

रांची : रक्तदान शिविर में एक खून के वायरस की जांच के लिए अत्याधुनिक जांच तकनीक नेट को देश के कई ब्लड बैंकों ने अपना लिया है, लेकिन राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के ब्लड बैंक मेें इसका उपयोग अब तक नहीं हो पाया है. जानकारी के अनुसार एनएचएम में मशीन की खरीद के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 18, 2019 3:36 AM

रांची : रक्तदान शिविर में एक खून के वायरस की जांच के लिए अत्याधुनिक जांच तकनीक नेट को देश के कई ब्लड बैंकों ने अपना लिया है, लेकिन राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के ब्लड बैंक मेें इसका उपयोग अब तक नहीं हो पाया है. जानकारी के अनुसार एनएचएम में मशीन की खरीद के लिए पैसा आकर पड़ा हुआ है.

केंद्र सरकार ने मशीन खरीदने के लिए दो साल पहले पैसा भेज दिया था, लेकिन अब तक मशीन खरीदी जाये या नहीं इसी पर विचार चल रहा है. अब जाकर एनएचएम एम्स से सुझाव मांगा है कि आपके यहां संचालित ब्लड बैंक में खून की जांच के लिए किस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है? एम्स द्वारा सुझाव आते ही एनएचएम नेट मशीन की खरीदारी की अनुमति दे देगा.
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को होता ज्यादा लाभ
ब्लड बैंक में नेट तकनीक से वायरस की जांच की सुविधा होने से सबसे ज्यादा लाभ थैलेसीमिया के मरीजों को होता. थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चाें को एचआइवी, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी से संक्रमित होने का खतरा कम हो जायेगा. इसके अलावा एनिमिया व खून की कमी वाले मरीजाेें को भी लाभ मिलता है.
दो साल से एनएचएम में पड़ा हुआ है पैसा, अब तक नहीं खरीदी गयी नेट मशीन
नेट जांच से आसानी से हो जाती है पांच दिनों के अंदर संक्रमित व्यक्ति की पहचान
क्या है नेट टेस्ट
नेट जांच की नयी तकनीक है. इससे ब्लड सैंपल में वायरस मौजूद है या नहीं इसका पता चल जाता है. इस जांच में खास तौर पर एचआइवी, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी व न्युक्लिक एसिड की खून में मौजूदगी है या नहीं इसका पता लग जाता है. नेट द्वारा ब्लड की जांच में पांच दिन के अंदर संक्रमित व्यक्ति की भी पहचान आसानी से हो जाती है. नेट जांच के बाद किसी व्यक्ति को कोई खून चढ़ाया जाता है, तो उसके संक्रमण का खतरा कम रहता है.

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