रांची को बीजिंग व दिल्ली बनने से रोकना होगा

रांची : सेंटर फॉर इनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की कार्यशाला में वक्ताओं ने रांची को बीजिंग, तेहरान और दिल्ली की तरह बनाने से रोकने का आग्रह किया. इसके लिए रणनीति तैयार करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने का निर्णय लिया गया. वायु प्रदूषण पर स्टेक होल्डर्स के साथ चर्चा का आयोजन शनिवार को […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 28, 2019 8:13 AM
रांची : सेंटर फॉर इनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की कार्यशाला में वक्ताओं ने रांची को बीजिंग, तेहरान और दिल्ली की तरह बनाने से रोकने का आग्रह किया. इसके लिए रणनीति तैयार करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने का निर्णय लिया गया. वायु प्रदूषण पर स्टेक होल्डर्स के साथ चर्चा का आयोजन शनिवार को होटल बीएनआर में किया गया था.
वायु प्रदूषण से परेशान होकर दिल्ली छोड़कर अपने शहर लौटे छाती रोग विशेषज्ञ डॉ आत्री गंगोपाध्याय ने कहा कि जब दिल्ली में थे, तो हर माह तीन-चार दिन के लिए सांस लेने के लिए बाहर जाते थे. इसके बाद भी परेशानी कम नहीं हुई, तो अपना शहर लौट गये. यहां स्थिति अच्छी है. हालांकि बहुत अच्छी नहीं है. रांची को बीजिंग, तेहरान या दिल्ली बनाने से हमें रोकना होगा. यहां भी बच्चों में प्रदूषण के कारण बीमारियां होने लगी हैं. इसका उपचार शुरुअाती दौर में ही होता है. बाद में इसे दवा से दबाया जा सकता है.
एम्स, पटना के डॉ नीरज अग्रवाल ने कहा कि वायु के साथ-साथ पानी के प्रदूषण से भी बचने की जरूरत है. सीड की अंकिता ज्योति ने कहा कि झारखंड की सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण का मॉनिटरिंग स्टेशन नहीं होना है.
जब वायु प्रदूषण का आंकड़ा ही नहीं रहेगा, तो इससे बचने के उपाय पर भी बात नहीं होगी. 2017 का आंकड़ा सरकार के पास है. इसके अनुसार 2015 की तुलना में स्थिति सुधरी है. हालांकि अब भी राजधानी में पीएम-10 का आंकड़ा खतरनाक स्तर से दो गुणा है. वायु में पीएम-10 की मात्रा 145 एमजी के आसपास होनी चाहिए. सामान्य स्तर करीब 60 मिलीग्राम होना चाहिए. राजधानी में करीब 21% प्रदूषण ट्रांसपोर्ट से है. 28.6% प्रदूषण बाहरी कारणों से है. इससे बचने के लिए वायु प्रदूषण प्रबंधन प्रणाली तैयार करने की जरूरत है.

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