फुसरो : सरकारी सुविधाएं मिली नहीं, बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं लोग

आकाश कुमार फुसरो : गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के बेरमो विस क्षेत्र अंतर्गत पेटरवार प्रखंड की पिछरी दक्षिणी पंचायत के सांसद आदर्श ग्राम के लोग आज भी जर्जर और खपड़ैल मकान में रहने को विवश हैं. यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर नही है. गिरिडीह सांसद रवींद्र कुमार पांडेय ने पिछरी दक्षिणी पंचायत को […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 19, 2019 9:17 AM
आकाश कुमार
फुसरो : गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के बेरमो विस क्षेत्र अंतर्गत पेटरवार प्रखंड की पिछरी दक्षिणी पंचायत के सांसद आदर्श ग्राम के लोग आज भी जर्जर और खपड़ैल मकान में रहने को विवश हैं. यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर नही है. गिरिडीह सांसद रवींद्र कुमार पांडेय ने पिछरी दक्षिणी पंचायत को सांसद आदर्श ग्राम के रूप में 8 अप्रैल 2016 को गोद लिया था.
जिसके बाद लोगों में विकास की किरण की आशा जगी थी. गोद लेने के बाद सब गांव से अलग पहचान और आदर्श ग्राम का रोड मैप तय किया गया. लेकिन तीन वर्ष बीतने के बाद भी सांसद आदर्श ग्राम की तस्वीर नहीं बदल पायी है. यहां के जरूरतमंद लोग आज भी पक्के मकान, राशन कार्ड, उज्जवला योजना, आयुष्मान योजना, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, खाद्य सुरक्षा कार्ड आदि सरकारी लाभ से कोसों दूर है.
सात हजार की आबादी के लिए पेयजलापूर्ति की सुविधा नहीं
सांसद आदर्श ग्राम में लगभग सात हजार की आबादी है और लगभग चार हजार के करीब मतदाता हैं. यह आदिवासी बहुल क्षेत्र भी है और लगभग 1500 की संख्या में आदिवासी लोग रहते हैं. इसके अलावे पिछड़ा, हरिजन, अल्पसंख्यक लोग भी हैं. पूरे सांसद आदर्श ग्राम दो मौजा खेढ़ो व पिछरी में बंटा हुआ है.
जिसमें कोचा कुल्ही, डहुआ, बुटनाडीह, पिपराटांड़, हथिया पत्थर, करणडीह, खेढ़ो, पुरनाटांड, झरना कुल्ही, धधकीडीह, छप्परडीह, सुयाडीह, बलिहारबेड़ा, पिछरी बस्ती, हरिजन टोला आते हैं. जबकि खेढ़ो गांव राजस्व ग्राम से भी जाना जाता है. लेकिन इस पूरे क्षेत्र में मात्र 72 पीएम आवास और 485 शौचालय ही बन पाये हैं. सांसद के निजी मद से कुछ छोटे-छोटे कार्य हुए हैं. यहां एक राजकीय मवि है. लेकिन एक भी मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है. इस पंचायत की रसीद भी कटनी बंद हो गयी है. पेयजलापूर्ति की भी सुविधा नहीं है. ग्रामीण बगल के खांजो नदी, कुंआ, डाड़ी व चापानल के भरोसे रहते हैं. बिजली की भी लचर व्यवस्था है.
एक भी स्वास्थ्य केंद्र इस ग्राम में नहीं है. सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. एक सरकारी तालाब पेंडरा बांध है, जिसका जीर्णोद्धार तक नहीं हो पाया है. रोजगार की व्यवस्था नहीं रहने के कारण यहां के लोग पलायन को भी विवश रहते हैं.सड़क के अभाव में अगल-बगल के टोला के लोग मिल नहीं पाते हैं.
आदर्श ग्राम घोषित होने के बाद सांसद ने बीडीओ व सीओ से सप्ताह या महीना में एक बार बैठ कर समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया था. लेकिन इसका पालन नहीं हुआ. यहां के लोगों को सरकारी लाभ लेने के लिए 35 किमी का सफर तय कर पेटरवार प्रखंड व अंचल कार्यालय और थाना जाना पड़ता है.

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