रांची : नये विधानसभा भवन के निर्माण में रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को लाभ पहुंचाने के लिए विभाग के इंजीनियरों ने की गड़बड़ी

शकील अख्तर एजी ने झारखंड सरकार को भेजी रिपोर्ट रांची : एचइसी इलाके के कुटे में झारखंड विधानसभा के नये भवन के निर्माण में भी इंजीनियराें ने रामकृपाल कंस्ट्रक्शन काे लाभ पहुंचाया है. खबर है कि विधानसभा के इंटीरियर वर्क के हिसाब-किताब में गड़बड़ी बता कर भवन निर्माण के इंजीनियरों ने पहले 465 करोड़ के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 4, 2019 8:11 AM
शकील अख्तर
एजी ने झारखंड सरकार को भेजी रिपोर्ट
रांची : एचइसी इलाके के कुटे में झारखंड विधानसभा के नये भवन के निर्माण में भी इंजीनियराें ने रामकृपाल कंस्ट्रक्शन काे लाभ पहुंचाया है.
खबर है कि विधानसभा के इंटीरियर वर्क के हिसाब-किताब में गड़बड़ी बता कर भवन निर्माण के इंजीनियरों ने पहले 465 करोड़ के मूल प्राक्कलन को घटा कर 420.19 करोड़ कर दिया. 12 दिन बाद ही बिल ऑफ क्वांटिटी (बीआेक्यू) में निर्माण लागत 420.19 कराेड़ से घटा कर 323.03 कराेड़ कर दिया. टेंडर निबटारे के बाद 10 प्रतिशत कम यानी 290.72 करोड़ रुपये की लागत पर रामकृपाल कंस्ट्रक्शन काे काम दे दिया गया. फिर ठेकेदार के कहने पर वास्तु दोष का नाम पर साइट प्लान का ड्राइंग बदला.
इससे निर्माण क्षेत्र 19,943 वर्ग मीटर बढ़ गया. अब बढ़े हुए निर्माण का क्षेत्र पर समानुपातिक दर से ठेकेदार को भुगतान का फैसला किया गया है. राज्य के महालेखाकार (एजी) ने इन गड़बड़ियाें से संबंधित रिपाेर्ट सरकार काे भेज दी है.
फैसला कब हुआ, पता नहीं : रिपाेर्ट के मुताबिक झारखंड विधानसभा कांप्लेक्स (सेंट्रल ब्लॉक, इस्ट ब्लॉक, वेस्ट ब्लॉक) के निर्माण की जिम्मेदारी ग्रेटर रांची डेवलपमेंट एजेंसी (जीआरडीए) को सौंपी गयी थी.
बाद में जीआरडीए से यह जिम्मेदारी वापस लेकर भवन निर्माण को सौंपने का फैसला लिया गया. हालांकि यह फैसला कब और किस स्तर पर हुआ, इसका उल्लेख सरकारी दस्तावेज में नहीं है. इस फैसले के बाद विधानसभा निर्माण का डीपीआर सहित सभी दस्तावेज भवन निर्माण विभाग के हवाले कर दिया गया.
विधानसभा कांप्लेक्स भवन के डीपीआर में सर्विस बिल्डिंग, गेस्ट हाउस, कार पार्किंग और वाच टावर आदि के निर्माण का उल्लेख था. डीपीआर में विधानसभा कांप्लेक्स की लागत 465 करोड़ रुपये आंकी गयी थी. भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने डीपीआर पर अपनी सहमति देते हुए 564 करोड़ रुपये के लागत से निर्माण की तकनीकी स्वीकृति दी.
इसी आधार पर 10 दिसंबर, 2015 को 465 करोड़ की लागत पर विधानसभा कांप्लेक्स के निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति मिली. फिर 23 दिसंबर 2015 को विधानसभा के इंटीरियर वर्क के हिसाब-किताब में गड़बड़ी का हवाला देते हुए प्राक्कलन 465 करोड़ रुपये से घटा कर 420.19 करोड़ रुपये कर दिया.
इसके लिए यह तर्क पेश किया गया कि इंटीरियर वर्क में स्टील, कंक्रीट सहित कुछ अन्य सामग्रियों की गणना में गड़बड़ी हुई थी. यानी डीपीआर में ज्यादा लिखा गया था, जिसे कम कर दिया गया. हिसाब किताब में गड़बड़ी में सुधार के दूसरे ही दिन यानी 24 दिसंबर, 2015 को उसी मुख्य अभियंता ने 420.19 से घटा कर 323.03 करोड़ का बीआेक्यू स्वीकृत किया. इस तरह टेंडर प्रक्रिया तक विधानसभा निर्माण की लागत 465 करोड़ से घट कर 323.03 करोड़ हो गयी.
टेंडर के टेक्निकल बिड में शापोरजी पालोन जी, एल एंड टी, नागार्जुन और रामकृपाल कंस्ट्रक्शन सभी सफल घोषित हो गये. पर फाइनांशियल बिड में रामकृपाल को छोड़ बाकी सभी कंपनियां चारो खाने चित हो गयी. रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने 290.72 करोड़ में विधानसभा कांप्लेक्स बनाने का दावा पेश किया था. यह सबसे कम था. इसलिए एल-वन घोषित करते हुए 25 जनवरी 2016 को उसके साथ एकरारनामा किया गया.
बिना मुनाफे के ही काम?
यहां यह बात उल्लेखनीय है कि टेंडर के कुल प्राक्कलन में ठेकेदार का 10 प्रतिशत मुनाफा जुड़ा रहता है. रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने 10 प्रतिशत कम पर काम लिया. यानी वह बगैर मुनाफे के ही विधानसभा कांप्लेक्स का निर्माण कार्य कर रहा रहा है. निर्माण कार्य शुरू करने के बाद ठेकेदार ने विधानसभा के प्लान में वास्तु दोष होने की बात कही. पीडब्ल्यूडी कोड में वास्तु दोष की मान्यता नहीं होने के बावजूद सरकार ने ठेकेदार की बात मान ली. साथ ही वास्तु दोष के समाधान के नाम पर साइट प्लान का ड्राइंग बदल दिया.
इस बदलाव से निर्माण के लिए निर्धारित 37200 वर्ग मीटर का क्षेत्रफल बढ़ कर 57143 वर्ग मीटर हो गया. इंजीनियरों ने बढ़े हुए 19,943 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल को ठेकेदार के साथ किये गये एकरारनामे में शामिल करने का मांग की. इसके बाद उच्च स्तरीय बैठक में बढ़े हुए निर्माण क्षेत्र का भुगतान समानुपातिक दर पर करने का फैसला किया गया.
2008 20 अगस्त को जीआरडीए ने कोर कैपिटल साइट-वन में विधानसभा भवन का विस्तृत डीपीआर सौंपा
डीपीआर में विधानसभा कांप्लेक्स की लागत 465 करोड़ रुपये आंकी गयी थी
भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने इस डीपीआर की तकनीकी स्वीकृति दी.
2015 10 दिसंबर को 465 करोड़ की लागतपर विधानसभा कांप्लेक्स के निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति मिली.
23 दिसंबर को मुख्य अभियंता ने इंटीरियर वर्क के हिसाब-किताब में हुई गड़बड़ी में सुधार के नाम पर विधानसभा की लागत 465 करोड़ से घटा कर 420.19 करोड़ कर दी. 24 दिसंबर को मुख्य अभियंता ने 323.03 करोड़ की लागत पर बीआेक्यू स्वीकृत किया.
2016 25 जनवरी को टेंडर कमेटी ने रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को 290.72 प्रतिशत पर निर्माण कार्य करने के लिए एकरारनामा किया.
ठेकेदार ने 10 प्रतिशत कम यानी बिना मुनाफे के ही काम ले लिया
ठेकेदार ने वास्तु दोष की बात कही. इसे सरकार ने सही मानते हुए साइट प्लान का ड्राइंग बदला
हाइकोर्ट व विधानसभा निर्माण के टेंडर में समानताएं
हाइकोर्ट और विधानसभा निर्माण से जुड़ी टेंडर प्रक्रिया में कुछ अनोखी समानताएं हैं. हाइकोर्ट भवन के निर्माण के लिए 366.03 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी, लेकिन टेंडर के समय इसे घटा कर 267.66 करोड़ कर दिया गया. टेंडर के बाद बीआेक्यू बनाते समय हटाये गये काम को ठेकेदार को सौंप दिया गया.
बाद में निर्माण में नये काम को जोड़ कर निर्माण लागत 697.32 करोड़ रुपये कर दिया गया. विधानसभा में भी टेंडर के समय निर्माण लागत 465 करोड़ से घटा कर 323.03 करोड़ कर दिया गया. इसके बाद वास्तु दोष के नाम पर निर्माण का क्षेत्रफल बदल कर बढ़े हुए क्षेत्रफल का काम भी उसी ठेकेदार को दे दिया.
136 कराेड़ की वृद्धि का है प्रस्ताव
एचइसी के कुटे में नयी विधानसभा की लागत में 47 फीसदी की वृद्धि का प्रस्ताव है. भवन निर्माण विभाग ने प्रस्तावित विधानसभा भवन की लागत 136 करोड़ रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव ग्रेटर रांची डेवलपमेंट अथॉरिटी की स्वीकृति के लिए भेजा है.
विधानसभा निर्माण का टेंडर 290.72 करोड़ रुपये में रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था. प्रस्ताव को स्वीकृति मिली, ताे विधानसभा की लागत बढ़ कर 426 करोड़ रुपये हो जायेगी.