कोयला, बैंक, बीमाकर्मी, मजदूर, स्कीम वर्कर किसान भी झारखंड में दो दिन नहीं करेंगे काम, मशाल जुलूस आज

मजदूर यूनियनों की दो दिवसीय हड़ताल कल से रांची : मजदूर संगठनों ने 12 सूत्री मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है. आठ और नौ जनवरी को हड़ताल होगी. इसमें झारखंड के कोयलाकर्मी, बैंककर्मी, बीमा कर्मी, मजदूर, किसान, स्कीम वर्करों के साथ-साथ कई निजी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के भी शामिल होने का दावा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 7, 2019 9:20 AM
मजदूर यूनियनों की दो दिवसीय हड़ताल कल से
रांची : मजदूर संगठनों ने 12 सूत्री मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है. आठ और नौ जनवरी को हड़ताल होगी. इसमें झारखंड के कोयलाकर्मी, बैंककर्मी, बीमा कर्मी, मजदूर, किसान, स्कीम वर्करों के साथ-साथ कई निजी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के भी शामिल होने का दावा मजदूर यूनियन कर रहे हैं.
मजदूर यूनियनों ने दावा किया कि हड़ताल में एक करोड़ से अधिक कर्मी शामिल होंगे. हड़ताल को सफल बनाने के लिए सोमवार की शाम को मशाल जुलूस निकाला जायेगा. हड़ताल के पहले दिन ग्रामीण बंद का आह्वान किया गया है. इसमें भारतीय मजूदर संघ को छोड़ करीब-करीब सभी श्रम संगठन शामिल हो रहे हैं. इसकी घोषणा 28 सितंबर को दिल्ली में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में मजदूर संगठनों ने की थी.
80 स्थानों पर रेल और रोड जाम किया जायेगा
आठ और नौ की हड़ताल को झारखंड राज्य किसान सभा ने समर्थन किया है. सभा के महासचिव सुरजीत सिन्हा ने कहा है कि किसान इस दौरान खेती-बाड़ी बंद रखेंगे. राज्य के करीब 80 स्थानों पर रेल और रोड जाम किया जायेगा. छोटे-छोटे दुकानदारों से भी हड़ताल में शामिल होने की अपील की गयी है.
बैंककर्मी शामिल होंगे हड़ताल में पड़ेगा असर
बैंकों से जुड़े श्रमिक संगठन एआइबीइए, एआइआइइए, जीइएआइए, बेफी, एआइएलआइसीइएफ ने भी दो दिनी हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया है. इन संगठनों ने कहा कि केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में इसका आयोजन हो रहा है. 44 श्रम कानूनों को मात्र चार श्रम कोड में परिवर्तित करने का प्रस्ताव है. संघ के वाइपी सिंह, प्रसून्न सेन गुप्ता, सुजीत मजूमदार व एमएल सिंह ने कहा कि इससे श्रमिक संगठनों के अधिकारों का हनन होगा. इसके लिए एकजुट होकर बैंकों में कामकाज ठप करना होगा.
दो दिनी हड़ताल को वामदलों का समर्थन
रांची : वामदलों ने मंगलवार से हो रही दो दिनी (आठ व नौ जनवरी) हड़ताल को समर्थन देने का फैसला किया है. माले कार्यालय में रविवार को अायोजित प्रेस कांफ्रेंस में माकपा के गोपीकांत बख्शी, भाकपा के भुवनेश्वर मेहता, माले के जनार्दन प्रसाद, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सिद्धेश्वर सिंह व मासस के सुशांतों ने संयुक्त रूप से कहा कि वे झारखंड में जमीन की लूट, पलायन व भूख तथा राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार की तथाकथित जन विरोधी नीतियों व रोजगार में कमी व बढ़ती बेरोजगारी के सवाल पर ट्रेड यूनियनों की इस हड़ताल का समर्थन करेंगे.
राजधानी में नुक्कड़ नाटक, प्रचार सभा व पर्चा वितरण
दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल की तैयारी के क्रम में रविवार को राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से प्रचार गाड़ी निकाल कर सघन जन संपर्क, नुक्कड़ सभा, पर्चा वितरण किया.
हड़ताल को सफल बनाने की अपील की. शाम को रांची विश्वविद्यालय गेट, अलबर्ट एक्का चौक, कर्बला चौक पर नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया. इसमें भुवनेश्वर प्रसाद केवट, सुमंत कुमार साहू, एनामुल हक आदि शामिल थे. जत्था हरमू, किशोर गंज, डोरंडा , धुर्वा, मेन रोड और हटिया एचइसी काॅलोनी में प्रचार किया गया.
एचइसी में पांचों श्रमिक संगठनों का हड़ताल काे समर्थन
एचइसी में आठ व नौ जनवरी को आहूत हड़ताल में पांचों श्रमिक संगठन शामिल होंगे. चार श्रमिक संगठन मिल कर हड़ताल कर्मियों से हड़ताल में रहने का आग्रह करेंगे. वहीं हटिया कामगार यूनियन अकेले मजदूरों से आग्रह करेगी. रविवार को सभी श्रमिक संगठनों ने अलग-अलग बैठक और सभा कर हड़ताल में शामिल होने के लिए का आह्वान किया. एचइसी में श्रमिकों की मुख्य मांगों में वेतन पुनरीक्षण जल्द लागू करने, वरीय सप्लाई कामगारों का स्थायीकरण, समान काम का समान वेतन, भारत सरकार की मजदूर विरोधी नीति, 45 श्रम कानूनों को समाप्त करने की प्रवृत्ति आदि है.
क्या है प्रमुख मांगें
1. सार्वजनिक क्षेत्र, बैंक, बीमा एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को बेचना बंद करें.
2. सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें.
3. न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये किया जाये.
4. छह हजार रुपये सभी को पेंशन दी जाये.
5. महंगाई पर रोक लगे.
6. जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाले कॉरपोरेट घरानों के मालिकों को गिरफ्तार करें.
7. सामान काम के लिए सामान वेतन दें.
8. 45 एवं 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की अनुशंसा लागू करें.
9. सभी स्कीम वर्करों एवं अस्थायी मजदूरों को नियमित करें.
10. ठेकेदारी प्रथा बंद करें.
11. बैंकों में पर्याप्त नियुक्ति करें.
12. सभी के लिए जन वितरण प्रणाली चालू करें.
(इसके अतिरिक्त कुछ स्थानीय मांगें भी शामिल की गयी हैं)
क्या है मजदूर संगठनों का दावा
केंद्र और राज्य सरकार मजदूर विरोधी नीतियाें पर काम कर रही है. मजदूरों से वार्ता तक नहीं करना चाहती है. ऐसी सरकार को बदलने की जरूरत है. इसके लिए मजदूरों को सड़क पर आकर आंदोलन करना होगा.
पीके गांगुली, राज्य सचिव एटक
वर्तमान सरकार में संगठित से ज्यादा असंगठित मजदूर परेशान हैं. कंपनी हित में मजदूर श्रम कानून बनाये जा रहे हैं. इसका असर दिखने लगा है. इसके विरोध में एकजुट होकर आंदोलन करने की जरूरत है.
प्रकाश विप्लव, राज्य सचिव, सीटू

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