शिवशंकर मिश्र ने नहीं की पुरस्कार प्रभुओं की परवाह

रांची के वरिष्ठ साहित्यकार-कविता, गीत, गजल, मुक्तक के साथ ही नाटक, कहानी, व्यंग्य एवं आलोचना के क्षेत्र में अपनी अप्रतिम प्रतिभा से सबका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने वाले डॉ शिवशंकर मिश्र अब हमारे बीच नहीं रहे रहे. उन्होंने अनस्तरीय लेखन को कभी भी स्वीकार नहीं किया और न ही किसी पुरस्कार-प्रभुओं की परवाह की. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 25, 2018 9:24 AM
रांची के वरिष्ठ साहित्यकार-कविता, गीत, गजल, मुक्तक के साथ ही नाटक, कहानी, व्यंग्य एवं आलोचना के क्षेत्र में अपनी अप्रतिम प्रतिभा से सबका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने वाले डॉ शिवशंकर मिश्र अब हमारे बीच नहीं रहे रहे. उन्होंने अनस्तरीय लेखन को कभी भी स्वीकार नहीं किया और न ही किसी पुरस्कार-प्रभुओं की परवाह की. यही कारण है कि उनकी सर्जना का सही मायने में मूल्यांकन भी नहीं हुआ.
उन्होंने इन सारी बातों से बेपरवाह होकर अपना लेखन निरंतर जारी रखा. कुछ माह पूर्व अपने प्रिय कथाकार द्विजेंद्रनाथ मिश्र की शताब्दी वर्ष में हुई उपेक्षा से मर्माहत होकर उन पर केंद्रित एक पुस्तक की रचना तो की ही, साथ ही उनकी साहित्य जगत में हुई उपेक्षा की ओर भी वागर्थ पत्रिका के माध्यम से अपना पक्ष प्रखरता के साथ रखा. पुस्तक एवं पत्रिकाओं के संपादक के रूप में उनके अनुभव गहरे रहे हैं. जिस सत्य को प्राय: सभी स्वीकार करते रहे हैं. भाषा पर उनका असाधारण अधिकार रहा है. वे छंद को मुक्त छंद एवं गद्य कविता में बदलने की ताकत रखते थे. वे वहुपठित व्यक्ति थे.
बिना सोचे-समझे प्रतिक्रिया व्यक्त करने के पक्षधर कभी नहीं रहे. वे एक-एक शब्द का प्रयोग बहुत नाप-तौल कर करने के अभ्यासी थे. चाहे सृजन का क्षेत्र हो या वक्तव्य का, सर्वत्र सतर्कता बरतने की जैसे आदत सी पड़ गयी थी. उनकी पांडुलिपि तैयार करने की कला अद्भुत थी. लिखावट मोती के दाने के मानिंद प्रतीत होते थे. हिंदी साहित्य के लिए अनेक रोगों को आमंत्रित करनेवाले इस रचनाकार को कुछ नहीं मिला. यह हिंदी साहित्य का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा. हम बेईमान हैं कि हमें अपनों को भी सम्मान देना नहीं आता. बाद में याद कर जार-जार रोने से क्या होगा. जब वक्त रहते हम इनकी कीमत नहीं समझ पाते. इनकी श्रद्धांजलि हम कैसे और किस तरह दें, हमें समझ नहीं आता.
जसम ने शोक जताया
रांची. जन संस्कृति मंच रांची इकाई के संस्थापक सदस्यों में प्रमुख रहे वरिष्ठ साहित्यकार शिवशंकर मिश्र के निधन पर मंच के कई लोगों ने शोक व्यक्त किया है.
जन संस्कृति मंच के रविभूषण, विद्याभूषण, डॉ शंभु बादल, प्रो बलभद्र, रविरंजन, सोनी तिरिया, जेवियर कुजूर, लालदीप, गौतम सिंह मुंडा, जावेद इस्लाम तथा अनिल अंशुमन समेत आदि ने शोक व्यक्त किया है. इन्होंने कहा कि 1986-87 में जसम की रांची इकाई को संस्कृति के विविध मोर्चे पर सक्रिय बनाने में शिवशंकर मिश्र ने अहम भूमिका निभायी थी.

Next Article

Exit mobile version