रांची में लेबर अफसर मनोज कुमार के अपहरण का केस निकला झूठा

रांची :रांची के कडरू स्थित आनंद बिहार निवासी और ओरमांझी प्रखंड के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी (लेबर अफसर) मनोज कुमार का 22 मई को नामकुम थाना क्षेत्र से अपहरण नहीं हुआ था. वे जहां भी गये, अपनी मर्जी से गये थे. इसके पीछे किसी अपराधी का हाथ नहीं था. पुलिस की जांच रिपोर्ट में इस बात […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2018 7:01 AM
रांची :रांची के कडरू स्थित आनंद बिहार निवासी और ओरमांझी प्रखंड के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी (लेबर अफसर) मनोज कुमार का 22 मई को नामकुम थाना क्षेत्र से अपहरण नहीं हुआ था. वे जहां भी गये, अपनी मर्जी से गये थे. इसके पीछे किसी अपराधी का हाथ नहीं था. पुलिस की जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है.
पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि मनोज कुमार ने अपनी किसी निजी कमजोरी को छिपाने के लिए इतना बड़ा षड‍्यंत्र किया. पुलिस ने मनोज कुमार के अपहरण को लेकर नामकुम थाना में दर्ज केस को भी असत्य करार दिया है. उनके अपहरण को लेकर पत्नी पुष्पा गुप्ता की शिकायत पर चार अज्ञात अपराधियों के खिलाफ 23 मई को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
पुलिस ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि उनके मोबाइल के लोकेशन और बयान से साफ है कि मनोज कुमार का अपहरण नहीं हुआ था. उनका अपहरण अपराधियों ने किया होता, तब उन्हें ट्रेन से बांकुड़ा, हावड़ा व जमशेदपुर नहीं ले जाया जाता.
उन्होंने रेलवे स्टेशन पर करीब तीन घंटा समय बिताया. उनकी मुलाकात वहां पुलिसकर्मियों से भी हुई होगी. अगर उनका अपहरण कर उन्हें ले जाया जा रहा होता, तब वे पुलिस को देख शोर अवश्य मचाते.

सीडीआर से पकड़ी अपहरण की झूठी कहानी

केस के अनुसंधान में जुटी पुलिस ने 22 मई का मनोज कुमार के मोबाइल नंबर का सीडीआर निकला. तब पुलिस अधिकारियों को घटना की सच्चाई का पता चला. सीडीआर के अनुसार, मनोज कुमार के मोबाइल का लोकेशन 22 मई की दोपहर 1.38 बजे खिजरी के कोचोटोली में, 2.41 बजे पर नयाटोली नामकुम में और 4.28 बजे पर रांची रेलवे स्टेशन में था. उनके दूसरे मोबाइल का लोकेशन भी 12.42 बजे कडरू और 1.38 बजे खिजरी में था. 23 अगस्त को 5.29 बजे उनके मोबाइल का लोकेशन पाकुड़ का था. 24 मई की सुबह उनके मोबाइल का लोकेशन नामकुम थाना क्षेत्र के जामचुआं में था. जहां से उन्होंने फोन कर अपने मुक्त होने की जानकारी डायल 100 पर फोन कर पुलिस को दी. इसके बाद उन्हें बरामद कर थाना लाया गया और बयान लिया.
उन्होंने पुलिस को बताया कि वे 22 मई की दोपहर 1.20 बजे नामकुम प्रखंड कार्यालय पहुंचे. कार्यालय से बाहर निकलने के बाद उनकी मुलाकात एक अनजान व्यक्ति से हुई. उसने बताया था कि खरसीदाग के मूढ़ी फैक्ट्री में काम करनेवाले मजदूरों को मालिक उचित मजदूरी नहीं दे रहा है. वे बाइक से जांच करने फैक्ट्री पहुंचे, लेकिन वहां ताला बंद मिला. इसी दौरान पहले से खड़ी एक बोलेरो में सवार चार व्यक्ति उनसे यह पूछने के बाद कि लेबर अफसर तुम ही हो, जबरन गाड़ी में बैठा लिया और खूंटी जंगल की ओर ले गये. उन्होंने घटना की सूचना अपने मित्र और भाई को फोन पर दी. दूसरे दिन अपहरण कर उन्हें गाड़ी से ही तैमारा घाटी की ओर ले गये. तीसरे दिन उन्हें दो लोग नामकुम थाना क्षेत्र के रामपुर के पास ले गये और छोड़ दिया.

झूठ पकड़े जाने पर मनोज कुमार ने बदला बयान

केस के अनुसंधान के दौरान मनोज कुमार को लोकेशन और उनके बयान में भिन्नता होने पर उनसे दोबारा पूछताछ की गयी. तब उन्होंने बताया कि वह डोरंडा कार्यालय से 12.30 बजे नामकुम प्रखंड कार्यालय के निकले थे. उनके प्रखंड कार्यालय परिसर के बाहर दो अनजान व्यक्ति मिले. जिन्होंने उन पर खरसीदाग स्थित मूढ़ी फैक्ट्री की जांच के लिए दबाव बनाया. फैक्ट्री जांच के लिए पहुंचने पर उन्हें वहां पहले से बोलेरो में सवार चार लोग मिले. उनके कहने पर वह बाइक से ही खरसीदाग, वहां से ऑटो से सदाबहार चौक और वहां से डोरंडा नेपाल हाउस पहुंचे, जहां बोलेरो सवार चार लोगों ने उनका अपहरण कर लिया.
इसके बाद उन्हें रेलवे स्टेशन साथ ले गये और बाकुड़ा के लिए ट्रेन का टिकट लेकर मनोज कुमार को चार नंबर प्लेटफॉर्म पर भेज दिया. तीन घंटे प्लेटफॉर्म पर इंतजार करने के दौरान उन्होंने घटना की जानकारी अपने मित्र और दोस्त को दी. इसी बीच दो अपहरणकर्ता ने उनसे मोबाइल छीन लिया. इसी दौरान प्लेटफॉर्म पर ट्रेन पहुंच गयी और वह ट्रेन पर चढ़ कर सो गये. दो अपहरणकर्ता भी उनके साथ ट्रेन में सवार हो गये. सुबह उठने पर उन्हें पता चला कि वे बाकुड़ा स्टेशन पर हैं.
स्टेशन पर उनकी मुलाकात आरपीएफ से हुई. थोड़ी देर बाद उन्हें अपहरणकर्ता हावड़ा जाने के लिए कहने लगे. तब उन्होंने अपने पैसे से हावड़ा का टिकट कटवाया. इसके बाद तीनों हावड़ा स्टेशन पहुंचे. वहां से टाटा जाने के लिए गाड़ी तलाशने लगे. वे हावड़ा से दूसरे दिन करीब एक बजे टाटा स्टेशन पहुंचे. वहां से एक हाइवा गाड़ी और फिर ट्रक में बैठा कर उन्हें रांची लाया गया और जामचुआं के पास उतार कर मोबाइल वापस कर दिया. इसी दौरान उनकी मुलाकात नामकुम थाना पुलिस की गश्ती पार्टी से हुई. पर उन्होंने पुलिस को कुछ नहीं बताया और थोड़ा दूर आगे बढ़ने के बाद डायल 100 पर फोन कर पुलिस को सूचना दी. इसके बाद उन्हें नामकुम थाना लाया गया.

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