चावल मिलों ने सरकार का करीब 1.39 लाख क्विंटल चावल अब तक नहीं दिया

रांची : छह अगस्त तक के आंकड़े के मुताबिक चावल मिलों ने सरकार का करीब 1.39 लाख क्विंटल चावल अब तक नहीं दिया है. खरीफ मौसम 2017-18 में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जो धान खरीदा गया था, यह चावल उसी का है. धान लेकर चावल देने में विलंब करना या चावल नहीं देना, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 18, 2018 3:37 AM

रांची : छह अगस्त तक के आंकड़े के मुताबिक चावल मिलों ने सरकार का करीब 1.39 लाख क्विंटल चावल अब तक नहीं दिया है. खरीफ मौसम 2017-18 में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जो धान खरीदा गया था, यह चावल उसी का है. धान लेकर चावल देने में विलंब करना या चावल नहीं देना, राज्य में परंपरा सी बन गयी है. किसान हित के नाम पर चल रहा धान खरीद (राइस प्रोक्योरमेंट) कार्यक्रम चावल मिल मालिकों के हित में बदल गया है. कुछ जानकारों के अनुसार चावल देने में विलंब कर मिल मालिक अच्छी कमाई कर लेते हैं. चावल की खुले बाजार में बिक्री कर ऐसा किया जाता है.

गौरतलब है कि खरीफ मौसम 2012-2013 का 60 करोड़ रुपये मिल मालिकों ने अब तक नहीं दिया है. इधर, गत वर्ष (2017-18) का धान लेकर तय समय 30 जून पार हो जाने के बाद भी अभी चावल देना बाकी है. इससे पहले खाद्य आपूर्ति सचिव डॉ अमिताभ कौशल ने भी 19 अप्रैल को ही सभी उपायुक्तों को पत्र जारी कर चावल मिलों से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के गोदामों को चावल भेजने में गति लाने को कहा था. पर अब भी एफसीआइ को पूरा चावल मिलना बाकी है.
क्या है प्रक्रिया: सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदती है. लैंप्स, पैक्स व अन्य तय खरीद एजेंसियों के जरिये खरीदा गया यह धान सरकार की अोर से सूचीबद्ध मिलों को भेजा जाता है. मिलों में कुटाई के बाद कुल धान का 68 फीसदी चावल निकलता है. यानी 100 क्विंटल धान से 68 किलो चावल निकलता है. यह चावल मिलों द्वारा एफसीआइ के विभिन्न गोदामों में भेजा जाता है. बदले में एफसीआइ सरकार को चावल की कीमत का भुगतान करता है. इस तरह किसानों से धान खरीदने में खर्च हुआ फंड राज्य सरकार को वापस मिल जाता है.
ज्यादा चावल बकाया वाले मिल
नाम चावल की मात्रा (क्विंटल में)
मां देवड़ी राइस मिल बुंडू, रांची 38824.48
हजारीबाग राइस मिल, हजारीबाग 36695.46
मां कामाख्या राइस मिल, हजारीबाग 22440.82
विष्णु राइस मिल नगड़ी, रांची 10699.12

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