नहीं बिकेगा एचइसी, न कर्मचारियों की होगी छंटनी, डरें नहीं : भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते

अंजनी कुमार सिंह नयी दिल्ली : केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते ने कहा है कि एचइसी को किसी भी हाल में बेचा नहीं जायेगा. एचइसी घाटे में नहीं है. जितने अॉर्डर मिले हैं, उससे आनेवाले दिनों में एचइसी को लाभ होगा. प्रभात खबर से बातचीत में केंद्रीय मंत्री ने कहा, एचइसी के उत्थान को […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 21, 2018 6:23 AM
अंजनी कुमार सिंह
नयी दिल्ली : केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते ने कहा है कि एचइसी को किसी भी हाल में बेचा नहीं जायेगा. एचइसी घाटे में नहीं है. जितने अॉर्डर मिले हैं, उससे आनेवाले दिनों में एचइसी को लाभ होगा. प्रभात खबर से बातचीत में केंद्रीय मंत्री ने कहा, एचइसी के उत्थान को लेकर नीति आयोग ने एक रिपोर्ट बनायी है, जो सरकार के पास है. इसमें विनिवेश पर विचार किया जाना है. हालांकि अब-तक किसी तरह का कोई निर्णय नहीं हुआ है. यह पूछे जाने पर कि इस पर कब तक निर्णय ले लिया जायेगा, उन्होंने कहा : कई तकनीकी पहलू हैं, जिस पर विचार किया जाना है.
कर्मचारियों की छंटनी नहीं हाेगी
एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा : एचइसी के कर्मचारियों को न तो घबराने और न ही डरने की जरूरत है. यह पूछे जाने पर कि एेसी आशंका जतायी जा रही है कि विनिवेश सेकर्मचारियों की छंटनी भी हो सकती है, उन्होंने कहा : किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं हटाया जायेगा. सरकार कोई भी निर्णय एचइसीऔर कर्मचारियों के हित को देखते हुए लेगी.
स्वामित्व सरकार के पास रहेगा
यह पूछे जाने पर कि पिछले दिनों आपके हवाले से खबर आयी थी कि आपने एचइसी के बिकने का संकेत दिया है, उन्होंने कहा : सरकार किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को बेच नहीं रही है, उसका स्वामित्व अपने पास ही रख रही है. सरकार ने फायदे में चल रही ई कंपनियों में भी पांच से 15 फीसदी तक विनिवेश का फैसला लिया है. कुछ कंपनियों को उबारने के लिए उनका प्रबंधन निजी हाथों में भी साैंपने की प्रक्रिया शुरू की गयी है. लेकिन सभी में स्वामित्व सरकार के पास ही रहेगा.
घाटे में चल रहा एचइसी
दो बार बीआइएफआर में जा चुका है. वर्ष 1992 से 96 तक बीआइएफआर में था. दूसरी बार 2003 से 2006 तक बीआइएफआर में था
राज्य सरकार ने एचइसी की अार्थिक स्थिति में सुधार के उद्देश्य से 100 एकड़ जमीन के लिए उसे 743 करोड़ रुपये देने का फैसला किया था. 214 करोड़ रुपये अभी बकाया है
एचइसी वित्तीय वर्ष 2014-15 से घाटे में चल रहा है. दिसंबर 2017 तक घाटा 140 करोड़ रुपये होने का अनुमान है
एचइसी पर उसके कर्मचारियों का वेतन पुनरीक्षण मद का करीब 200 करोड़ रुपये बकाया है
कच्चा माल मद में 100 करोड़ का बकाया है. फिलहाल 1400 करोड़ का कार्यादेश है

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