और राशि मिले, तभी खत्म होगी समस्या

रांची : सेवानिवृत्त विवि शिक्षकों ने राज्य सरकार द्वारा पेंशन मद तथा छठे वेतनमान की तीसरी किस्त की बकाया राशि की स्वीकृति दिये जाने पर सरकार को धन्यवाद दिया है. मुख्यमंत्री सहित वित्त सचिव, उच्च शिक्षा सचिव, उच्च शिक्षा निदेशक को विशेष रूप से धन्यवाद दिया है. शिक्षक संघ के नेता डॉ बब्बन चौबे ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 19, 2018 8:05 AM
रांची : सेवानिवृत्त विवि शिक्षकों ने राज्य सरकार द्वारा पेंशन मद तथा छठे वेतनमान की तीसरी किस्त की बकाया राशि की स्वीकृति दिये जाने पर सरकार को धन्यवाद दिया है. मुख्यमंत्री सहित वित्त सचिव, उच्च शिक्षा सचिव, उच्च शिक्षा निदेशक को विशेष रूप से धन्यवाद दिया है. शिक्षक संघ के नेता डॉ बब्बन चौबे ने कहा है कि यह शिक्षक संघर्ष की जीत है.
उन्होंने कहा कि रांची विवि को पेंशन मद में 12 करोड़ रुपये दिये गये हैं, जबकि पेंशन भुगतान में प्रत्येक माह लगभग साढ़े सात करोड़ रुपये लगते हैं. फरवरी, मार्च में पेंशन भुगतान की समस्या बनी रहेगी. सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिए छठा वेतनमान एक जनवरी 2016 से लागू करने के लिए शिक्षा मंत्री व वित्त विभाग ने सहमति प्रदान कर दी है. डॉ चौबे ने कहा कि अभी भी शिक्षकों का लगभग तीन से 10 लाख रुपये बकाया है. डॉ चौबे ने कहा कि असाध्य रोगों से पीड़ित शिक्षकों के लिए सरकार अविलंब कोई व्यवस्था करे, ताकि उनका समुचित इलाज हो सके. 15 करोड़ रुपये के सहायता कोष की स्थापना की जाये. पांचवें वेतनमान तथा पीएचडी भत्ता के बकाये का भुगतान हो.
89 वर्षीय डॉ पांडेय लगा रहे हैं कोर्ट का चक्कर
रांची कॉलेज के प्राचार्य रहे अौर रांची विवि कुलगीत के रचयिता डॉ बीएन पांडेय एक अगस्त 1990 में सेवानिवृत्त हो गये. वर्तमान में उनकी उम्र लगभग 89 वर्ष नौ माह है. आज भी अपना बकाया लेने के लिए वह रांची विवि अौर हाइकोर्ट का चक्कर काट रहे हैं. विवि के अधिकारी कहते हैं कि कई मामलों में राशि का भुगतान कर दिया गया है, लेकिन जब डॉ पांडेय विवि के एकाउंट सेक्शन से विस्तृत जानकारी मांगते हैं, तो सेक्शन कोई भी जानकारी नहीं देता. सेक्शन ने किस बैंक में किस चेक द्वारा राशि भेजी, यही बता दे, लेकिन नहीं बता रहा है. बार-बार पता लगाने जाते हैं, लेकिन बैरंग वापस कर दिया जाता है. बकौल डॉ पांडेय अब वह हृदय रोग से पीड़ित हो गये हैं. चलने में भी दिक्कतें आ रही हैं. वृद्धावस्था के कई रोग से ग्रसित हो गये हैं. पैसे नहीं मिल रहे, जिससे कि अच्छे अस्पताल में सही ढंग से इलाज करा सकें. स्मरण शक्ति कम होती जा रही है. डॉ पांडेय कहते हैं कि अपने ही पैसे प्राप्त करने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा हूं.

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