जमीन अधिग्रहण किये बिना शुरू किया पुल का निर्माण कार्य, 1.18 करोड़ बर्बाद

रांची : जमीन का अधिग्रहण किये बिना पुल निर्माण कार्य आरंभ करने की वजह से सरकार के 1.18 करोड़ रुपये बर्बाद हो गये हैं. वर्ष 2012-13 में खौरी महुआ-धनवार-सरिया पथ पर 26वें किमी में बटलोहिया नदी पर 24 मीटर के पांच पाटों के उच्च स्तरीय पुल के निर्माण की योजना बनायी गयी थी. 123.04 मीटर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 17, 2017 9:47 AM

रांची : जमीन का अधिग्रहण किये बिना पुल निर्माण कार्य आरंभ करने की वजह से सरकार के 1.18 करोड़ रुपये बर्बाद हो गये हैं. वर्ष 2012-13 में खौरी महुआ-धनवार-सरिया पथ पर 26वें किमी में बटलोहिया नदी पर 24 मीटर के पांच पाटों के उच्च स्तरीय पुल के निर्माण की योजना बनायी गयी थी. 123.04 मीटर लंबे पुल निर्माण कार्य के लिए पथ निर्माण विभाग ने 6.10 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की थी.

प्रशासनिक अनुमोदन के मुताबिक 500 डिसमिल भूमि अधिग्रहित कर काम शुरू किया जाना था, लेकिन पथ निर्माण विभाग, कोडरमा के कार्यपालक अभियंता ने बिना भूमि अधिग्रहण के ही 6.26 करोड़ रुपये की प्राक्कलित लागत के कार्य की निविदा आमंत्रित कर दी. कार्य पूरा करने के लिए 6.16 करोड़ रुपये पर एक संवेदक को कार्य आबंटित कर दिया गया.

संवेदक को कार्यादेश निर्गत करने के बाद कार्यपालक अभियंता ने गिरिडीह के उपायुक्त से 2.07 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने का अनुरोध किया. इसके बाद बिरनी अनुमंडल के कार्यपालक अभियंता ने सूचित किया कि स्तंभ कार्य के कार्यान्वयन के बाद रैयती भूमि का अधिग्रहण नहीं होने की वजह से काम रोक दिया गया. महालेखाकार द्वारा की गयी जांच में यह भी सामने आया कि संवेदक ने रैयती जमीन का अधिग्रहण करने के बारे में कार्यपालक अभियंता को बार-बार सूचित किया था. अधिग्रहण नहीं होने की वजह से 15 महीनों तक काम रुका रहा. नवंबर 2013 से जनवरी 2016 तक संवेदक को 1.18 करोड़ रुपये का निष्फल भुगतान किया गया.महालेखाकार द्वारा पूछे जाने पर कार्यपालक अभियंता ने कहा कि पुल निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण का प्रयास किया जा रहा है.

महालेखाकार ने कार्यपालक अभियंता के कृत्य और उत्तर को स्वीकार योग्य नहीं बताया है. उनका कहना है कि भूमि अधिग्रहण के बिना कार्य प्रारंभ करना झारखंड लोक कार्य विभाग संहिता और संविदा की शर्तों का उल्लंघन है. बिना भूमि अधिग्रहण के कार्य आरंभ करने की वजह से पुल निर्माण के वांछित उद्देश्यों को प्राप्त नहीं किया जा सका.

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