Holi 2021 : औषधीय गुणों से भरपूर पलाश के फूल से ऐसे तैयार करें रंग, खेलें सुरक्षित होली

Holi 2021, Jharkhand News, रामगढ़ न्यूज (धनेश्वर प्रसाद) : होली रंगों का त्योहार है. रंगों के इस त्योहार में सिंदूरी लाल पलाश के फूल का जिक्र न हो, ऐसा संभव नहीं है क्योंकि लंबे समय से इसके फूलों का प्रयोग रंग बनाने के लिए किया जाता रहा है. हालांकि वर्तमान समय में कृत्रिम रासायनिक रंगों की सुलभता ने लोगों को प्रकृति से काफी दूर कर दिया है. औषधीय गुणों से भरपूर पलाश के फूल न सिर्फ गुणकारी हैं, बल्कि इससे तैयार रंगों से होली खेलना सुरक्षित भी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2021 3:22 PM

Holi 2021, Jharkhand News, रामगढ़ न्यूज (धनेश्वर प्रसाद) : होली रंगों का त्योहार है. रंगों के इस त्योहार में सिंदूरी लाल पलाश के फूल का जिक्र न हो, ऐसा संभव नहीं है क्योंकि लंबे समय से इसके फूलों का प्रयोग रंग बनाने के लिए किया जाता रहा है. हालांकि वर्तमान समय में कृत्रिम रासायनिक रंगों की सुलभता ने लोगों को प्रकृति से काफी दूर कर दिया है. औषधीय गुणों से भरपूर पलाश के फूल न सिर्फ गुणकारी हैं, बल्कि इससे तैयार रंगों से होली खेलना सुरक्षित भी है.

लोग रासायनिक रंगों से होने वाले नुकसान को समझ नहीं पा रहे हैं. ऐसे में सेहत पर पड़ रहे बुरे प्रभाव से बचने के लिए लोगों को इन फूलों के महत्ता समझने की आवश्यकता है. वर्षों पूर्व पलाश के इन फूलों से बने रंगों से क्षेत्र में होली खेली जाती थी. इससे शरीर को किसी तरह का नुकसान नहीं होता था, बल्कि इसके इस्तेमाल से इसके औषधीय गुण शरीर के लिए फायदेमंद होते थे. कहा जाता है कि ऋतुराज बसंत की सुंदरता पलाश के फूल के बगैर पूर्ण नहीं होती. इसके फूल को बसंत का श्रृंगार माना जाता है.

Also Read: Ration Card News : एसडीओ ने राशन डीलरों को दी हिदायत, दो दिनों में सभी राशन कार्ड नहीं हुए आधार से लिंक, तो होगी कार्रवाई

फाल्गुन के महीने में इसके फूल दीपक की लौ की तरह नजर आते हैं. झारखंड का राजकीय फूल पलाश है. इसमें कई औषधीय गुणों की भरमार है. पलाश का फूल खिलते ही जंगलों की सुंदरता देखने लायक हो जाती है. साथ ही सुंदर और मनमोहक फूल होली आने का संकेत भी है.

पलाश के फूल से रंग बनाने के लिए फूल को सबसे पहले अच्छी तरह सुखा लें. फिर सूखे फूलों को पानी में डालकर दो दिनों तक छोड़ दें. इस बीच अपने आप पानी का रंग लाल हो जाएगा. इस गहरे रंगीन पानी में और भी पानी मिलाकर होली खेलने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

Also Read: Jharkhand Crime News : डायन बिसाही में हुए नरसंहार में बची परिवार की इकलौती बिटिया अंजली की परवरिश करेगी गुमला CWC, समाज कल्याण विभाग की ये है तैयारी

पलाश आयुर्वेद में टॉनिक और एंथेलमिंटिक (आंतों के कीड़ों को मारने वाली दवा) के रूप में भी उपयोग किया जाता है. आयुर्वेदिक ग्रंथ में आचार्य चरक और सुश्रुत ने पलाश के बीज और छाल के औषधीय गुणों के बारे में बताया है. पलाश में सूजन को कम करने वाले, सूक्ष्म-कीटाणु नाशक, एंथेलमिंटिक, एंटी-डाइबेटिक, मूत्रवर्धक, दर्दनाशक और ट्यूमर-रोधी गुण होते हैं. इसकी पत्तियां एस्ट्रिजेंट, मूत्रवर्धक और एंटी ओव्यूलेटरी गुणों से भरपूर होती हैं. इसके फूल टॉनिक और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और इसकी जड़ें रतौंधी के इलाज में उपयोगी हैं. इसके सभी हिस्सों का उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों और विकारों के इलाज के लिए किया जाता है.

दिगवार निवासी चेतलाल महतो (85 वर्ष), बुद्धदेव महतो (80 वर्ष) एवं सांडी निवासी बिगु महतो (83 वर्ष) कहते हैं कि पलाश का फूल हर मामले में गुणकारी है. यह कई प्रकार के चर्म रोगों में भी लाभप्रद है. हल्के गुनगुने पानी में डालकर सूजन वाली जगह पर धोने से सूजन कम होता है. इसके पत्ते, टहनी, फली और जड़ तक का आयुर्वेदिक महत्व है. पहले लोग इसके लट्ठे यानी गोंद को किसी चीज को चिपकाने में इस्तेमाल करते थे. इसकी दातुन से मुंह धोने से दांत भी मजबूत होते थे, पर ये पेड़ अब नाम मात्र के ही जहां-तहां दिखाई पड़ते हैं.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Next Article

Exit mobile version