बेटा नहीं हुआ, तो पति ने चेहरे पर फेंक दिया तेजाब, दर्द भरी दास्तां सुनाते हुए रो पड़ीं पलामू निवासी रिंकू देवी

अब सरकार से है आस रांची : रिंकू देवी ने बताया कि वर्ष 2011 में उनकी शादी बलराम साव से हुई थी. उस वक्त उनकी उम्र 17 साल थी. शादी के बाद सब ठीकठाक चल रहा था. कुछ साल बाद उन्हें दो बेटियां हुईं. उसके बाद से ही ससुरालवालों का व्यवहार बदल गया. पति भी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 15, 2019 6:56 AM
अब सरकार से है आस
रांची : रिंकू देवी ने बताया कि वर्ष 2011 में उनकी शादी बलराम साव से हुई थी. उस वक्त उनकी उम्र 17 साल थी. शादी के बाद सब ठीकठाक चल रहा था. कुछ साल बाद उन्हें दो बेटियां हुईं. उसके बाद से ही ससुरालवालों का व्यवहार बदल गया.
पति भी वंश बढ़ाने की बात करता था. 29 अप्रैल 2018 को मंदिर में पूजा करने के बहाने जब उनका पति और परिवार वाले कहीं जा रहे थे, तभी उन पर तेजाब फेंक दिया गया. रिंकू यह नहीं बता पा रहीं कि एसिड अटैक के बाद किसने उन्हें अस्पताल पहुंचाया. होश आने पर वह दर्द से कराह रही थीं. चेहरा बदसूरत हो चुका था. पहले रिम्स में इलाज चला. इसके बाद देवकमल अस्पताल लाया गया, जहां डॉ अनंत सिन्हा ने उनका इलाज किया.
अपनी पीड़ा बताते हुए रिंकू देवी रो पड़ीं, लेकिन उसका उत्साह आज भी कम नहीं हुआ है. वह बताती हैं कि जिन दो बेटियों को लेकर उनपर तेजाब से हमला किया गया. जान से मारने की कोशिश की गयी, उन बेटियों को वे अफसर बनाना चाहती हैं.
वे अपने पति और ससुराल वालों के सामने मिसाल पेश करना चाहती हैं. वह समाज के लोगों को बताना चाहती है कि लड़कियां भी कम नहीं है. लड़का को ही प्राथमिकता क्यों दिया जाता है. रिंकू ने सरकार से गुहार लगायी है कि उन्हें कहीं काम दिला दिया जाये, ताकि वे अपनी दोनों बेटियों को पढ़ा सकें. उन्होंने बताया कि सरकार ने उनके इलाज में तीन लाख रुपये की मदद दी थी, लेकिन वह राशि भी अब खत्म हो चुकी है.
महिला आयोग से कड़ी सजा दिलाने की लगायी गुहार : डॉ अनंत सिन्हा : देवकमल अस्पताल के संचालक व प्लास्टिक सर्जन डॉ अनंत सिन्हा ने बताया कि वह 11 दिसंबर 2018 को महिला आयाेग की अध्यक्ष कल्याणी शरण के नाम पत्र लिखा था.
पत्र के माध्यम से पलामू निवासी रिंकू देवी व गिरिडीह की बीना देवी कुमारी पर जिन लोगों ने तेजाब फेंका था, उनपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसी महिलाआें काे सामाजिक सुरक्षा प्रदान किया जाये. कड़ी से कड़ी सजा मिले, ताकि दोबारा कोई ऐसा कार्य नहीं करे. पत्र भेजे एक माह हो गया है, लेकिन महिला आयोग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

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