NFHS-5 Jharkhand: स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा सुधार, अब अस्पतालों में होते हैं 75.8 फीसदी प्रसव

NFHS-5 Jharkhand: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 में कई अच्छी चीजें सामने आयीं हैं. झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है. संस्थागत प्रसव बढ़े हैं. आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं. आप भी पढ़ें...

By Mithilesh Jha | December 13, 2021 4:19 PM

रांची: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के पांचवें संस्करण (NFHS-5) में झारखंड के लिए अच्छी खबर है. झारखंड में अब 75.8 फीसदी प्रसव अस्पतालों में हो रहे हैं. पहले यह आंकड़ा 61.9 फीसदी था. NFHS-5 की ताजा रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2020-21 के सर्वे में भाग लेने वाले लोगों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 73.1 फीसदी प्रसव अस्पतालों में हुए, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 89.1 फीसदी रहा.

सर्वेक्षण में जिन लोगों ने अपनी राय दी, उनमें से 56.8 फीसदी ने कहा कि उन्होंने सरकारी संस्थानों में बच्चे को जन्म दिया. इसमें 58.8 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र के लोग थे, जबकि शहरों में यह संख्या 47.3 फीसदी रही. यानी आज भी शहरों में लोग प्रसव के लिए प्राइवेट अस्पतालों में जा रहे हैं. वर्ष 2015-16 में जब NFHS-4 की रिपोर्ट आयी थी, तब 41.8 फीसदी अस्पतालों में ही प्रसव की सुविधा उपलब्ध थी.

झरखंड में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की देखरेख में पांच साल पहले 8 फीसदी प्रसव घर में कराये जाते थे. अब यह संख्या बढ़कर 8.4 फीसदी हो गयी है. शहरी क्षेत्रों में 4.2 फीसदी प्रसव घरों में स्वास्थ्यकर्मियों की निगरानी में होते हैं, तो गांवों में यह आंकड़ा दोगुना से भी ज्यादा 9.3 फीसदी है.

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NFHS-5 की रिपोर्ट में संतोषजनक बात यह है कि 82.5 फीसदी बच्चों के जन्म के वक्त कोई न कोई कुशल हेल्थ वर्कर वहां मौजूद रहता है. शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 92.6 फीसदी है, तो गांवों में 80.5 फीसदी. पांच वर्ष पहले यह आंकड़ा 69.6 फीसदी ही था.

सिजेरियन डिलीवरी का बढ़ा चलन

झारखंड में सिजेरियन डिलीवरी का चलन बढ़ गया है. पांच वर्ष पहले यानी वर्ष 2015-16 में आयी NFHS-4 की रिपोर्ट में बताया गया था कि राज्य में 9.9 फीसदी बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हुआ. अब वर्ष 2020-21 में आयी NFHS-5 की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 12.8 फीसदी बच्चों का जन्म ऑपरेशन (सिजेरियन सेक्शन) से हुआ. आंकड़े बताते हैं कि गांवों में भी 10.2 फीसदी बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हो रहा है, जबकि शहरों में 25.8 फीसदी सिजेरियन सेक्शन डिलीवरी हो रहे हैं.

निजी अस्पतालों में 46.7 फीसदी सिजेरियन डिलीवरी

NFHS-5 के डाटा पर गौर करेंगे, तो पायेंगे कि झारखंड में निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी के मामले बढ़े हैं. वर्ष 2015-16 में प्राइवेट हॉस्पिटल्स में 39.5 फीसदी बच्चों का जन्म सर्जरी से होता था, जो अब बढ़कर 46.7 फीसदी हो गया है. गांवों और शहर का अंतर भी मामूली रह गया है. शहरों के निजी अस्पतालों में 47.7 फीसदी बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हुआ, तो गांवों में 46.1 फीसदी का.

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सरकारी अस्पतालों में भी सिजेरियन डिलीवरी के मामले बढ़े हैं. लेकिन, निजी अस्पतालों की तुलना में यह अब भी बहुत कम है. वर्ष 2015-16 में जो तथ्य दिये गये थे, उसमें बताया गया था कि सरकारी अस्पतालों में 4.6 फीसदी बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हुआ. अब 7 फीसदी बच्चों के जन्म में सिजेरियन सेक्शन का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. शहरों में स्थित सरकारी अस्पतालों में 12.4 फीसदी सिजेरियन डिलीवरी हो रही है, तो गांवों में 6.1 फीसदी.

Posted By: Mithilesh Jha

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