झारखंड: 18.88 हजार जॉबकार्ड धारकों में सिर्फ 202 को ही मिला 100 दिन का काम, मनरेगा से मजदूरों का हो रहा मोहभंग

लोहरदगा जिले के कुड़ू प्रखंड की 14 पंचायतों में मनरेगा के तहत निबंधित जॉबकार्ड धारकों की संख्या 18 हजार 88 हैं जबकि कुल निबंधित मजदूरों की संख्या 34506 है. इसमें आदिवासी मजदूरों की संख्या 8 हजार तीन सौ 94, हरिजन मजदूरों की संख्या 1134 है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 2, 2023 12:51 AM

कुड़ू (लोहरदगा), अमित. मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर गठित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम से मजदूरों का मोहभंग होता जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2022- 2023 में प्रखंड की 14 पंचायतों में मनरेगा से निबंधित 18 हजार 88 जॉबकार्ड धारकों में महज दो सौ दो जाब कार्ड धारकों को एक साल में 100 दिन का रोजगार मिला. कई निबंधित मजदूर रोजगार की तलाश में सपरिवार दूसरे प्रदेशों में पलायन कर चुके हैं. आलम यह है कि मनरेगा से संचालित विकास योजनाओं में मजदूर रोजगार नहीं करना चाहते हैं. कड़ी मशक्कत के बाद मनरेगा के तहत चयनित रोजगार सेवक, मनरेगा मेट तथा मनरेगाकर्मी मजदूरों को काम में लगातें हुए विकास योजनाओं को ससमय पूर्ण कराते हैं.

मनरेगा की स्थिति

बताया जाता है कि लोहरदगा जिले के कुड़ू प्रखंड की 14 पंचायतों में मनरेगा के तहत निबंधित जॉबकार्ड धारकों की संख्या 18 हजार 88 हैं जबकि कुल निबंधित मजदूरों की संख्या 34506 है. इसमें आदिवासी मजदूरों की संख्या 8 हजार तीन सौ 94, हरिजन मजदूरों की संख्या 1134 है, ओबीसी मजदूरों की संख्या सात हजार पांच सौ 80 कुल 17 हजार एक सौ 8 है तथा अन्य कई मजदूरों की संख्या 17 हजार है. निबंधित मजदूरों में पिछले वित्तीय वर्ष में काम मांगने के लिए आवेदन 6 हजार 9 सौ 18 मजदूर परिवारों ने मनरेगा के कर्मियों को दिया था, जबकि काम मिला 11 हजार 9 सौ 93 मजदूर परिवारों को. मनरेगा में मजदुूरों को रोजगार देने में प्रखंड के अति पिछड़े सलगी पंचायत सबसे आगे हैं, जहां पिछले वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक 79 जॉबकार्ड धारकों को एक साल में एक सौ दिन का रोजगार दिया गया साथ ही निबंधित जॉब कार्ड धारकों 14 सौ 37 में लगभग पांच सौ जॉबकार्ड धारकों को साल में 90 दिनों से लेकर 95 दिनों का रोजगार मिल चुका है.

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मनरेगा से 200 से अधिक विकास योजनाओं का हो रहा संचालन

प्रखंड के 14 पंचायतों में मनरेगा से पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 200 से अधिक विकास योजनाओं का संचालन किया गया इसमें बिरसा मुंडा हरित क्रांति योजना के तहत वृक्षारोपण, जमीन समतलीकरण, सिंचाई कुप खुदाई कार्य, डोभा निर्माण, तालाब जिर्णोद्धार, रिचार्ज पीट निर्माण, टीसीबी निर्माण, कच्ची नाली निर्माण तथा अन्य वैसे विकास योजनाओं जिम्मे बजट राशि का 60 प्रतिशत राशि मजदूरो में 40 प्रतिशत राशि सामाग्री में खर्च किया गया. बावजूद इसके मनरेगा से निबंधित मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पाया. आज भी प्रखंड से मजदूर सपरिवार रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों में पलायन कर रहे हैं.

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मजदूर काम मांगे, प्रशासन काम देगा : बीडीओ

बीडीओ मनोरंजन कुमार ने बताया कि मनरेगा एक कानून है. अधिनियम के तहत मजदूरों को रोजगार मांगने आए लिए आवेदन देना होगा, आवेदन देने के 15 दिनों के भीतर मजदूरो को रोजगार देना प्रखंड प्रशासन का काम है. नहीं देने पर बेरोजगारी भत्ता तब तक दिया जायेगा, जब तक काम मांगने वाले मजदूर को रोजगार नहीं उपलब्ध कराया जायेगा. मनरेगा में मजदूरों को काम देने के लिए प्रखंड कर्मी लगे हुए हैं मजदूर काम करें तभी ना.

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