किस्को में खेल मैदान की कमी, बढ़ी परेशानी
प्रखंड में खेल मैदानों की कमी खिलाड़ियों के विकास में एक बड़ी बाधा बनी हुई है.

किस्को. प्रखंड में खेल मैदानों की कमी खिलाड़ियों के विकास में एक बड़ी बाधा बनी हुई है. यहां खेल प्रतिभाएं तो हैं, लेकिन समुचित सुविधाओं के अभाव में वे आगे नहीं बढ़ पातीं. खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए उबड़-खाबड़ मैदान या खेत-खलिहानों में खेलना पड़ता है, जिससे वे अक्सर चोटिल हो जाते हैं. सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में खेल मैदानों के निर्माण के लिए योजनाएं चलाईं, लेकिन सही देखरेख और समतलीकरण के अभाव में ये मैदान खिलाड़ियों के उपयोग के लायक नहीं बन सके. मनरेगा और खेल विभाग की सहायता से इन मैदानों का निर्माण हुआ, परंतु गुणवत्तापूर्ण कार्य न होने से वे बेकार साबित हो रहे हैं. चेंजिंग रूम और शौचालय का भी निर्माण किया गया, लेकिन इनकी स्थिति दयनीय बनी हुई है. लगभग 3.94 लाख रुपये की लागत से मैदान निर्माण और 2 लाख रुपये की लागत से समतलीकरण का कार्य कराया गया, परंतु 2021-22 की योजना खिलाड़ियों के लिए लाभकारी सिद्ध नहीं हो सकी. स्थानीय खिलाड़ी जैसे अरुण सिंह, राहुल साहू, सूरज वर्मा, अनुज सिंह, निखिल भगत आदि ने बताया कि उन्हें अभ्यास के लिए खेतों में खेलना पड़ता है, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बार-बार चोट लगने के कारण उनका खेल प्रभावित होता है. यदि गांव स्तर पर उचित खेल मैदानों की व्यवस्था हो जाए, तो उनकी खेल प्रतिभा को निखरने का अवसर मिलेगा. यह समस्या केवल किस्को तक सीमित नहीं है, बल्कि कई अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी खेल मैदानों की कमी के कारण युवा खिलाड़ियों को संघर्ष करना पड़ रहा है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि खिलाड़ियों को समुचित सुविधाएं उपलब्ध हो सकें और वे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल का प्रदर्शन कर सकें।
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