अस्पतालों में लापरवाही जारी, कहीं केंद्र बंद तो कहीं डॉक्टर गायब
कोरोना के बाद मिले संसाधनों के बावजूद सुधार की रफ्तार धीमी, मरीजों की जिंदगी खतरे में
कोरोना के बाद मिले संसाधनों के बावजूद सुधार की रफ्तार धीमी, मरीजों की जिंदगी खतरे में चंद्रप्रकाश सिंह, लातेहार जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ और व्यवस्थित करने के लिए जिला प्रशासन व राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है. बावजूद इसके, जमीनी स्तर पर हालात सुधरते नजर नहीं आ रहे हैं. जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंडों तक के अस्पतालों में लापरवाही और अव्यवस्था की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. कोरोना काल के बाद स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त संसाधन, दवाएं, उपकरण और जनशक्ति उपलब्ध करायी गयी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. कहीं अस्पतालों में ताले लटक रहे हैं, तो कहीं डॉक्टर और कर्मी देर से पहुंचते हैं. वहीं, कई जगह घटिया सामग्री के उपयोग से मरीजों की सेहत पर संकट मंडरा रहा है. केस स्टडी-1 : सदर अस्पताल में लापरवाही, दो दिन में टूट गया प्लास्टर लातेहार के सबसे बड़े सदर अस्पताल में इलाज के नाम पर मरीजों के साथ खिलवाड़ हो रहा है. जिला परिषद सदस्य विनोद उरांव की पत्नी का दाहिना पैर टूटने के बाद 22 अक्टूबर को अस्पताल में प्लास्टर ऑफ पेरिस किया गया था. लेकिन महज दो दिन बाद ही प्लास्टर टूट गया. जब जिप सदस्य अस्पताल पहुंचे और शिकायत की, तो कर्मियों के पास संतोषजनक जवाब नहीं था. मरीजों का कहना है कि अस्पताल में घटिया सामग्री का प्रयोग आम बात हो गयी है. केस स्टडी-2 : प्रसव पीड़ा से तड़पती रही महिला, बंद मिला आयुष्मान मंदिर चंदवा प्रखंड के चकला आरोग्य आयुष्मान मंदिर में लापरवाही की हद पार हो गयी. गांव की गर्भवती महिला सोनिया देवी (पति बबलू गंझू) 1 नवंबर की सुबह इलाज कराने पहुंची, लेकिन केंद्र बंद मिला. तीन घंटे तक महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती रही. बाद में विधायक प्रतिनिधि विजय दुबे की पहल पर एएनएम सुबह सात बजे पहुंची, तब तक महिला को मजबूरन नगर स्थित आयुष्मान मंदिर जाना पड़ा. केस स्टडी-3 : केंद्र बंद रहने से नवजात की मौत लातेहार सदर प्रखंड के परसही पंचायत के सोतम गांव की गर्भवती महिला सोहबतिया देवी (पति कामेश सिंह) को दो नवंबर को प्रसव पीड़ा हुई. परिजन उसे होटवाग स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, लेकिन केंद्र में ताला लटक रहा था। करीब दो घंटे तक महिला केंद्र के बाहर तड़पती रही. बाद में परिजन उसे लातेहार सदर अस्पताल लाए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. नवजात ने जन्म के दौरान दम तोड़ दिया. केस स्टडी-4 : बालुमाथ अस्पताल में दोपहर तक डॉक्टर नदारद 3 नवंबर को बालुमाथ प्रखंड अस्पताल में दोपहर 12 बजे तक कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था. इलाज कराने आए मरीज और उनके परिजन आक्रोशित हो उठे और अस्पताल परिसर में हंगामा करने लगे. मामले की जानकारी मिलने पर सांसद प्रतिनिधि प्रेम गुप्ता ने हस्तक्षेप किया. इसके बाद दोपहर के बाद डॉक्टर अस्पताल पहुंचे और इलाज शुरू किया. सवाल खड़े कर रही है स्वास्थ्य तंत्र की सुस्ती इन मामलों ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.जनता का कहना है कि जब जिला मुख्यालय में यह हाल है, तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं.लोगों ने जिला प्रशासन से तत्काल कार्रवाई और अस्पतालों में नियमित निगरानी की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.
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