Jharkhand: चार साल पहले हुआ MOU, नहीं मिली जमीन, अब तक शुरू नहीं हो सका NIMR का रिसर्च यूनिट

आइसीएमआर- राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान को झारखंड में स्टेट मॉडल रूरल हेल्थ रिसर्च यूनिट स्थापित करने के लिए जमीन नहीं मिल रही है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग झारखंड और केंद्रीय स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय के बीच चार साल पहले ही एमओए हुआ था.अब भी रिसर्च यूनिट नहीं बन सका.

By Prabhat Khabar | June 20, 2022 1:19 PM

बिपिन सिंह

Jharkhand News Update : आइसीएमआर- राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान को झारखंड में स्टेट मॉडल रूरल हेल्थ रिसर्च यूनिट स्थापित करने के लिए जमीन नहीं मिल रही है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग झारखंड और केंद्रीय स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय के बीच चार साल पहले ही एमओए हुआ था. इसकी स्थापना के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अनगड़ा को उपयुक्त जगह बतायी गयी थी. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को निर्माण का जिम्मा मिला था. अनगड़ा सीएचसी की जिस जमीन पर रिसर्च यूनिट को स्थापित किया जाना है, वहां अस्पताल तो बना, पर जमीन का हस्तांतरण नहीं हो पाया है. जमीन का मालिकाना हक अभी भी मूल रैयतों के पास ही है. ऐसे में यूनिट को लेकर पेच फंस गया. बता दें कि एनआइएमआर के पास दिल्ली में प्रयोगशालाओं का नेटवर्क है, जो मलेरिया के पहलुओं पर शोध कर रहा है.

केंद्र सरकार करती है खर्च

मलेरिया के प्रभाववाले क्षेत्रों में 10 क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं हैं, जो नयी तकनीक और परीक्षण आधार पर काम करती हैं. इस यूनिट में आरएनए एक्सट्रैक्टर और नेक्स्ट जेनरेशन (एनजीएस) एडवांस जांच की मशीनें लगेंगी. इसके अलावा साइटोकाइन मशीन भी लगेगी, जो शरीर की प्रतिरोक्षक क्षमता का पता लगाती है. फ्लोसाइटोमैट्री मशीन जो कोशिकाओं की जांच कर बीमारियों का पता लगाती है.

रिम्स के साथ मिलकर शोध है लक्ष्य

अनगड़ा के इस आधुनिक रिसर्च लैब में अनुसंधान के लिए सारी सुविधाएं मौजूद रहेंगी. खास बात यह है कि लैब में जांच और शोध संक्रमित क्षेत्रों में जाकर हो सकेगा. इसमें मलेरिया, जापानी इंसफेलाइटिस व कोरोना के बाद उत्पन्न गंभीर बीमारियों के वायरस पर भी शोध हो सकेगा. इससे जुटाये आंकड़ों को रिम्स के साथ भी साझा करने की योजना है. अनगड़ा सीएचसी की जमीन पर लैब की स्थापना होनी थी, लेकिन पता चला कि उस जमीन का मालिकाना अब तक सीएचसी को ही नहीं मिला है. फिलहाल यहां एक कमरे में लैब के कई उपकरण रखे गये हैं, जो जंग खा रहे हैं.

क्या होता फायदा

इस लैब में मलेरिया, जापानी इंसफेलाइटिस व कोरोना के बाद उत्पन्न गंभीर बीमारियों के वायरस पर शोध होना है.

दान में मिली थी तीन एकड़ 29 डिसमिल जमीन

गोंदली पोखर के समाजसेवी व जमींदार के वंशजों ने तीन एकड़ 29 डिसमिल जमीन अस्पताल को दान दी थी, लेकिन उस वक्त के बाद से इसकी कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. 2008 में जब मॉडल सीएचसी का शिलान्यास हो रहा था, तो मामला प्रकाश में आया था कि उक्त जमीन का मालिकाना हक सरकार के पास नहीं है. हालांकि, वंशजों ने अनापत्ति जताते हुए अस्पताल परिसर में महेश चौधरी की प्रतिमा लगाने की मांग की थी, तब से लेकर इस मामले में स्थिति एक जैसी है.

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