माझी परगना महाल ने निर्णय पर पुनर्विचार का किया अनुरोध, दी चेतावनी

जमशेदपुर : दलमा पहाड़ी के रिसोर्ट में बुधवार को कोल्हान क्षेत्र पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के प्रमुख माझी-परगना में जुटान हुआ. इसमें धाड़, कुचूंग, बरहा, पातकोम एवं सीञ दिशोम के करीब 120 माझी व परगना शामिल हुए. माझी-परगना के इस गेट टूगेदर में पारंपरिक, सामाजिक, शैक्षणिक, राजनैतिक समेत वर्तमान ज्वलंत मुद्दों पर गहन विचार विमर्श किया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 28, 2019 6:47 AM
जमशेदपुर : दलमा पहाड़ी के रिसोर्ट में बुधवार को कोल्हान क्षेत्र पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के प्रमुख माझी-परगना में जुटान हुआ. इसमें धाड़, कुचूंग, बरहा, पातकोम एवं सीञ दिशोम के करीब 120 माझी व परगना शामिल हुए. माझी-परगना के इस गेट टूगेदर में पारंपरिक, सामाजिक, शैक्षणिक, राजनैतिक समेत वर्तमान ज्वलंत मुद्दों पर गहन विचार विमर्श किया गया. इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जंगल में बसे आदिवासियों को बेदखल करने का फैसला दिया गया है.
इस पर अविलंब पुनर्विचार होना चाहिए. सत्ताधारी पार्टी न्यायपालिका को साथ रखकर साजिश के तहत आदिवासियों के अस्तित्व को मिटाने पर तुली हुई है. इसे आदिवासी समुदाय किसी भी कीमत पर बरदाश्त नहीं करेगा. आदिवासी समाज सिद्दो-कान्हू, चांद-भैरव, बाबा तिलका माझी व बिरसा मुंडा के वशंज हैं. सरकार फैसले को वापस लेेने की दिशा में अविलंब पहल करे, अन्यथा आदिवासी समाज अपने पूर्वजों के रास्ते पर चलने के बाध्य होगा.
वक्ताओं ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट आदिवासी समुदाय को देश का असली नागरिक मानती है. फिर उसे ही जंगल से बेदखल कर घर से बेघर करना चाहती है. यह समझ से परे है. फैसले को अविलंब वापस लिया जाये, अन्यथा ग्रामसभा केंद्र व राज्य सरकार के किसी भी योजनाओं को धरातल पर कार्यान्वित नहीं होने दिया जायेगा. विगत 70 सालों से सभी राजनीतिक पार्टियों ने आदिवासी सामज के संसाधनों को लूटने व सामाजिक व्यवस्था को तोड़ने का काम किया.
यदि अब भी आदिवासियों के साथ धोखा व छलकपट जारी रहेगा तो समाज वैसे राजनैतिक संगठनों को सबक सिखाने का काम करेगा. आवश्यकता पड़ी तो किसी भी राजनैतिक पार्टियों को गांव में घुसने नहीं दिया जायेगा. गेट टूगेदर में जुगसलाई तोरोफ परगना दसमत हांसदा, ललित मुर्मू, हरिपदो मुर्मू, मंगल चंद्र टुडू, सुशील हांसदा, पुनता मुर्मू, युवराज टुडू, दुर्गाचरण मुर्मूू, बीरसिंह बास्के, परिक्षित मुर्मू, सुकराम किस्कू, दीपक मुर्मू, सीमल मुर्मू, मधु सोरेन, सुमित्रा किस्कू, नवीन मुर्मू, सीताराम मार्डी, रामराय हांसदा समेत करीब 120 प्रतिनिधि पहुंचे थे.

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