इचाक : सूर्य मंदिर तालाब में छठ पूजा पर उमड़ेगा आस्था का जनसैलाब

– संवत 1810 में रामगढ़ राजा बागदेव और सिंहदेव ने सूर्यमंदिर का कराया था निर्माण रामशरण शर्मा@इचाक लोक आस्था व सूर्य उपासना का महापर्व छठ में इचाक के परासी पंचायत के धनगरपाला स्थित सूर्य मंदिर तालाब में अर्घ्‍य देने का अलग महत्व है, यहां के सूर्य मंदिर का निर्माण रामगढ़ के राजा सिंहदेव और बागदेव […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 11, 2018 8:06 PM

– संवत 1810 में रामगढ़ राजा बागदेव और सिंहदेव ने सूर्यमंदिर का कराया था निर्माण

रामशरण शर्मा@इचाक

लोक आस्था व सूर्य उपासना का महापर्व छठ में इचाक के परासी पंचायत के धनगरपाला स्थित सूर्य मंदिर तालाब में अर्घ्‍य देने का अलग महत्व है, यहां के सूर्य मंदिर का निर्माण रामगढ़ के राजा सिंहदेव और बागदेव ने संवत 1810 में जन भावना को ध्यान में रखकर कराया था. बाग बगीचा और तालाब से घिरे इस मंदिर की ऊंचाई करीब 70 फिट है. लोगों का मानना है कि उदीयमान भगवान भास्कर के प्रथम किरण के पड़ते ही मंदिर के गुम्बज से एक विशेष प्रकार की छटा निकलती है. जिसके दीदार करने वाले हर भक्त की मन्नतें पूर्ण होती है.

यही वजह है उदीयमान सूर्य को अर्घ्‍य लेने के लिए जन आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है. मंदिर के पीछे दो कमरा से होकर पदमा किला तक सुरंग बना है. मान्यता है कि पदमा राज घराने की महारानी छठ के मौके पर अपनी सखियों के साथ इसी सुरंग से होकर पदमा से इचाक अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्‍य देने सूर्य मंदिर से होकर तालाब तक पहुंचती थीं. जिसे देखने के लिए इचाक के सभी गांवो की प्रजा का सैलाब उमड़ पड़ता था.

स्व भैरवलाल कपरदार के पुत्र और परासी के पूर्व मुखिया सह सांसद प्रतिनिधि अशोक कपरदार, सेवा निवृत्त शिक्षक वन विहारी नारायण सिंह कहते है कि स्थानीय प्रशासन की उपेक्षा के कारण मंदिर के इर्द गिर्द शरारती तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है, छठ पूजा के अवसर पर हर साल सुदीप खत्री के प्रयास से मंदिर का रंगरोगन कराया जाता है, जबकि परासी निवासी वनबिहारी सिंह के पुत्र सच्चु सिंह के सहयोग से मंदिर की चहारदिवारी का कार्य पूर्ण कराया गया है.

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