मध्यकाल में कर्णपुरा राज्य की राजधानी था बादम, आज एक अदद बाजार को है मोहताज

बड़कागांव : मध्यकाल के कर्णपुरा राज्य की राजधानी बादम में पहले काफी चमक-दमक थी. राजनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्र का मुख्य केंद्र था बादम, लेकिन आज बाजार के लिए तरस रहा है. बादम में बाजार सड़कों पर लगाया जाता है. यह बाजार बादम से अंबाजीत-मोतरा रोड स्थित सुभाष चौक से लेकर बादम मुख्य चौक तक लगाया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 13, 2017 8:51 PM

बड़कागांव : मध्यकाल के कर्णपुरा राज्य की राजधानी बादम में पहले काफी चमक-दमक थी. राजनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्र का मुख्य केंद्र था बादम, लेकिन आज बाजार के लिए तरस रहा है. बादम में बाजार सड़कों पर लगाया जाता है. यह बाजार बादम से अंबाजीत-मोतरा रोड स्थित सुभाष चौक से लेकर बादम मुख्य चौक तक लगाया जाता है. इस कारण यातायात में बाधित रहता है. लोगों के आवागमन में परेशानी होती है.

इसे भी पढ़ें : साप्ताहिक बाजार बंदी को लेकर दिखायी गांधीगिरी

हजारीबाग से मोतरा पहाड़ होते हुए बादम, हरली, बड़कागांव, गोंदलपूरा, जोराकाठ और बाबूपारा समेत दर्जनों गांव के लोग इसी सड़क से होते हुए लोग बादम चौक, हरली, बड़कागांव पहुंचते हैं. इस सड़क पर कई छोटे-बड़े वाहन चलते हैं. सड़क पर बाजार लगने के कारण हादसा होना आम है. करीब 15,000 की आबादी वाले इस गांव के लोगों की रोजी-रोटी का एकमात्र साधन यह बाजार ही है. इस बाजार में ताजी मौसमी सब्जियों के अलावा अन्य कई तरह की वस्तुओं का कारोबार होता है.

22 गांवों के लोग जुटते है बाजार में

बादम के बाजार में 22 गांव के लोग खरीदारी के लिए जुटते हैं. करीब 15,000 से अधिक जनसंख्या इस बाजार पर निर्भर है. अगर इस बाजार निर्भर गांवों की जनसंख्या का आकलन करें, तो बादाम की 7015, अंबाजीत की 1221, बाबूबलिया के 1115 ,बलोदर के 957, बेलातौल की 328, गाली की 31, गोंदलपुरा की 2 354, हाहे की 394, हुदूवा की 452, जोराकाठ की 641, कौशी की 241, कुतुलवा की 131, महुगाई कला की 1816, महुगाई खुर्द की 876, मरदोसोती 397, मोतरा की 49 रुद्दी की 622, शुक्ल खपिया की 761 की आबादी इस बाजार से अपने जीवन की आवश्यक वस्तुओें की खरीद-फरोख्त करती है.

स्वच्छ भारत अभियान का नहीं दिख रहा असर

केंद्र सरकार ने देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए भले ही देशव्यापी स्वच्छ भारत अभियान चला रही हो, लेकिन बादम बाजार में सरकार का यह अभियान दम तोड़ती नजर आ रही है. करीब 15,000 लोगों की बड़ी आबादी का इस बाजार पर निर्भर होने के बावजूद लोगों की सुविधा के लिए सार्वजनिक सुलभ शौचालय की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. इसके चलते बाजार में खरीदारी करने वालों को काफी परेशानी होती है. आलम यह कि यहां खरीदारी करने वाले बाजार के बगल में बहने वाली बदमाही नदी में कई लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं.

क्या कहते हैं ग्रामीण

बादम के गौतम कुमार वर्मा का कहना है कि बाजार 22 गांवों की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. इसलिए बाजार भी आवश्यक है, लेकिन सड़क पर बाजार नहीं लगना चाहिए. वर्मा ने बताया कि बाजार के लिए उत्तम जगह किचिनियां गढ़ा, जहां मैटकोड़ना होता है एवं दूसरा वैकल्पिक व्यवस्था नदी के किनारे पीढ़ीथान के सामने बाजार लगाया जा सकता है. पेशे से शिक्षक जैलाल सगीर ने बताया कि सड़क पर बाजार लगने से आने-जाने में लोगों को परेशानी होती है. सड़क पर बाजार लगना कानून का उल्लंघन भी हैं. इसलिए बाजार राउत पारा रोड स्थित खाली जगह में लगाया जाये. नदी के किनारे खाली जगह बाजार के लिए सही स्थान है.

क्या कहते हैं अंचलाधिकारी

इस मसले पर अंचलाधिकारी वैभव कुमार सिंह ने कहा कि सड़क पर बाजार नहीं लगना चाहिए. इसके लिए बृहस्पतिवार को मैं अतिक्रमण के समाधान के लिए जमीन की पैमाइश कराने जा रहा हूं. जमीन की पैमाइश के बाद ही अतिक्रमण हटाया जायेगा. इसके बाद बाजार की व्यवस्था की जायेगी.

क्या कहते हैं मुखिया

इलाके के मुखिया दीपक दास ने बताया कि सड़क पर बाजार लगना अनुचित है. इस क्षेत्र के लिए बाजार भी बहुत आवश्यक है. इसलिए बाजार एक अच्छा जगह में लगाया जायेगा. इसके लिए पंचायत के ग्रामीणों से विचार विमर्श करूंगा. इसके बाद ही बाजार की व्यवस्था की जायेगी .

Next Article

Exit mobile version