Saraswati Puja 2022: कोरोना के बीच झारखंड में सरस्वती पूजा की क्या है तैयारी, मूर्तियों की ये है कीमत

Saraswati Puja 2022: झारखंड के गुमला जिले में सरस्वती पूजा की तैयारियां शुरू हो गयी है. मूर्तिकारों द्वारा मां सरस्वती की मूर्तियां बनायी जा रही हैं. सरकार द्वारा पूर्व से जारी गाइडलाइन के अनुसार पांच फीट तक की मूर्तियां बनायी जा रही हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2022 4:49 PM

Saraswati Puja 2022: सरस्वती पूजा इस वर्ष पांच फरवरी को है. इसकी तैयारी शुरू हो गयी है. मूर्तिकार मूर्तियों को आकार देने में जुट गये हैं. पांच फरवरी को शुरू होने के बाद पूजनोत्सव की खुमारी तीन दिनों तक रहेगी. झारखंड के गुमला जिले में सनातन धर्मावलंबी जगह-जगह पर पूजा पंडाल बनाते हैं और मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित कर पूजा करते हैं और अंतिम दिन भव्य शोभायात्रा निकालकर भक्तिमय गीतों के बीच झूमते-नाचते हुए मां सरस्वती की मूर्तियों को नदियों एवं तालाबों में विसर्जित करते हैं. मूर्तिकार बताते हैं कि पहले मूर्तियों की कीमत 500 से तीन हजार रुपये तक थी. इस बार एक हजार से पांच हजार रुपये तक है.

झारखंड के गुमला जिले में सरस्वती पूजा की तैयारियां शुरू हो गयी है. मूर्तिकारों द्वारा मां सरस्वती की मूर्तियां बनायी जा रही हैं. सरकार द्वारा पूर्व से जारी गाइडलाइन के अनुसार पांच फीट तक की मूर्तियां बनायी जा रही हैं. गुमला शहर में मूर्तिकार राजकुमार प्रजापति एवं देवकुमार प्रजापति मां सरस्वती की मूर्ति बना रहे हैं. इसके साथ ही गुमला शहर के ही मां देवी मंदिर, ज्योति संघ सहित टोटो, पालकोट व चैनपुर में भी मूर्तिकारों द्वारा मां सरस्वती की मूर्तियां बनायी जा रही हैं. सभी जगहों पर मिलाकर लगभग एक हजार मूर्तियां बनायी जायेंगी.

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मूर्तिकार देवकुमार प्रजापति ने बताया कि हर साल गुमला जिले में मां सरस्वती पूजनोत्सव हर्षोल्लास से होता है. हालांकि पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी के कारण पूजनोत्सव को लेकर उत्साह कुछ कम हुआ है. कोरोना महामारी के कारण कई जगहों पर पूजा नहीं हो पायी. जिस कारण इस वर्ष कम मूर्ति बना रहे हैं. सरकार द्वारा पहले से जारी गाइडलाइन के अनुसार दो से पांच फीट तक की मूर्तियां बना रहे हैं. इस वर्ष मूर्तियों की कीमत में बढ़ोत्तरी हुई है. पूर्व में मूर्तियों की कीमत 500 से तीन हजार रुपये तक थी, परंतु अब एक हजार से पांच हजार रुपये तक है.

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रिपोर्ट: जगरनाथ

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