गुमनामी में जी रहे हैं भारत पाक 1971 युद्ध में शहीद हुए जोसेफ तिग्गा, सुविधा के नाम पर दे दिया गया सिर्फ आवास

1971 war ind vs pak : डुमरी के जोसेफ तिग्गा जो कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हो गये थे, वो आज भी गुमनामी में जी रहे हैं. सुविधा के नाम पर सरकार ने सिर्फ आवास दिया. शहीद की मां और पिताजी को पेंशन भी मिलती थी. लेकिन दोनों की मृत्यु के बाद वो भी बंद हो गयी.

By Prabhat Khabar | December 7, 2021 12:52 PM

गुमला : डुमरी प्रखंड के कपासगुटरा गांव निवासी 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद जोसेफ तिग्गा का परिवार आज गुमनामी की जिंदगी जी रहा है. शहीद जोसेफ तिग्गा 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरगति को प्राप्त किये थे.

शहीद के छोटे भाई पीटर तिग्गा ने बताया कि जोसेफ ने मातृभूमि की सेवा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिये. उस समय उनकी उम्र मात्र 19 वर्ष थी. वह लोग पांच भाई और एक बहन हैं. जिनमें जोसेफ सबसे बड़े थे. जोसेफ की शहादत के समय सभी सभी छोटे-छोटे थे.

जोसेफ जब सेना में बहाल हुए थे, तब परिवार काफी गरीबी में जी रहा था. जोसेफ किसी रिश्तेदार के साथ फौजी बहाली में गये थे. बिहार रेजिमेंट के दानापुर कैंट में जोसेफ ने छह महीने की ट्रेनिंग ली थी. ट्रेनिंग करने के बीच में छुट्टी लेकर वह घर आये थे. दोबारा कैंट लौटने के बाद उन्हें तुरंत 1971 के युद्ध में सीमा पर भेज दिया गया था. जहां युद्ध के दौरान वे शहीद हो गये.

परिवार के लोगों ने बताया कि सुविधा के नाम पर सरकार द्वारा शहीद के नाम से पटना में एक आवास मिला था. उस आवास को भाड़ा में लगा गया था. परंतु किरायेदार ने दबंगई दिखाते हुए उस आवास को अपने कब्जे में कर लिया. उसके बाद कुछ पैसा देकर उस आवास को अपने नाम करवा लिया. इसके अलावा शहीद को गांव के बाहर गिरजानाला के पास सात एकड़ जमीन भी मिली थी, जो अब टोंगरी के रूप में है. शहीद की मां और पिताजी को पेंशन भी मिलती थी. परंतु दोनों की मृत्यु के बाद पेंशन बंद हो गयी.

इसके अलावा कभी-कभी परिवार के सदस्यों को पटना के समारोह में बुलाया जाता था. वर्तमान में चारों भाई अलग-अलग खेतीबारी कर परिवार के साथ अपना जीवन गुजार रहे हैं. सरकार अब इस परिवार की कोई खोजबीन नहीं कर रही है.

Posted by : Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version