Albert Ekka Death Anniversary: गुमला के जिस घर में परमवीर अलबर्ट एक्का का हुआ था जन्म, हो रहा है ध्वस्त

झारखंड में सरकारें बदलती गयीं, लेकिन किसी ने शहीद परमवीर अलबर्ट एक्का के उस घर को बचाने का प्रयास नहीं किया. जिस घर पर शहीद अलबर्ट एक्का का जन्म हुआ था. गुमला प्रशासन ध्वस्त हो रहे भवन को बचा लेता है तो आने वाली पीढ़ी के लिए यह किसी ऐतिहासिक धरोहर से कम नहीं होगा.

By Guru Swarup Mishra | December 3, 2022 3:43 PM

Albert Ekka Death Anniversary: गुमला के जिस घर में देश के महान सपूत शहीद अलबर्ट एक्का का जन्म हुआ था. आज वह घर ध्वस्त हो रहा है. कुछ कमरे ध्वस्त हो चुके हैं. एक कमरा बचा है. उस पर खपड़ा है. वह भी टूट रहा है. अगर शहीद की ये निशानी नहीं बचायी गयी, तो आने वाली पीढ़ी शहीद की पहचान को भूलती चली जायेगी. परिवार के लोगों ने कई बार प्रशासन से ध्वस्त हो रहे मकान को बचाने, उसके संरक्षण व उसे दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की, परंतु कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया.

सरकारें बदलीं, लेकिन भवन की नहीं हुई मरम्मत

राज्य में सरकारें बदलती गयीं, लेकिन किसी ने शहीद परमवीर अलबर्ट एक्का के उस घर को बचाने का प्रयास नहीं किया. जिस घर पर शहीद अलबर्ट एक्का का जन्म हुआ था. गुमला प्रशासन द्वारा किसी भी सरकारी योजना या फंड से इस भवन को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जा सकता है. गुमला प्रशासन ध्वस्त हो रहे भवन को बचा लेता है तो आने वाली पीढ़ी के लिए यह किसी ऐतिहासिक धरोहर से कम नहीं होगा.

Also Read: Kamaldev Giri Murder Case: CBI जांच व नार्को टेस्ट की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे परिवार के लोग

गांव में बने शहीद का म्यूजियम

गुमला के जारी गांव में जन्मे अलबर्ट एक्का 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हो गये थे. शहीद होने से पहले उन्होंने दर्जनों दुश्मनों को मार गिराया था. यहां तक कि उनकी बहादुरी के कारण सैंकड़ों भारतीय सेना की जान बची थी. ऐसे महान सपूत का गांव में एक म्यूजियम होना आने वाली पीढ़ी के लिए देशभक्ति व सेना में जाने के लिए प्रेरणा प्रदान करेगी. शहीद के पुत्र विंसेंट एक्का ने गांव में अपने शहीद पिता की पहचान को सुरक्षित रखने के लिए म्यूजियम बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद मेरी ही जमीन पर मेरे शहीद पिता का समाधि स्थल बना है. समाधि स्थल की घेराबंदी हो गयी है. सीमेंट की कुछ बेंच बनी हैं. जिस स्थान पर समाधि स्थल है. वहीं पर और जमीन है. जहां सरकार व प्रशासन पहल कर शहीद के नाम से एक म्यूजियम बना सकती है. म्यूजियम में शहीद के जन्म से लेकर शहादत तक की जानकारी दी जा सकता है, ताकि आने वाली पीढ़ी म्यूजियम के माध्यम से शहीद की वीरता की कहानी जान सके.

Also Read: 1927 में पलामू आए थे डॉ राजेंद्र प्रसाद, मारवाड़ी पुस्तकालय में संजो कर रखी गयी हैं इनसे जुड़ी यादें

जारी में सैनिक स्कूल की स्थापना हो

जिला परिषद सदस्य दिलीप बड़ाइक ने जारी गांव में सैनिक स्कूल खोलने की मांग की है. शहीद अलबर्ट एक्का से प्रेरणा लेकर कई युवा सेना में जाना चाहते हैं, परंतु सही मार्गदर्शन, शिक्षा व प्रशिक्षण नहीं मिलने से गांव के युवा सेना में जाने से वंचित हो रहे हैं. हाल के महीनों में गांव के दर्जनों युवक सेना में जाने के लिए भाग लिए. दौड़ निकाला, मेडिकल भी निकाला, परंतु लिखित परीक्षा में फेल हो गए. अगर जारी गांव में सैनिक स्कूल रहेगा तो यहां के अधिक से अधिक युवा सेना में जा सकते हैं और शहीद अलबर्ट एक्का की तरह ईमानदार, अनुशासन व बहादुरी से देश की सेवा करेंगे.

शहीद के गांव के विकास के लिए हूं प्रयासरत

गुमला के विधायक भूषण तिर्की ने कहा कि शहीद के गांव जारी के विकास के लिए मैं प्रयास कर रहा हूं. अस्पताल सहित कई कमियों को दूर करने की मांग मैंने राज्य सरकार से की है.

रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला

Next Article

Exit mobile version