इसीएल ललमटिया ने 18 मिलियन कोयले का किया उत्पादन
कुछ वर्षों से चार-पांच मिलियन टन हो रहा था उत्पादन, पांच साल बाद लक्ष्य किया हासिल
राजमहल कोल परियोजना, इसीएल ललमटिया को इस बार कोयले के उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने का अवसर मिला है. लगातार पांच वर्षों से लक्ष्य से पीछे रहने वाली ईसीएल ने इस वित्तीय वर्ष में न केवल 17 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य पूरा किया, बल्कि एक मिलियन टन अधिक उत्पादन भी किया. राजमहल कोल परियोजना ने 2024-25 वित्तीय वर्ष में 18 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर कोल इंडिया में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करायी. वहीं, परियोजना के ओसीपी कार्यालय अपने निर्धारित लक्ष्य 15.5 मिलियन टन को पूरा करने में सफल नहीं हो पाया और लक्ष्य से 4 लाख टन पीछे रह गया. ओसीपी कार्यालय में विभाग द्वारा कोयला उत्पादन किया जाता है, लेकिन इस वर्ष विभाग केवल 15.1 मिलियन टन कोयले का ही उत्पादन कर सका. परियोजना के अधीनस्थ हुर्रा सी कोयला खनन क्षेत्र में उत्पादन अच्छा रहा, जिससे कंपनी को लाभ हुआ. कोयला खनन करने वाली आउटसोर्सिंग कंपनी का निर्धारित लक्ष्य 1.5 मिलियन टन था, लेकिन उसने 2.9 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर लक्ष्य से अधिक योगदान दिया. प्राइवेट कंपनी ने लगभग 14 लाख टन अधिक कोयला उत्पादन कर ईसीएल को सहयोग दिया. परियोजना के प्रोजेक्ट ऑफिसर सतीश मुरारी के अनुसार, प्राइवेट कंपनी और विभाग का संयुक्त लक्ष्य 17 मिलियन टन कोयला उत्पादन का था, लेकिन उन्होंने 18 मिलियन टन का उत्पादन कर अपने लक्ष्य से 1 मिलियन टन अधिक हासिल किया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के रैयत, जनप्रतिनिधि, यूनियन नेता एवं परियोजना कर्मियों के सहयोग से लक्ष्य से अधिक उत्पादन संभव हो पाया है. इस सफलता के लिए सभी बधाई के पात्र हैं.
पिछले पांच वर्षों से पीछे रही थी परियोजना
वर्ष 2019 में 17 मिलियन टन उत्पादन के बाद, 2015 में ही लक्ष्य प्राप्त हुआ था. राजमहल कोल परियोजना, ईसीएल ललमटिया ने वर्ष 2019 में तत्कालीन महाप्रबंधक डी. के. नायक की उपस्थिति में 17 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया था. लेकिन 2020 से 2024 तक हर वर्ष केवल चार से पांच मिलियन टन का उत्पादन ही हो पाया. इसके पीछे कई कारण रहे, लेकिन मुख्य रूप से प्रबंधन की कमजोर स्थिति के चलते कंपनी पिछड़ती रही. हालांकि, इस बार बेहतर सहयोग और प्रबंधन की वजह से परियोजना अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल रही.
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