गढ़वा में अनुसेवकों की बहाली 35 वर्षों से लंबित, सरकारी कामकाज और युवाओं की उम्मीदों पर असर
जिला एक अप्रैल 1991 को अस्तित्व में आया, लेकिन जिले में आज तक अनुसेवकों (चपरासी) की नियमित बहाली नहीं हो सकी है
पीयूष तिवारी
वर्तमान में जो कुछ अनुसेवक कार्यरत हैं, वे अधिकतर अनुकंपा के आधार पर, नक्सली हिंसा में मारे गए परिजनों के सदस्य, या आदिम जनजाति वर्ग से चयनित हुए हैं। इनके अलावा कोई नियमित भर्ती नहीं की गई है, जिससे बहुसंख्यक पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं.
कितने पद और कितनी ज़रूरतजिले के समाहरणालय संवर्ग, अंचल और प्रखंड स्तर पर कुल 187 पदों की आवश्यकता है। इनमें 41 जिला स्तरीय, 74 प्रखंड और 72 अंचल कार्यालय शामिल हैं. हालांकि, वर्तमान में केवल 61 अनुसेवक कार्यरत हैं, जबकि शेष पद खाली हैं.
इसके अलावा जिले के कृषि, विद्युत, मत्स्य, मापतौल, भूमि संरक्षण, निबंधन, सिंचाई तथा पशुपालन विभाग सहित अन्य सरकारी कार्यालयों में भी अनुसेवकों की भारी आवश्यकता है. कुल आवश्यकता की बात करें तो कम से कम 250 अनुसेवकों की जरूरत महसूस की जा रही है.क्या पड़ रहा असर
अनुसेवकों की कमी से फाइल मूवमेंट, दस्तावेज़ों का रख-रखाव, डाक वहन, साफ-सफाई, तथा दैनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है. कई बार सहायक कर्मियों को ये कार्य स्वयं करने पड़ते हैं, जिससे उनकी प्राथमिक जिम्मेदारियों पर असर पड़ता है। कार्यालयों में कार्य कुशलता और अनुशासन बनाए रखने में भी कठिनाई हो रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
