रंका : मजदूरी कर पेट पाल रहा है पहले सांसद जेठन खरवार का पुत्र

विनोद पाठक/नंद... मजदूरी और किसानी है परिजनों का पेशा, नहीं है कोई राजनीति में रंका : पलामू के पहले सांसद सह स्वतंत्रता सेनानी जेठन सिंह खरवार राजनीतिक जीवन में सादगी और ईमानदारी के मिशाल थे. गढ़वा जिला के रंका प्रखंड के बरवाडीह गांव निवासी जेठन सिंह खरवार आजादी के बाद पहले लोकसभा के लिए वर्ष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 3, 2019 8:37 AM

विनोद पाठक/नंद

मजदूरी और किसानी है परिजनों का पेशा, नहीं है कोई राजनीति में

रंका : पलामू के पहले सांसद सह स्वतंत्रता सेनानी जेठन सिंह खरवार राजनीतिक जीवन में सादगी और ईमानदारी के मिशाल थे. गढ़वा जिला के रंका प्रखंड के बरवाडीह गांव निवासी जेठन सिंह खरवार आजादी के बाद पहले लोकसभा के लिए वर्ष 1951-52 में पलामू से सांसद बने थे.

वे 1952 से 1957 तक सांसद रहे. वर्ष 1980 में उनका निधन हो गया. आजादी के बाद पांच साल के प्रथम लोकसभा में उन्होंने रहते हुए अपने उपर किसी भी प्रकार का दाग नहीं लगने दिया. उन्होंने सांसद के प्रभाव का कोई भी उपयोग निजी संपति अर्जित करने में नहीं किया. इसके कारण किसान परिवार से आनेवाले जेठन सिंह का परिवार आज भी किसानी और मजदूरी करके गुजर- बसर कर रहा है.

यहां तक कि सांसद के घर बरवाडीह गांव में जाने के लिए सड़क तक नहीं बन पायी है. उनके पुत्र इस तरह आर्थिक तंगहाली में जी रहे हैं कि अब तक उनके पास रहने के लिए घर तक नहीं है. सभी पुत्र पिता के बनाये हुए कच्चा मकान में ही रह रहे हैं. आर्थिक रूप से दयनीय स्थिति में जी रहे इस सांसद व स्वतंत्रता सेनानी के परिवार के प्रति सरकार या प्रशासन की ओर से कभी भी सुध नहीं ली गयी.

आजादी की लड़ाई के दौरान चार बार जेल गये

जेठन सिंह खरवार का जन्म 1917 में रंका थाना के राजबांस में हुआ था. शादी के बाद वे रंका के बरवाडीह गांव में बस गये. उनकी प्राइमरी शिक्षा रंका के वर्नाकुलर मध्य विद्यालय में हुई थी. कम पढ़ने-लिखने के बावजूद स्वतंत्रता वे स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े. जेठन सिंह 12 साल के उम्र में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गये थे.

वे 1932 से 1935 तक रंका थाना के कांग्रेस कमिटी के सचिव बने. वर्ष 1936 में डालटनगंज कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष बने. आजादी की लड़ाई में भाग लेने के कारण उन्हें वर्ष 1930 में, वर्ष 1938 में, 1939 में और वर्ष 1942 में चार बार जेल जाना पड़ा. आजादी के बाद वर्ष 1952 से 1957 तक वे पलामू के प्रथम सांसद रहे.

बेटे किसानी व मजदूरी करते हैं

जेठन सिंह खरवार चार पुत्रों में विमल सिंह, सत्यदेव सिंह, कृष्ण मुरारी सिंह एवं प्रदीप सिंह में से कोई भी राजनीति में नहीं आया. सत्यदेव सिंह, कृष्ण मुरारी सिंह किसी तरह किसानी करके पेट पालते हैं, जबकि प्रदीप सिंह दूसरे राज्य में मजदूरी करता है. प्रथम सांसद के पुत्रों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. कृष्ण मुरारी ने कहा कि पिता के निधन के बाद गरीबी के कारण वे राजनीति में नहीं आये.