ओड़िशा को मिलता है पानी और झारखंड के खेत रह जाते हैं सूखे

गालूडीह : सुवर्णरेखा परियोजना के गालूडीह बराज डैम से मुख्य दायीं नहर में प्रति वर्ष खरीफ के मौसम में पानी छोड़ा जाता है. दायीं नहर का पानी सीधे ओड़िशा जाता है. गालूडीह शून्य किमी से गुड़ाबांदा होते हुए ओड़िशा सीमा तक दायीं नहर 56 किमी बनी है. इसी नहर में बराज डैम का पानी छोड़ा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 21, 2017 5:22 AM

गालूडीह : सुवर्णरेखा परियोजना के गालूडीह बराज डैम से मुख्य दायीं नहर में प्रति वर्ष खरीफ के मौसम में पानी छोड़ा जाता है. दायीं नहर का पानी सीधे ओड़िशा जाता है. गालूडीह शून्य किमी से गुड़ाबांदा होते हुए ओड़िशा सीमा तक दायीं नहर 56 किमी बनी है. इसी नहर में बराज डैम का पानी छोड़ा जाता है. इससे ओड़िशा की खेतहरी जमीन सिंचित होती रही है. लेकिन दुर्भाग्य जनक है कि झारखंड की जमीन गालूडीह से गुड़ाबांदा तक सूखी है. दायीं नहर के दोनों छोर के किसान दायीं नहर से ओड़िशा पानी जाता देखते हैं. लेकिन उनकी जमीन सूखी ही रह जाती है. बराज डैम के शून्य किमी पर स्थित दिगड़ी गांव के किसान देवव्रत सिन्हा, ग्राम प्रधान रायसेन सोरेन आदि ने बताया कि हमारे गांव से सटी दायीं नहर है.

इस नहर से होकर ओड़िशा को पानी मिलता है और देखते रह जाते हैं. कई बार परियोजना पदाधिकारियों को मांग पत्र सौंप कर दायीं नहर में लिफ्ट ऐरिगेशन सिस्टम बनाकर झारखंड के किसानों को सिंचाई के लिए दायीं नहर का पानी देने की मांग की गयी, लेकिन अब तक इस पर कोई पहल नहीं हुई है. दायीं नहर में कहीं भी 56 किमी तक शाखा नहर तक नहीं निकाली गयी है. इसके कारण झारखंड के किसानों को इस नहर को कोई फायद नहीं मिल रहा. जबकि नहर निर्माण में यहां के किसानों की जमीन अधिग्रहित हुई.
परियोजना का तर्क: परियोजना पदाधिकारियों का तर्क है कि बराज डैम और दायीं नहर निर्माण में ओड़िशा सरकार ने जहां 96 प्रतिशत राशि खर्च की है, वहीं झारखंड का इसमें लागत कम लगा है. सुवर्णरेखा नदी का पानी नहर के माध्यम से ओड़िशा तक पहुंचाने के लिए ही ओड़िशा सरकार ने नहर निर्माण करायी है. इसलिए पानी पर उसका हक है. हां झारखंड सरकार इस पर विचार करें दायीं नहर में लिफ्टिंग सिस्टम के तहत झारखंड के किसानों के खेतों तक भी पानी पहुंचाया जा सकता है.

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