जर्जर सड़कों की मरम्मती के लिए दुमका में भूख हड़ताल पर बैठे युवा साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल

Jharkhand news, Dumka news : झारखंड की उपराजधानी दुमका की सड़कें इस कदर बदहाल हो गयी हैं कि कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता, जिस दिन हादसे न हो रहे हो और गड्ढों की वजह से वाहन न पलटते हो. सड़कों की बदहाली, शासन-प्रशासन की उदासीनता तथा पिछले दिनों हादसे में एक साथ 3 परिवारों के 6 चिराग बुझने जैसी वारदात ने एक युवा साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल को इस कदर झकझोर दिया है कि वे एकल भूख हड़ताल (Single men hunger strike) पर बैठने को मजबूर हुए हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2020 9:30 PM

Jharkhand news, Dumka news : दुमका (आनंद जायसवाल‍) : झारखंड की उपराजधानी दुमका की सड़कें इस कदर बदहाल हो गयी हैं कि कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता, जिस दिन हादसे न हो रहे हो और गड्ढों की वजह से वाहन न पलटते हो. सड़कों की बदहाली, शासन-प्रशासन की उदासीनता तथा पिछले दिनों हादसे में एक साथ 3 परिवारों के 6 चिराग बुझने जैसी वारदात ने एक युवा साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल को इस कदर झकझोर दिया है कि वे एकल भूख हड़ताल (Single men hunger strike) पर बैठने को मजबूर हुए हैं.

जिस साहित्यकार को केंद्रीय विद्यालय, विश्वविद्यालय, अच्छे संस्थान, अच्छे स्कूल-कॉलेज की मांग को लेकर आवाज उठानी चाहिए थी, वह सड़क की बदहाली जैसे मुद्दे पर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए मजबूर हुआ है. हम बात कर रहे हैं युवा साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार, गायक और कवि नीलोत्पल मृणाल की. नीलोत्पल खुद भी इन बदहाल सड़कों की तकलीफ का दंश झेल रहे हैं. ऐसी स्थिति में एकल भूख हड़ताल के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष अपनी बातें रखने का प्रयास किया है. जनता भी साथ है.

नीलोत्पल मृणाल राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता भी. वे कहतें है कि उप राजधानी दुमका के विभिन्न पथों की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है. इन पथों पर दुर्घटनाएं पिछले कुछ महीनों से लगातार देखी जा रही हैं. इस ज्वलंत मुद्दे पर सरकार और प्रशासन का खामोश रहना व्यवस्था की खामियों को दर्शाता है.

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एक कार पर भारी भरकम एक ट्रक के पलट जाने से 6 लोगों की दर्दनाक मौत की घटना का जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि सड़कों की पूरी वास्तविकता के अवगत होने के बावजूद सरकार और प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं जाना हैरत की बात है. सरकार की उदासीनता से क्षुब्ध होकर उन्हें एकल भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा है. 48 घंटे की भूख हड़ताल का जब उनका आंदोलन बासुकिनाथ- नोनीहाट मुख्य मार्ग पर विशनपुर में शुरू हुआ, तो उनके धरनास्थल के समीप सड़क की बदहाली से एक ट्रक खुद पलट गया.

उन्होंने आंदोलन के माध्यम से संताल परगना प्रमंडल (Santal Pargana Division) विशेषकर दुमका के आसपास के सभी स्टेट हाईवे, बाईपास एवं अन्य ग्रामीण बाईपास सड़कों की मरम्मती, सड़क दुर्घटना में मारे गये लोगों के परिवार वालों के लिए अविलंब मुआवजा की घोषणा करने, बालू, पत्थर की अवैध ढुलाई पर पूर्णतया रोक लगाने और ओवरलोड ट्रकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

Posted By : Samir Ranjan.

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