धनबाद के पलानी पंचायत का हाल: 150 आदिवासी परिवार लेकिन सिर्फ 2 को मिला पीएम आवास

150 आदिवासी परिवार, तीन टोला. पीएम आवास सहित दूसरी सरकारी योजनाओं की सारी अहर्ताएं पूरी करने के बाद केवल दो लोगों को ही आज तक पीएम आवास योजना का लाभ मिल पाया है

By Sameer Oraon | September 11, 2022 1:12 PM

धनबाद : धनबाद के बलियापुर प्रखंड की पलानी पंचायत में अब भी लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है. इस पंचायत के तीन टोला में 150 आदिवासी परिवार रहते हैं लेकिन अब तक केवल दो लोगों को ही पीएम आवास योजना का लाभ मिला है. जबकि यहां पर रहने वाले ज्यादातर लोग सरकारी योजनाओं की सारी अहर्ताएं पूरी करते हैं, लोग इसके लिए कई बार पंचायत सचिवालय में आवेदन दे चुके हैं. लेकिन अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई.

क्या है स्थिति :

बलियापुर प्रखंड की पलानी पंचायत में बेलगड़िया बस्ती है. जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर यह बस्ती तीन टोला में बसी हुई है. सभी टोला बेलगड़िया में बन रहे भू-धंसान प्रभावितों के टाउनशिप से सटे हुए हैं. लेकिन, पूरी तरह आदिवासी बहुल इस बस्ती में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है.

यहां के 90 फीसदी लोग आज भी कच्चे मकान में रहते हैं. घर छोड़ कर इन लोगों की लगभग सारी जमीन अधिग्रहित हो चुकी है. गरीबी रेखा की सूची में सबका नाम है. एक भी व्यक्ति सरकारी नौकरी नहीं करता. पीएम आवास या फिर अन्य सरकारी आवास योजना का लाभ लेने की सारी शर्तों को पूरी करते हैं.

कई बार ग्राम सभा में यहां के लोगों को आश्वासन मिला कि पीएम आवास मिलेगा. 16 नवंबर से 28 दिसंबर 2021 तक चले कार्यक्रम आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार के दौरान भी यहां लोगों से फॉर्म भरवाया गया था. एक सौ से अधिक लोगों ने आवास के लिए फॉर्म भर कर दिया था.

बेलगढ़िया के लोग आज भी मिट्टी के घर बना कर रह रहे

बेलगड़िया गांव में शनिवार को भी कुछ ग्रामीण अपने घर की दीवार मिट्टी के सहारे तैयार कर रहे थे. खुद ही मजदूरी करते हैं. ऊपर फूस या प्लास्टिक डाल कर छत बनाते हैं. कुछ खपड़ैल तथा तीन-चार पक्का मकान भी है. करीब पांच सौ लोगों को पीने के लिए एक ही सरकारी कुआं है. वैसे एक और कुआं है. लेकिन, उसमें पिछले दिनों किसी के गिर कर मौत हो जाने के बाद लोग उसके पानी का उपयोग नहीं करते. यहां कोई चापाकल नहीं है. हर घर नल के तहत जलापूर्ति के लिए आज तक कोई पाइपलाइन तक नहीं बिछायी गयी है.

क्या कहते हैं ग्रामीण

यहां पर इंदिरा आवास, पीएम आवास के लिए पिछले 10 वर्षों से आवेदन दे रहे हैं. कई बार व्यक्तिगत, कई बार सामूहिक रूप से आवेदन दिया गया. बार-बार सिर्फ आश्वासन मिलता है. कई बार पंचायत सचिवालय भी गये. तरह-तरह का आश्वासन दिया जाता है.

महादेव मोहली, ग्रामीण

चुनाव के दौरान नेता आते हैं. समस्याओं के समाधान का आश्वासन देते हैं. चुनाव के बाद कभी कोई दुबारा नहीं आते. मुखिया से ले कर सांसद, विधायक तक से कई बार गुहार लगा चुके हैं. लेकिन, आज तक सिर छिपाने के लिए छत तक नहीं मिली. सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए.

दीपक कुमार मोहली, ग्रामीण

पीएम आवास के लिए आवेदन दे-दे कर थक गये हैं. पक्के मकान के अभाव में बरसात के मौसम में काफी समस्या होती है. शौचालय नहीं रहने से खुले में शौच जाना पड़ता है. जब पंचायत के मुखिया या अन्य सदस्यों को कहते हैं, तो कहा जाता है अभी फंड नहीं है. फंड आते ही बनवा देंगे. समस्याओं की तरफ किसी का ध्यान नहीं है.

सुरेश मोहली, ग्रामीण

गांव में सभी को पीएम आवास दिलाने, पेयजल के लिए चापानल लगाने की गुहार हर स्तर पर की जा चुकी है. विभागीय अधिकारी भी हमेशा टाल-मटोल करते हैं. नेता भी कुछ नहीं कर रहे. अगली बार चुनाव के दौरान यहां वोट मांगने आने वालों से जवाब मांगेंगे. सरकार को सबको छत, पानी तो देना ही चाहिए.

सुकु कोहली, ग्रामीण

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