Dhanbad News: बीसीसीएल ने मेडिकल परीक्षा और आयु निर्धारण के लिए जारी की एसओपी
बीसीसीएल ने कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और एकरूप बनाने के लिए नयी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है.
यह नीति प्रारंभिक चिकित्सीय परीक्षण और आयु निर्धारण बोर्ड की प्रक्रिया को मानकीकृत करने के उद्देश्य से लागू की गई है. नयी व्यवस्था कंपनी की सभी इकाइयों, खदानों और कार्यालयों में तत्काल प्रभाव से लागू होगी. नयी एसओपी सहानुभूतिपूर्ण नियुक्ति, प्रत्यक्ष भर्ती और भूमि के बदले दी जाने वाली नौकरी के मामलों में भी प्रभावी होगी. कंपनी ने बताया कि इस नीति का उद्देश्य मेडिकल जांच को व्यवस्थित, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है, ताकि नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार का भ्रम या अनावश्यक विलंब न हो.
ई-5 रैंक या उससे ऊपर के डॉक्टर शामिल होंगे
नयी नीति के अनुसार, मेडिकल परीक्षा और आयु निर्धारण की जिम्मेदारी एमपी एंड आर विभाग को दी गयी है. यह विभाग आवेदक के जन्म से संबंधित सभी दस्तावेजों की जांच कर उन्हें मेडिकल बोर्ड को भेजेगा. यदि किसी उम्मीदवार की जन्मतिथि दस्तावेजों से प्रमाणित नहीं होती है, तो बोर्ड चिकित्सा व विधिक मानकों के अनुसार आयु का निर्धारण करेगा. मेडिकल बोर्ड में कम से कम ई-5 रैंक या उससे ऊपर के डॉक्टर शामिल होंगे. विशेष परिस्थितियों में आवश्यकता पड़ने पर ई-5 रैंक से नीचे के डॉक्टर को भी शामिल किया जा सकेगा. बोर्ड उम्मीदवार की स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन कर उसे पांच श्रेणियों में वर्गीकृत करेगा जिसमें पहले में ग्रुप-ए फिट दूसरे में ग्रुप ए अनफिट पर ग्रुप बी में फिट, तीसरे श्रेणी में दोनों ग्रुप में अयोग्य, चौथे श्रेणी में अस्थायी रूप से अयोग्य (इलाज के बाद पुनः जांच योग्य) और पांचवे श्रेणी में विकलांगता के प्रतिशत के साथ योग्य.
निगरानी संबंधित क्षेत्रीय एचआर और एमपी एंड आर विभाग करेंगे
यदि कोई उम्मीदवार अस्थायी रूप से अयोग्य घोषित किया जाता है, तो उपचार के बाद उसे पुनः मेडिकल बोर्ड में रिपोर्ट करनी होगी. इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी संबंधित क्षेत्रीय एचआर और एमपी एंड आर विभाग करेंगे. बीसीसीएल प्रबंधन ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की अग्रिम रूप से सत्यापन जिला शिक्षा पदाधिकारी से करायी जायेगी, ताकि अंतिम चरण में किसी प्रकार की देरी न हो. कंपनी ने कहा है कि नई नीति से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि नियुक्ति प्रक्रिया में एकरूपता और निष्पक्षता भी सुनिश्चित होगी.
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