झरिया जमींदोज मामला : जब डॉ कलाम ने कहा था, आप जनता को क्यों ठग रहे हैं

!!डॉ रवींद्र राय!! झरिया में पिता पुत्र जिंदा जमींदोज हो गये. बिलखते परिजन छाती पीट-पीट कर दहाड़े मार कर रो रहे हैं. उनका दुख दूर करनेवाला या कम करनेवाला कोई नहीं है. दिल दहलाने वाली इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार है? यह यक्ष प्रश्न की तरह खड़ा है. वर्ष 2000 में झारखंड अलग प्रदेश […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 26, 2017 7:01 AM
!!डॉ रवींद्र राय!!
झरिया में पिता पुत्र जिंदा जमींदोज हो गये. बिलखते परिजन छाती पीट-पीट कर दहाड़े मार कर रो रहे हैं. उनका दुख दूर करनेवाला या कम करनेवाला कोई नहीं है. दिल दहलाने वाली इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार है? यह यक्ष प्रश्न की तरह खड़ा है. वर्ष 2000 में झारखंड अलग प्रदेश बना था.
मुझे नये झारखंड प्रदेश का पहला खान एवं भूतात्विक मंत्री बनने का अवसर मिला था. मैंने उस समय आग लगे क्षेत्र का झरिया में दौरा किया. दिन में सूर्य की रोशनी में गैस के रिसाव व दुर्गंध को महसूस किया. रात्रि में रूक कर देखा, तो दृश्य भयावह था. गरीबों की घरों में दरार पड़ रही थी. मैंने लोगों से सार्वजनिक अपील किया कि भविष्य की रक्षा के लिए झरिया का खाली होना जरूरी है.
दुख तब हुआ, जब उसी समय झारखंड सरकार के अंदर मेरे साथ ही जो मंत्री थे तथा झरिया से विधायक थे. मेरी अपील एवं दौरा का सार्वजनिक विरोध किया. दावा किया कि झरिया खाली करानेवालों को झरिया में ही दफन कर दिया जायेगा. उसी समय झारखंड मंत्रिमंडल में मैंने एक विधेयक लाकर झरिया में नये निर्माण पर रोक लगाने का प्रावधान किया, जिसे प्रथम बार तो विधानसभा में रोका गया तथा विधानसभा के प्रवर समिति को अध्ययन के लिए सौंपा गया. छह माह बाद पुनः झारखंड विधानसभा में विधेयक लाकर पास करा कर झरिया में नये कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दिया गया. हमारे तत्कालीन बड़ बोले मंत्री ने प्रस्ताव रखा कि हमारे राष्ट्रपति वैज्ञानिक हैं, उनसे तकनीक लेकर झरिया में आग को समाप्त कर दिया जायेगा. उस समय हमारे राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम थे.
एक कमेटी बनी, जिसमें तत्कालीन वरिष्ठ मंत्री स्वर्गीय मृगेंद्र प्रताप सिंह, अर्जुन मुंडा, रामचंद्र केसरी, समरेश सिंह, लालचंद्र महतो, मधु सिंह, पशुपति नाथ सिंह व खान मंत्री के नाते मैं भी था. हम सब राष्ट्रपति महोदय के पास मिलने पहुंचे. अपने आप को कलाम साहब के नजदीकी समझने वाले मंत्री ने बात शुरू की और कहा कि झरिया में भूमि के अंदर आग लगी है. अरबों का कोयला जल गया है. वहां के वासिंदों का जीवन खतरा में है. वहां की जनता को वचन देकर आये हैं कि हम राष्ट्रपति कलाम साहब के पास जा रहे हैं. वहां से फाॅर्मूला लेकर आयेंगे और झरिया की समस्या का समाधान समझेंगे.
कुछ देर तक राष्ट्रपति कलाम साहब हम सबको देखते रहे फिर बोले, आप सभी झारखंड के मंत्री हैं. आप जनता को क्यों ठग रहे हैं? जल्दी से हम सब वहां से उल्टे पैर भागे. मृगेंद्र बाबू ने मुझसे कहा कि कहां-कहां फंसा देते हैं रवींद्र बाबू. झरिया में नाबालिग बच्चे व लाचार पिता के साथ अचानक हुई घटना ने मुझे अंदर तक हिला दिया और वर्षों से जो दिल में था उसे बयान करने पर विवश किया. मेरा पुतला दहन करनेवाले अब क्या दफन पिता-पुत्र को पुनः जिंदा कर सकते हैं, उन्हें जवाब देना चाहिए. वोट के लिए ये लोग कैसी-कैसी घृणित और खतरनाक राजनीति करेंगे?
(लेखक प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व कोडरमा सांसद हैं)

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