कतरास क्षेत्रीय कार्यालय का घेराव, प्रदर्शन

धनबाद-कतरास-चंद्रपुरा रेल खंड पर बंद ट्रेन परिचालन पुन: शुरू करने के सवाल पर कतरासवासी एकबार फिर आंदोलन के मूड में हैं. बीसीसीएल व रेल मंत्रालय की नीतियों से क्षुब्ध होकर सोमवार को बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतर आये. रैली निकाल बीसीसीएल के कतरास क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य द्वार का घेराव कर प्रदर्शन किया. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 12, 2017 11:57 AM
धनबाद-कतरास-चंद्रपुरा रेल खंड पर बंद ट्रेन परिचालन पुन: शुरू करने के सवाल पर कतरासवासी एकबार फिर आंदोलन के मूड में हैं. बीसीसीएल व रेल मंत्रालय की नीतियों से क्षुब्ध होकर सोमवार को बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतर आये. रैली निकाल बीसीसीएल के कतरास क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य द्वार का घेराव कर प्रदर्शन किया.
सिजुआ: महीनों से रेल की मांग कर रही कतरास की जनता ने सोमवार को बीसीसीएल और रेलवे की कार्यशैली के विरोध में सड़क पर उतर कर नाराजगी जाहिर की. पार्षद डॉ विनोद गोस्वामी के नेतृत्व में लोग तिरंगा झंडा के साथ बीसीसीएल के कतरास क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य द्वार का घेराव कर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रबंधन की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी भी की गयी.

इससे पूर्व भटमुड़ना मोड़ से पदयात्रा निकाली गयी, जो रैली के रूप में कैलुडीह, छाताबाद, कतरास थाना चौक, अंगारपथरा होते हुए कतरास क्षेत्रीय कार्यालय पहुंची. रैली में भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं. आंदोलन को देखते हुए कतरास क्षेत्रीय कार्यालय में बीसीसीएल ने सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की थी. सीआइएसएफ के अलावे झारखंड पुलिस की तैनाती की गयी थी. सुरक्षा के लिहाज से कार्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया गया था, ताकि कोई आंदोलनकारी कार्यालय में न प्रवेश करे. आंदोलनस्थल पर सभी भी हुई. अंत में एक प्रतिनिधिमंडल ने सीएमडी के नाम जीएम को मांग पत्र सौंपा.

हरी झंडी दिखाने वालों का भगवा से मन भरा
पूर्व मंत्री ओपी लाल : रेललाइन बंद करने से पहले पीएमओ ने पीएम तथा रेल मंत्रालय से इस संबंध में कोई मंतव्य लिया था. पहले 34 किलोमीटर रेल पटरी पर ट्रेनों का आवागमन बंद किया गया, फिर 20 किमी तक उसी पटरी पर ट्रेन चला दी गयी. हद तो तब हुई, जिनकी सरकार ने जनता के हक-अधिकार छिने, वही लोग ट्रेन को हरी झंडी दिखा रहे हैं. ऐसा लगता है कि हरी झंडी दिखाने वाले का मन भगवा से भर गया है और हरा झंडा थामने की अभी से प्रैक्टिस कर रहे हैं.

सिंफर को क्यों नहीं दे रहे मौका
पार्षद डॉ विनोद गोस्वामी : आग का नाम देकर साजिश के तहत रेललाइन बंद कर दी गयी. फिलवक्त रेल लाइन को आग से कोई खतरा नहीं है. यह बात खुद रेलवे मान चुकी है. जिस रेल लाइन के नीचे आग बतायी जा रही है, उससे कई गुणा आग अब यहां के नागरिकों के दिल में जलने लगी है. यदि बीसीसीएल ने रेल लाइन के नीचे से कोयला निकालने का प्रयास किया, तो ईंट से ईंट बजा दिया जायेगा. रेल पटरी के नीचे सचमुच आग है, तो सरकार सिंफर के वैज्ञानिकों को बुझाने के लिए क्यों नहीं मौका दे रही है.

कानून से चलता है देश, मनमर्जी से नहीं
पूर्व बियाडा अध्यक्ष विजय कुमार झा : कोई भी देश कानून से चलता है. ट्रेन बंदी मामले में कानून को ही ताक पर रख दिया गया. जिस विभाग को जो मन में आ रहा है, कर रहा है. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन 13 दिसंबर को बैठक बुलाते हैं और उस से पहले पटरी उखाड़ने संबंधी निर्णय कोयला अधिकारियों के माध्यम से ले लिया जाता है. स्पष्ट हो चुका है कि डीसी रेल लाइन कोयला उत्खनन के लिए बंद की गयी. हम चांद और मंगल ग्रह पर जीवन बसाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, तो फिर रेल पटरी के नीचे आग पर क्यों नहीं काबू पा सकते हैं.
कार्यक्रम में ये थे शामिल
झामुमो नेता राजेंद्र प्रसाद राजा, उमेश ऋषि, जमील अंसारी, विनय सिंह, भरत केडिया, ललित सिंह, बलराम हरिजन, संतोष गोप, उमेश दसौंधी, ललिता देवी, गुड़िया खातून, उमा देवी, मो. राजा, परवेज इकबाल, केशव यादव, छोटू यादव, नरेश दास, मो. निजामुद्दीन, रामू शर्मा, नासिर नदीम, खालिद अशरफ, गणपत यादव, बलदेव यादव, रामलखन भुईयां, राजदेव यादव, मनोज कुमार साव, मंजू अग्रवाल, दीपक सोनी, अमर पासवान, संतोष ठाकुर, बीरू सिंह, सुरेश लाल, श्याम चौहान, चंद्रदेव यादव, सुरेश यादव, छोटू अंसारी, भोला भगत, नासिर अंसारी, टिंकू अंसारी, अख्तर अंसारी, सुरेंद्र पंडित आदि.

Next Article

Exit mobile version