मिलिए देवघर की पोस्ट ग्रेजुएट चाय वाली से, घर से हर दिन 10 किलोमीटर दूर आ कर लगाती है स्टॉल

पटना की ग्रेजुएट चाय वाली प्रियंका के बाद अब देवघर की पोस्ट ग्रेजुएट चाय वाली राधा यादव चर्चा में है. देवघर शहर से 10 किलोमीटर दूर कोठिया गांव की रहने वाली राधा रोज सुबह छह बजे बाजला कॉलेज के ठीक सामने अपनी चाय की दुकान लगाती है और शाम छह बजे वापस स्कूटी से घर लौट जाती है.

By Rahul Kumar | September 14, 2022 8:51 PM

अमरनाथ पोद्दार, देवघर

Deoghar News: पटना की ग्रेजुएट चाय वाली प्रियंका के बाद अब देवघर की पोस्ट ग्रेजुएट चाय वाली राधा यादव चर्चा में है. देवघर शहर से 10 किलोमीटर दूर कोठिया गांव की रहने वाली राधा रोज सुबह छह बजे बाजला कॉलेज के ठीक सामने अपनी चाय की दुकान लगाती है और शाम छह बजे वापस स्कूटी से घर लौट जाती है.

हिस्ट्री में ले रखी है मास्टर डिग्री

देवघर कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स के साथ ग्रेजुएशन करने के बाद राधा ने एनजीओ में 7 वर्ष तक अकाउंट सेक्शन में नौकरी की. इस दौरान राधा ने एमए की भी पढ़ाई पूरी कर ली. उसकी शादी बिहार के भैरोगंज में हुई है. पति सौदागर यादव प्राइवेट नौकरी करते हैं. राधा का एक छोटा पुत्र है. वहीं उसके पिता सुखदेव यादव एक साधारण किसान है. आर्थिक दिक्कतों में राधा ने अपनी मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई में सेकंड स्थान प्राप्त किया. ग्रेजुएशन में राधा प्रथम स्थान पाया. कोविड के दौरान एनजीओ में प्राइवेट नौकरी छूटने के बाद राधा घर में ही रहती थी. आर्थिक समस्या बढ़ती जा रही थी. इसी का समाधन उसने चाय दुकान खोलकर की.

20 हजार की पूंजी से की शुरुआत

15 दिनों पहले उन्होंने 20 हजार की पूंजी से बाजला कॉलेज के समीप एक चाय की दुकान खोली. राधा बताती है कि प्रतिदिन करीब दो हजार रुपये की बिक्री हो जाती है. इसमें 1200 से 1500 तक की कमाई हर दिन होती है. राधा कहती है कि पटना की ग्रेजुएट चाय वाली प्रियंका को देख कर उसे काफी प्रेरणा मिली है. उन्होंने कहा कि वह हमेशा से कुछ अलग करना चाहती थी. पढ़ाई करने के बाद करीब 3 वर्ष तक सरकारी नौकरी के लिए रेलवे, एसएससी का एग्जाम दिया.काफी प्रयास किया, लेकिन सरकारी नौकरी नहीं मिलने पर मैं निराश नहीं हुई और खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया.

कॉलेज के टीचर्स भी बढ़ा रहे हौसला

देवघर से 10 किलोमीटर दूर कोठिया की रहने वाली राधा कहती है कि युवाओं को खुद अपने पैरों में खड़ा होने के लिए आत्मनिर्भर बनना चाहिए. मेरे बच्चे अभी गांव के ही स्कूल में पढ़ रहे हैं.आने वाले समय में अपने बच्चों का भविष्य बनाऊंगी. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी भी युवाओं को जरूरी नहीं है कि केवल चाय दुकान फुल नहीं चाहिए बल्कि और भी कई बिजनेस है. मैंने जब यह दुकान शुरू की तो मुझे लग रहा था शायद गांव और समाज के लोग निंदा करेंगे, लेकिन सभी लोगों का सहयोग मिल रहा है. कॉलेज की सभी शिक्षिकाएं और प्राचार्य ने मेरे दुकान में आकर चाय पी और मुझे हौसला भी दिया.

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